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मॉडल एक्ट के विरोध में मंडी कर्मचारियों का हल्लाबोल, शुरू की हड़ताल

केंद्र सरकार के द्वारा मॉडल एक्ट लागू किए जाने के विरोध में कृषि उपज मंडी ग्वालियर में व्यापारी और मंडी प्रशासन के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि, अभी यह हड़ताल तीन दिवसीय है, लेकिन सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो इससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है.

Mandi employees strike
मंडी कर्मचारियों की हड़ताल
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Published : Sep 3, 2020, 4:16 PM IST

ग्वालियर। कृषि उपज मंडियों में मध्य प्रदेश व्यापार महासंघ के आह्वान पर गुरुवार से कारोबार ठप कर दिया गया. दरअसल, मॉडल एक्ट लागू होने के बाद किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की छूट रहेगी, जबकि मंडी में किसानों द्वारा उपज बेचने पर उन्हें न सिर्फ मंडी शुल्क देना पड़ता है, बल्कि व्यापारियों को भी तमाम तरह के टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. वहीं बाहर व्यापारियों को उपज बेचने पर किसानों के साथ अक्सर धोखाधड़ी और कम तोलने जैसी घटनाएं भी आम रहती हैं.

मंडी कर्मचारियों की हड़ताल

सरकार की ओर से इस पर कोई अंकुश लगाने जैसी बात नहीं की गई है. मंडी में महंगी दुकानें और आढ़त लेकर बैठे कारोबारियों के सामने बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. मंडी प्रबंधन के लोग भी सरकार के फैसले के विरोध में आ गए हैं.

प्रदेश की 259 मंडियों में मंडी कार्यालय भी नहीं खुले हैं. कर्मचारियों ने राजधानी भोपाल में सीएम हाउस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है, क्योंकि बाहर के कारोबारियों पर मंडी प्रबंधन का कोई हस्तक्षेप या दबाव नहीं रहेगा, जिससे उनकी उपयोगिता सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है.

ग्वालियर। कृषि उपज मंडियों में मध्य प्रदेश व्यापार महासंघ के आह्वान पर गुरुवार से कारोबार ठप कर दिया गया. दरअसल, मॉडल एक्ट लागू होने के बाद किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की छूट रहेगी, जबकि मंडी में किसानों द्वारा उपज बेचने पर उन्हें न सिर्फ मंडी शुल्क देना पड़ता है, बल्कि व्यापारियों को भी तमाम तरह के टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. वहीं बाहर व्यापारियों को उपज बेचने पर किसानों के साथ अक्सर धोखाधड़ी और कम तोलने जैसी घटनाएं भी आम रहती हैं.

मंडी कर्मचारियों की हड़ताल

सरकार की ओर से इस पर कोई अंकुश लगाने जैसी बात नहीं की गई है. मंडी में महंगी दुकानें और आढ़त लेकर बैठे कारोबारियों के सामने बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. मंडी प्रबंधन के लोग भी सरकार के फैसले के विरोध में आ गए हैं.

प्रदेश की 259 मंडियों में मंडी कार्यालय भी नहीं खुले हैं. कर्मचारियों ने राजधानी भोपाल में सीएम हाउस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है, क्योंकि बाहर के कारोबारियों पर मंडी प्रबंधन का कोई हस्तक्षेप या दबाव नहीं रहेगा, जिससे उनकी उपयोगिता सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है.

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