ग्वालियर। मध्य प्रदेश में सवर्ण जाति के छात्रों द्वारा ओबीसी एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर स्कॉलरशिप का लाभ उठाकर विदेशों में पढ़ाई करने के मामले का खुलासा होने के बाद तूल पकड़ता जा रहा है. यदुवंशी महासभा के अध्यक्ष रुपेश यादव ने कहा है कि यह पिछड़ा वर्ग और अन्य दलित वर्ग के छात्रों के साथ कुठाराघात है. मनुवादी सोच के अधिकारियों द्वारा इस तरह के कृत्य को अंजाम दिया गया है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
ओबीसी समाज करेगा आंदोलन: उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कराकर लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, अन्यथा यदुवंशी महासभा और ओबीसी समाज द्वारा इसके खिलाफ प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि इसमें सरकार और प्रशासन के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत है. इस मामले की जांच होनी चाहिए और यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला हो सकता है, क्योंकि अनेकों ऐसे छात्र हैं, जो ओबीसी एसटी-एससी का प्रमाण पत्र बनाकर उसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
फर्जी जाति प्रमाण पत्र ली 10 करोड़ की स्कॉलरशिप: गौरतलब है कि विदेश जाकर पढ़ाई करने के लिए 30 छात्रों के द्वारा ओबीसी एससी एसटी के फर्जी प्रमाण जाति प्रमाण पत्र लगाकर 10 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप ले ली. जिन छात्रों ने स्कॉलरशिप ली है, वह सभी छात्र सवर्ण वर्ग से आते हैं, लेकिन उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर इसका फायदा उठाया है. यह सभी छात्र विदेश में अध्ययनरत हैं. इसके साथ ही इसमें बताया गया है कि ज्यादातर छात्र इंदौर और हरियाणा बिहार के भी शामिल हैं. यह मामला उजागर होने के बाद अब ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के नेता सामने आने लगे हैं.
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फर्जी जाति प्रमाण पत्र से स्कैम: बता दे मध्यप्रदेश में ओबीसी, एसटी, एससी छात्रों के लिए विदेश अध्ययनरत छात्रवृत्ति योजना चलाई जा रही है. इस योजना के लिए इन छात्रों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया और उसके बाद करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप ली. जब इन जाति प्रमाण पत्रों की जांच स्थानीय प्रशासन से कराई गई तो पता चला कि छात्र सामान्य वर्ग में आते हैं, लेकिन ओबीसी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर योजना में शामिल होकर लाखों-करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप ले ली है.