ग्वालियर। इस समय पूरे मध्य प्रदेश में बकाया बिजली के बिल को लेकर बिजली विभाग पूरी तरह सख्त है. हालात यह है कि अगर किसी पर 10 हजार का बिजली बिल बकाया है तो उसे नोटिस दिया जा रहा है और साथ में कुर्की की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन ऊर्जा मंत्री के गृह नगर में नजारा कुछ अलग ही देखने को मिल रहा है. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की विधानसभा में सबसे ज्यादा बिजली का बिल बकाया है. बिजली विभाग इसी वसूली के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि माननीय ऊर्जा मंत्री को इस बात का डर है कि अगर उनकी विधानसभा में उपभोक्ताओं पर कड़ाई से बिजली का बिल वसूला तो कहीं उनसे वोटर नाराज ना हो जाए. यही कारण है कि ऊर्जा मंत्री ने बिजली विभाग को अंदर ही अंदर यह सख्त निर्देश दे दिए हैं कि उनकी विधानसभा में किसी भी डिफॉल्टर उपभोक्ता के पास बिल्कुल ना जाए.
मंत्री के क्षेत्र में 300 करोड़ का बिजली बिल बकाया: ग्वालियर शहर में डिफाल्टर उपभोक्ताओं ने पिछले पांच साल में दो बार बिजली बिल माफी का फायदा उठाकर करीब 300 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ ले चुके हैं, लेकिन बिल माफी के बाद बिल शून्य होने पर भी डिफाल्टरों ने फिर भी बिल नहीं भरे हैं. इस कारण मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का हर महीने लगभग दस करोड़ रुपए बकाया बढ़ता रहा है. अब बकाया लगभग 500 करोड़ पहुंच गया है. 500 करोड़ में से 387 करोड़ रुपए घरेलू उपभोक्ताओं पर बकाया है. ईटीवी भारत ने जब जानकारी जुटाई तो खुलासा हुआ कि शहर के डेढ़ लाख डिफॉल्टर उपभोक्ता ऐसे हैं, जो नियमित बिल नहीं भरते हैं. जबकि सबसे ज्यादा डिफाल्टर ऊर्जा मंत्री की विधानसभा क्षेत्र में हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के ऊपर 300 करोड़ से ज्यादा बिजली का बिल बकाया है. इस मामले में ऊर्जा मंत्री का कहना है कि विद्युत वितरण कंपनी अपना काम करती है और अपने स्तर पर काम कर रही है.
डिफॉल्टरों के आगे बेबस अधिकारी: वहीं 400 करोड़ों रुपए से ज्यादा का बकाया बिल वसूल करने के लिए विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने 200 टीमें मैदान में उतारी हैं, जो बकायेदारों के कनेक्शन काटने के साथ-साथ बिजली चोरी भी पकड़ रही है, लेकिन ऊर्जा मंत्री की विधानसभा में करोड़ों रुपए से ज्यादा कि बकाया वसूली करने में विद्युत विभाग के कर्मचारी से लेकर अधिकारी डिफाल्टरों के आगे बेबस हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने संबल योजना में करीब 250 करोड़ रुपये बिल माफ हुए थे. बकाया 300 करोड़ रुपये पर आ गया था, फिर कोविड के दौरान एक हजार वॉट लोड वाले उपभोक्ता का बिल स्थगित किए, क्योंकि 2020 में उपचुनाव सामने था. अब वर्ष 2023 चुनावी साल है. भविष्य की संभावना को देखते हुए लोग बिल नहीं भर रहे हैं. इस कारण हर महीने बकाया बढ़ता जा रहा है.
शहर के किस क्षेत्र में कितने डिफॉल्टर उपभोक्ता, जानते हैं चार डिवीजन की स्थिति:
(केंद्रीय डिवीजन) पर बकाया राशि: 32.95
(दक्षिण डिवीजन) पर बकाया राशि: 102.95
(पूर्व डिवीजन) पर बकाया राशि: 137.45
(उत्तर डिवीजन) पर बकाया राशि: 300.57
नोट - बकाया की राशि करोड़ में है, दिसंबर 2022 तक का बकाया है.
लोगों को खुश करने के लिए मंत्रीजी के जतन: सबसे खास बात यह है कि आगामी समय में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. ऐसे में अभी से ही ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर लगातार अपनी विधानसभा में लोगों को खुश करने के लिए कई प्रकार के जतन कर रहे हैं. कभी वह खुद नाले में कूद जाते हैं तो कभी अधिकारियों को फटकार लगाते हुए नजर आते हैं. इससे बड़ी बात कि वह जनता को खुश करने के लिए चप्पल तक छोड़ देते हैं. उन्हें हार का इतना डर सता रहा है कि वह दिन-रात अभी से जनता के बीच पहुंच रहे हैं और उनकी समस्याओं को दूर करने में लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी माननीय का विरोध लगातार देखने में आ रहा है. यही कारण है कि आगामी विधानसभा तक कहीं वोटर नाराज ना हो जाए इसलिए बिजली भाग को सख्त निर्देश दे दिए हैं कि किसी भी उपभोक्ता पर बिजली बिल जमा करने का दबाव न डाला जाए. यही कारण है कि लगातार बिजली विभाग की तरफ से नोटिस जारी हो रहे हैं लेकिन कोई भी उपभोक्ता बिजली का बिल भरने के लिए तैयार नहीं है.
जब सैय्या कोतवाल तो डर काहे का: अब इस मामले को लेकर कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है. कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि एक कहावत है "सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का" वही कहावत उर्जा मंत्री की विधानसभा क्षेत्र में सिद्ध हो रही है. जब उनकी विधानसभा की जनता को खुद ऊर्जा मंत्री का साथ मिल गया हो तो उन्हें बिल भरने की चिंता क्यों होगी. उन्होंने कहा इस समय प्रदेश में बिजली भाग जनता को लूटने का काम कर रहा है. 4 गुना अधिक बिजली के बिल आम लोगों को दिए जा रहे हैं, जो अमीर हैं उसके बिल ना मात्र दिखाने के लिए पहुंच रहे हैं.