ETV Bharat / state

MP High Court : निर्देश के बावजूद दुग्ध उत्पादों में मिलावट क्यों नहीं रुकी, 9 जिलों के कलेक्टर से मांगा कार्रवाई का ब्यौरा

ग्वालियर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दूध और उससे बने उत्पादों में मिलावट को लेकर एक बार फिर अपने अधिकार क्षेत्र वाले जिलों के प्रशासन से नाखुशी का इजहार किया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि तमाम दिशा-निर्देश देने के बावजूद भिंड, मुरैना, श्योपुर और ग्वालियर के प्रशासन ने मिलावट करने वाले तत्वों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं की है.

MP High Court
निर्देश के बावजूद दुग्ध उत्पादों में मिलावट क्यों नहीं रुकी
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 10, 2023, 3:57 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दूध और उससे बने उत्पादों सहित अन्य खाद्य पदार्थों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए थे. इसके मुताबिक समय-समय पर खाद्य पदार्थों के नमूने लिए जाने उन्हें प्रयोगशाला भेजने और लैबोरेट्री टेस्टिंग जैसे आदेश दिए गए थे. लेकिन जिला प्रशासन दीपावली के पर्व के मौके पर इन खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर सका है. यही कारण है कि रोजाना पकड़े जा रहे मिलावटी मावा के मामलों में निर्माणकर्ताओं के खिलाफ बेहद लचर ढंग से कार्रवाई की जा रही है.

मिलावटखोरों से अफसरों की मिलीभगत : इससे स्पष्ट होता है कि औषधि प्रशासन विभाग एवं फूड सेफ्टी ऑफिसर कहीं न कहीं मिलावटखोरों से साठगांठ किए हुए हैं. हाई कोर्ट ने कहा है कि उसके अधिकार क्षेत्र वाले सभी नौ जिलों के कलेक्टर अपना कार्रवाई से संबंधित एफिडेविट 7 दिसंबर तक कोर्ट में फाइल करें. जिसमें उनके द्वारा की गई कार्रवाई का सिलसिलेवार ब्यौरा हो. हाई कोर्ट ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के मौजूद फूड सेफ्टी ऑफिसर्स पर नाराजगी जताई और उन्हें यहां से अन्यत्र जिलों में भेजने की बात भी कही.

ये खबरें भी पढ़ें...

7 दिसंबर तक स्थिति साफ करें : अब फूड सेफ्टी ऑफिसर 7 दिसंबर से पहले प्रशासन की मदद से मिलावटखोरों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करके कोर्ट को अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे अन्यथा उनके खिलाफ कोर्ट सख्त कार्रवाई करेगा. खास बात यह है कि दीपावली के काफी दिन पहले से ही ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर से आने वाला मिलावटी मावा और दूध धड़ल्ले से दूसरे महानगरों में भेजा जा रहा है. खाद्य प्रशासन विभाग इक्का-दुक्का कार्रवाई के अलावा प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिससे मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं और यह लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने अपनी गहरी चिंता जताई है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दूध और उससे बने उत्पादों सहित अन्य खाद्य पदार्थों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए थे. इसके मुताबिक समय-समय पर खाद्य पदार्थों के नमूने लिए जाने उन्हें प्रयोगशाला भेजने और लैबोरेट्री टेस्टिंग जैसे आदेश दिए गए थे. लेकिन जिला प्रशासन दीपावली के पर्व के मौके पर इन खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर सका है. यही कारण है कि रोजाना पकड़े जा रहे मिलावटी मावा के मामलों में निर्माणकर्ताओं के खिलाफ बेहद लचर ढंग से कार्रवाई की जा रही है.

मिलावटखोरों से अफसरों की मिलीभगत : इससे स्पष्ट होता है कि औषधि प्रशासन विभाग एवं फूड सेफ्टी ऑफिसर कहीं न कहीं मिलावटखोरों से साठगांठ किए हुए हैं. हाई कोर्ट ने कहा है कि उसके अधिकार क्षेत्र वाले सभी नौ जिलों के कलेक्टर अपना कार्रवाई से संबंधित एफिडेविट 7 दिसंबर तक कोर्ट में फाइल करें. जिसमें उनके द्वारा की गई कार्रवाई का सिलसिलेवार ब्यौरा हो. हाई कोर्ट ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के मौजूद फूड सेफ्टी ऑफिसर्स पर नाराजगी जताई और उन्हें यहां से अन्यत्र जिलों में भेजने की बात भी कही.

ये खबरें भी पढ़ें...

7 दिसंबर तक स्थिति साफ करें : अब फूड सेफ्टी ऑफिसर 7 दिसंबर से पहले प्रशासन की मदद से मिलावटखोरों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करके कोर्ट को अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे अन्यथा उनके खिलाफ कोर्ट सख्त कार्रवाई करेगा. खास बात यह है कि दीपावली के काफी दिन पहले से ही ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर से आने वाला मिलावटी मावा और दूध धड़ल्ले से दूसरे महानगरों में भेजा जा रहा है. खाद्य प्रशासन विभाग इक्का-दुक्का कार्रवाई के अलावा प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिससे मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं और यह लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने अपनी गहरी चिंता जताई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.