ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के मामले तेज से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में इंजेक्शन को लेकर मंत्री, विधायक और आला अफसरों के फोन अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं और वे किसी भी कीमत पर अपने लोगों के लिए इंजेक्शन हासिल करना चाह रहे हैं, जबकि स्वास्थ विभाग का कहना है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव होने पर ही इस इंजेक्शन दिया जाना चाहिए.
जरूरतमंदों को नहीं मिल रहे इंजेक्शन
दरअसल, ग्वालियर में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर बेहद संवेदनशील हो गए हैं. आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आने लेकिन सीटी स्कैन टेस्ट पॉजिटिव आने पर कई चिकित्सक मरीजों को सीधे तौर पर इंजेक्शन देने की सलाह दे रहे हैं. यह स्वास्थ्य मानकों के एकदम खिलाफ है. वहीं, जरूरतमंदों को यह इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है और इसकी क्राइसिस बनी हुई है. अभी तक ग्वालियर को 2200 इंजेक्शन मिले हैं, जिसमें रविवार को आए 700 इंजेक्शन भी शामिल है.
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इंजेक्शन की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी
रेमडेसिविर के अभाव को बढ़ाने में कुछ निजी चिकित्सक भी मदद कर रहे हैं. सीटी स्कैन टेस्ट पॉजिटिव आने पर 80 फीसदी लोग घर पर ही अपना इलाज करा रहे हैं. 10 फीसदी लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि 10 फीसदी लोगों को यह इंजेक्शन जरूरी है, लेकिन लोग किसी भी सूरत में इन इंजेक्शन को मंगा कर अपने पास रखना चाहते हैं. जिससे 800 से लेकर ढाई हजार रुपए में मिलने वाला इंजेक्शन 6 से 10000 रुपए तक बिक रहा है. फिलहाल, कलेक्टर द्वारा ही इन इंजेक्शन की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग अस्पतालों को आपूर्ति की जा रही है.