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डिजिटल इंडिया में JU के छात्रों को फीस भरने के लिए लगाने पड़ते हैं चक्कर

जीवाजी विश्वविद्यालय के पास अपना फीस गेटवे नहीं होने के कारण छात्रों को फीस जमा कराने के लिए कियोस्क संचालकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ रहा है.

डिजिटल इंडिया में JU
डिजिटल इंडिया में JU
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Published : Mar 16, 2021, 3:49 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के पास अपना फीस गेटवे नहीं होने से यहां पढ़ने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अपनी फीस भरने के लिए कियोस्क संचालकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जबकि कागजातों के सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय आना ही पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को है, जो दूरदराज रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए छात्रों को फीस के अलावा कियोस्क संचालकों को अतिरिक्त उनकी फीस भी देनी पड़ रही है.

व्यापमं पार्ट-2: छात्रों ने की सीबीआई जांच की मांग

जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्रों को अपनी ही फीस भरने के लिए लगाने पड़ रहे हैं चक्कर

डिजिटल इंडिया में जेयू चल रहा पिछे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश डिजिटल युग में कैशलेस होने की होड़ में है, लेकिन जीवाजी यूनिवर्सिटी की फीस जमा कराने की प्रक्रिया देशभर के विश्वविद्यालयों से पीछे चल रही है. दूसरे विश्वविद्यालय अपने पोर्टल पर ही नेट बैंकिंग/UPI/ डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए घर बैठे विद्यार्थी को पेमेंट गेटवे उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन जीवाजी यूनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों को एमपी ऑनलाइन कियोस्क संचालकों के हाथों लूटने के लिए छोड़ दिया हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की परेशानियों को देखते हुए एनएसयूआई की जेयू इकाई ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि इस सुविधा के लिए वह आंदोलन खड़ा करेंगे.

अतिरिक्त भुगतान के बिना नहीं बनती बात

दरअसल विद्यार्थियों की परेशानी ये है कि पहले कैश-विंडो पर वह खुद नहीं तो मित्र-रिश्तेदारों के जरिए बगैर अतिरिक्त भुगतान किए फीस जमा करा देते थे. लेकिन एमपी ऑनलाइन कियोस्क पर तो 100-150 रुपए तक अतिरिक्त भुगतान करना ही पड़ता है. इसके अलावा गांव-देहात से दूरदराज के विद्यार्थियों को इस काम के लिए हर हाल में लंबी यात्रा कर जेयू कैंपस में पहुंचना ही पड़ता है.

ग्वालियर। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के पास अपना फीस गेटवे नहीं होने से यहां पढ़ने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अपनी फीस भरने के लिए कियोस्क संचालकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जबकि कागजातों के सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय आना ही पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को है, जो दूरदराज रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए छात्रों को फीस के अलावा कियोस्क संचालकों को अतिरिक्त उनकी फीस भी देनी पड़ रही है.

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जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्रों को अपनी ही फीस भरने के लिए लगाने पड़ रहे हैं चक्कर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश डिजिटल युग में कैशलेस होने की होड़ में है, लेकिन जीवाजी यूनिवर्सिटी की फीस जमा कराने की प्रक्रिया देशभर के विश्वविद्यालयों से पीछे चल रही है. दूसरे विश्वविद्यालय अपने पोर्टल पर ही नेट बैंकिंग/UPI/ डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए घर बैठे विद्यार्थी को पेमेंट गेटवे उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन जीवाजी यूनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों को एमपी ऑनलाइन कियोस्क संचालकों के हाथों लूटने के लिए छोड़ दिया हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की परेशानियों को देखते हुए एनएसयूआई की जेयू इकाई ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि इस सुविधा के लिए वह आंदोलन खड़ा करेंगे.

अतिरिक्त भुगतान के बिना नहीं बनती बात

दरअसल विद्यार्थियों की परेशानी ये है कि पहले कैश-विंडो पर वह खुद नहीं तो मित्र-रिश्तेदारों के जरिए बगैर अतिरिक्त भुगतान किए फीस जमा करा देते थे. लेकिन एमपी ऑनलाइन कियोस्क पर तो 100-150 रुपए तक अतिरिक्त भुगतान करना ही पड़ता है. इसके अलावा गांव-देहात से दूरदराज के विद्यार्थियों को इस काम के लिए हर हाल में लंबी यात्रा कर जेयू कैंपस में पहुंचना ही पड़ता है.

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