ग्वालियर। जूनियर डॉक्टरों के बाद अब प्रदेश के मेडिकल कॉलेज की नर्सिंग स्टाफ ने अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. नर्सिंग स्टाफ ने अपना आंदोलन Madhya Pradesh Nurses Association के बैनर पर शुरू किया है. नर्सेज एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा परमार के मुताबिक अपनी मांगों को लेकर आयुक्त जिला चिकित्सा शिक्षा, जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज की डीन को ज्ञापन सौंपा है. जिसके तहत सभी नर्स दो दिनों तक काली पट्टी बांधकर काम करेगी. उसके बाद रोज नर्सिंग स्टाफ अलग-अलग प्रकार से अपना विरोध दर्ज करेगा.
- मांगें नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल
नर्सिंग स्टाफ ने मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगें नहीं मानी तो उसके बाद वह 15 जून को 2 घंटे काम बंद रखेगी. इसके बाद भी मांगे नहीं मानी, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. नर्सों का कहना है कि ग्रेट पे, एग्रीमेंट, नाइट अलाउंस के साथ ही पदनाम बदला जाए. मध्य प्रदेश में नर्सों को पदनाम के माध्यम से स्टाफ नर्स कहा जाता है, जबकि केरल तमिलनाडु जैसे राज्यों में नर्सेज ऑफिसर के नाम से जाना जाता है. जिसके चलते इनके मानदेय में भी बढ़ोत्तरी होती है. इसलिए पदनाम बदलने की मांग भी नर्स सालों से करती आ रही है.
- 13 मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में नर्सों की कमी
नर्सों की कमी मध्य प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज और सैकड़ों सरकारी अस्पतालों में बनी हुई है. प्रदेश के इन सभी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में परमानेंट नर्स की मौजूदा संख्या 28 से 30 हजार है, जबकि मौजूदा स्थिति में प्रदेश में 50 से 60 हजार नर्सों की जरूरत है. सरकार ने 30 हजार के लगभग पदों पर तो नर्सों की परमानेंट नियुक्ति करके रखी है, लेकिन बचे हुए 15 से 20 हजार पदों पर संविदा द्वारा नियुक्ति किए जाने का प्रावधान रखा है. जिसका जिम्मा एनएचएम को दिया है. वहीं प्रदेश में 4 हजार से अधिक पद अभी भी खाली है जिन पर नर्सों की नियुक्ति नहीं हुई है.
MP में अब नर्सों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा, 8 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू
- इन मांगों को लेकर नर्सिंग स्टाफ कर रहा है आंदोलन
- पुरानी पेंशन योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाए.
- कोरोना संक्रमण में जान गंवाने वाली नर्सिंग स्टाफ को 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवार्ड दिया जाए.
- नर्सों को डेजिग्नेशन प्रमोशन दिया जाए, साथ ही अन्य स्टेट की तरह नर्सों के पदों का नाम परिवर्तित किया जाए.
- मेल नर्स की भर्ती की जाए.
- नर्सों को समान कार्य के लिए समान वेतन मान दिया जाए.
- हड़ताल पर गए तो फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था हो जाएगी ठप
जूनियर डॉक्टरों के बाद अगर यह नर्सें हड़ताल पर रहे तो उसके बाद फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी. क्योंकि अभी हाल में ही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. अस्पतालों में डॉक्टर उपलब्ध होने के कारण मरीज बिना इलाज कर आए वापस लौटते रहे. अस्पताल में डॉक्टर के अलावा सारे काम नर्सिंग स्टाफ की भरोसे रहते हैं. चाहे वह इंजेक्शन लगाना हो या फिर ऑक्सीजन लगाना. यदि नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर चला जाता है, तो मरीजों के लिए जान आफत में आ जाएगी.