ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस समय दिमनी विधानसभा चर्चाओं में है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस विधानसभा से कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उम्मीदवार का बनना...लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि टिकट की घोषणा होने के बाद तोमर अनेकों बार ग्वालियर-चंबल अंचल के दौरे पर आ चुके हैं. यहां तक कि वह इस दौरान मुरैना जिले में हर विधानसभा में अलग अलग कार्यक्रमों में हिस्सेदारी कर चुके हैं,लेकिन 15 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी नहीं पहुंचे हैं. इस कारण राजनीतिक गलियारों में अनेक चर्चाएं चल रही है और तमाम तरह की अटकलें भी लगाई जा रही है.
चर्चाओं में नरेंद्र सिंह तोमर: बीजेपी ने अपनी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में सबको चौंका दिया था. इसका कारण यह कि इस सूची में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का इलाका क्षत्रिय बाहुल्य इलाका है और तोमर पहली बार अपने विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. यही कारण है कि यह सीट पूरे मध्य प्रदेश की राजनीतिक सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है, लेकिन अब जितनी सीट की चर्चा हो रही है, उससे ज्यादा अब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चर्चाएं तेज हो गई है.
बेटे की चाहत थी, लेकिन पिता को मिला टिकट: केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का टिकट फाइनल होने के बाद वह लगातार अपने संसदीय क्षेत्र यानी मुरैना में आचार संहिता से पहले लोकार्पण और शिलान्यास करने पहुंचे थे. उनकी हर विधानसभा में कार्यक्रम आयोजित हुए, लेकिन सिर्फ दिमनी विधानसभा को छोड़कर जहां से उनका टिकट फाइनल हुआ है. अब सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो है है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर टिकट से नाराज हैं, क्योंकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पूरे प्रदेश के कद्दावर नेता माने जाते हैं. वह सीएम की रेस में भी हैं. विधानसभा में उतारने के बाद कयास यह लगाये जा रहे हैं कि पार्टी ने उनके कद को छोटा कर दिया है. इसलिए वह विधानसभा में नहीं जा रहे है, हालांकि उनके बेटे ने वहां पर कमान संभाल रखी है और लगातार प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं.
दिमनी में त्रिकोणीय होता है मुकाबला: अगर दिमनी विधानसभा में कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां 2.25 लाख वोटर्स हैं. इन मतदाताओं में जनरल वोटर्स (क्षत्रिय) 65 हजार, अनुसूचित जाति वर्ग के 48 हजार और शेष वोटर्स अन्य हैं. इस विधानसभा में उपचुनाव 2020 में कांग्रेस प्रत्याशी रविन्द्र सिंह भिड़ोसा ने 77445 वोट प्राप्त कर भाजपा के प्रत्याशी गिर्राज सिंह दंडोतिया को हराया था. वहीं तीसरे नंबर पर रहे बीएसपी के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह कंसाना को भी 10337 मत प्राप्त हुए थे. इस विधानसभा में क्षत्रिय और ब्राह्मण वोट काफी निर्णायक भूमिका में है. इनके अलावा एससी वोट भी पार्टी की हार जीत तय करते हैं. यही कारण है कि यहां पर हमेशा से त्रिकोणीय मौकाबला होता आया है. इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस को बसपा टक्कर देती नजर आ रही है.
पार्टी के टिकट वितरण से तोमर नाखुश: वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि "टिकट की घोषणा के बाद यह लग रहा है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस टिकट को लेकर खुश नहीं है, क्योंकि इस टिकट को वह अपने बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह को दिलाना चाहते थे. जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का तो कद बड़ा है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पहले मंत्री हैं. इन राज्यों में पर्यवेक्षक बनकर गए और मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. इसलिए वह इस टिकट को लेकर खुश नहीं हैं, क्योंकि उनके साथ जिन बड़े दिग्गजों को टिकट मिला था. उन्होंने प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल संभाग के दौरे पर लगातार आ रहे हैं, लेकिन वह अपनी विधानसभा में नहीं जा रहे हैं. इसी के कारण अफवाएं शुरू हो गई है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और टिकट को लेकर नाराज भी हैं.
कांग्रेस बोले तोमर को हुआ दंभ: वहीं इसको लेकर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि लगता है कि "नरेंद्र सिंह के टिकट से खुश नहीं हैं. वहीं लगता है कि नरेंद्र सिंह तोमर को इतना दंभ हो गया है कि वह दिमनी विधानसभा की जनता का अपमान कर रहे हैं. वहां की जनता को इतना छोटा मान रहे हैं कि बाहर ही रहकर वह चुनाव जीत लेंगे, लेकिन वह समझ नहीं पा रहे हैं. दिमनी की जनता का जितना परिहास उड़ा रहे हैं, उतना ही वहां की जनता उनका भी परिहास उड़ाएगी.