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जयभान सिंह पवैया का दावा- मुसलमान कारसेवक भी थे अयोध्या आंदोलन का हिस्सा

संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का बजरंग दल के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने समर्थन किया है. पवैया ने इस दौरान खुलासा किया कि अयोध्या आंदोलन के दौरान कई मुस्लिम कारसेवकों ने भी हिस्सा लिया था.

जयभान सिंह पवैया का दावा
जयभान सिंह पवैया का दावा
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Published : Jul 5, 2021, 7:28 PM IST

ग्वालियर। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मंत्री जयभान पवैया ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है. पवैया ने कहा कि हम सभी रामकृष्ण की रक्त परंपरा कै हैं. राम मंदिर आंदोलन में कई मुस्लिम कारसेवकों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. उस समय ऐसे मुस्लिम कवि भी थे, जिन्होंने आंदोलन को मजबूती देने के लिए कविताएं लिखी थी.

जयभान सिंह पवैया का दावा

मुसलमान कार सेवक भी थे आंदोलन का हिस्सा

जयभान सिंह पवैया ने कहा कि सभी मुसलमानों को इन कार सेवकों का अनुसरण करना चाहिए. हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग राम-कृष्ण के रक्त परंपरा के हिसाब से वंशज हैं. पवैया ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता ही राष्ट्र की असली पहचान है. सरसंघचालक का बयान देश में सभी को जोड़ने वाला है, इसके अलग-अलग अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए.

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हिंदुस्तान की प्राचीन परंपरा है

मोहन भागवत के बयान पर बोलते हुए पवैया ने कहा कि RSS प्रमुख ने कोई नई बात नहीं की है, उन्होंने देश की प्राचीन परंपरा को परिभाषित किया है. जिसके मुताबिक लोग मिल-जुलकर रहते थे. भले ही उनके धर्म और पूजा की पद्धति अलग हो, लेकिन वह मूल रूप से हिंदुस्तानी ही थे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इंडोनेशिया और कंबोडिया में मुस्लिम बाहुल्यता होने के बावजूद रामलीला का मंचन किया जाता है, इसी तरह की परंपरा को हमें यहां जीवित करना चाहिए.

ग्वालियर। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मंत्री जयभान पवैया ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है. पवैया ने कहा कि हम सभी रामकृष्ण की रक्त परंपरा कै हैं. राम मंदिर आंदोलन में कई मुस्लिम कारसेवकों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. उस समय ऐसे मुस्लिम कवि भी थे, जिन्होंने आंदोलन को मजबूती देने के लिए कविताएं लिखी थी.

जयभान सिंह पवैया का दावा

मुसलमान कार सेवक भी थे आंदोलन का हिस्सा

जयभान सिंह पवैया ने कहा कि सभी मुसलमानों को इन कार सेवकों का अनुसरण करना चाहिए. हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग राम-कृष्ण के रक्त परंपरा के हिसाब से वंशज हैं. पवैया ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता ही राष्ट्र की असली पहचान है. सरसंघचालक का बयान देश में सभी को जोड़ने वाला है, इसके अलग-अलग अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए.

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हिंदुस्तान की प्राचीन परंपरा है

मोहन भागवत के बयान पर बोलते हुए पवैया ने कहा कि RSS प्रमुख ने कोई नई बात नहीं की है, उन्होंने देश की प्राचीन परंपरा को परिभाषित किया है. जिसके मुताबिक लोग मिल-जुलकर रहते थे. भले ही उनके धर्म और पूजा की पद्धति अलग हो, लेकिन वह मूल रूप से हिंदुस्तानी ही थे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इंडोनेशिया और कंबोडिया में मुस्लिम बाहुल्यता होने के बावजूद रामलीला का मंचन किया जाता है, इसी तरह की परंपरा को हमें यहां जीवित करना चाहिए.

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