MP Assembly Election Podcast: मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव शुरू हो चुके हैं, हर जगह नेताओं और राजनीति की चर्चा जोरों पर है, लेकिन आज हम आपको रियासत की राजनीति से जुड़े ग्वालियर के मोती महल की कहानी सुनाएंगे जो देश के आजाद होने से पहले से ही राजनीति सत्ता और प्रशासन का बड़ा केंद्र रहा है और उस महल की यह विडंबना भी बताएंगे कि कैसे सत्ता के अर्स पर बैठे इस महल का रसूख धीरे धीरे फर्स पर आ गया.
ग्वालियर के ऐतिहासिक मोती महल: ग्वालियर का ऐतिहासिक मोती महल देखने में काफी खूबसूरत है और इसका निर्माण सिंधिया स्टेट के तत्कालीन राजा जयाजी राव सिंधिया ने वर्ष 1825 मे करवाया था. मोती महल के परिसर में लगभग 1200 से अधिक कमरे हैं और इस महल का निर्माण पुणे की पेशवा पैलेस की तर्ज पर कराया गया था, जिसमें आज भी नक्काशी पर सोने की परत चढ़ी हुई है. सिंधिया परिवार ने इस मोती महल को प्रशासनिक कामकाज की देखरेख के लिहाज से तैयार किया गया.
राजधानी से कम नहीं है ग्वालियर: 1 नवंबर 1956 को देश का दिल यानी मध्यप्रदेश की स्थापना हुई और इसी दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था. इसी साल में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया था. खास बात यह है कि आज भले ही मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है, लेकिन ग्वालियर आज भी किसी राजधानी से कम नहीं है. आज भी ग्वालियर में 2 दर्जन से अधिक ऐसे विभाग हैं जिनके प्रमुख दफ्तर अभी हाल तक मोती महल में स्थित संचालित होते रहे हैं. (ETV Bharat Podcast)