ग्वालियर। मध्यप्रदेश में कुछ ही समय बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसको लेकर राजनीति पार्टियां लगातार सक्रिय नजर आ रही है. वहीं ग्वालियर में बीजेपी ने एंटी इनकंबेंसी को कम करने के लिए नाराज नेता और कार्यकर्ताओं को मनाने का दौर शुरू कर दिया है. यही कारण है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं जिनसे मुलाकात करने पार्टी के अलग-अलग नेता पहुंच रहे हैं. इससे स्पष्ट होता है कि पार्टी ने अगर इन नेताओं को समय पर मना लिया तो सब कुछ ठीक रहेगा वरना बीजेपी पार्टी के लिए यह चुनाव बड़ी मुसीबत बन सकता है.
रूठे नेताओं को मनाने में जुटी भाजपा: बीजेपी को मिशन 2023 में फतह पाने से पहले रूठे हुए सीनियर मूल भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करना जरूरी है. इसी वजह से प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी से दूरी बनाने वाले और नाराज सीनियर कार्यकर्ताओं से संवाद करना शुरू कर दिया है. हाल ही में ग्वालियर प्रभारी बनाए गए सुधीर गुप्ता ने यहीं डेरा जमाते हुए कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी में विचारधारा का नहीं, व्यक्ति विशेष के लिए काम करने वालों का सम्मान हो रहा है. ऐसे में पुराने कार्यकर्ताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है, हालांकि इस बैठक से मीडिया को दूर रखा गया था.
कांग्रेस का सिंधिया पर आरोप: कांग्रेस का कहना है कि "चंबल संभाग में बीजेपी के मूल कार्यकर्ता की खड़ी फसल को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने काट दिया है. ऐसे कार्यकर्ता अपने अस्तित्व की लड़ाई बीजेपी में लड़ रहे हैं. जब से बीजेपी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुए हैं उसके बाद से ग्वालियर चंबल से बीजेपी ने अपने मूल नेताओं को खो दिया है." वहीं बीजेपी का कहना है कि "कांग्रेस के पास जो जानकारी है वह भ्रामक है. बीजेपी में न कोई गुबार है, न कोई तकलीफ."
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कई नेताओं ने पार्टी से किया किनारा: इस समय ग्वालियर चंबल-अंचल में बीजेपी के लिए आगामी विधानसभा का चुनाव बड़ा चुनौती पूर्ण होने वाला है, क्योंकि पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गुटबाजी ग्वालियर में ही होती है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद यहां पर बीजेपी 2 गुट में बट गई है और कई ऐसे बीजेपी के बड़े नेता हैं जो पूरी तरह गायब नजर आ रहे हैं. साथ ही कार्यकर्ता भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और वह पार्टी के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हो रहे हैं. वहीं, कई नेता ऐसे हैं जो टिकट की आस लगाए बैठे हुए हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद उन्हें यह मौका नहीं मिल पाएगा. इसी वजह से उन्होंने भी पार्टी से किनारा कर लिया है.
तोमर के समर्थकों ने पार्टी से बनाई दूरी: बीजेपी को सबसे बड़ी चिंता ग्वालियर चंबल-अंचल की है. इसी वजह से उन्होंने अभी से ही जिले के प्रभारी नेताओं को यहां पहुंचा दिया है. वह लगातार ऐसे नेता और कार्यकर्ताओं के साथ सीधी चर्चा कर रहे हैं जो पार्टी से गायब हैं या फिर कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक नेता और कार्यकर्ता एक दूसरे के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं. वहीं, ग्वालियर में सिंधिया की सक्रियता बढ़ने के बाद अब बीजेपी के मूल कार्यकर्ता और तोमर समर्थक नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है.