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हरिकथा और मिलाद से हुई अंतरराष्ट्रीय तानसेन समारोह की शुरुआत

संगीत सम्राट की स्मृति में उनकी समाधि पर अंतरराष्ट्रीय तानसेन समारोह का आयोजन किया जा रहा है. समारोह का आगाज हरिकथा और मिलाद के आयोजन के साथ हुआ.

Tansen Festival
तानसेन समारोह
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Published : Dec 26, 2020, 3:24 PM IST

ग्वालियर। सुरों के सरताज कहीं जाने वाली तानसेन की याद में ग्वालियर में शनिवार से तानसेन समारोह का आगाज हो गया है. परंपरागत तरीके से शुरू हुए इस समारोह में सबसे पहले समाधि स्थल पर हरिकथा और मिलाद का आयोजन किया गया. इस मौके पर गंगा जमुनी तहजीब देखने को मिली. सबसे पहले ढोली बुआ महाराज के शिष्यों ने तानसेन की समाधि पर श्रद्धांजलि दी. तो वहीं मुस्लिम समाज ने उनके लिए मिलाद शरीफ का का आयोजन किया गया.

तानसेन समारोह
माधवराव सिंधिया ने की थी तानसेन समारोह की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय तानसेन समारोह की शुरुआत तत्कालीन माधवराव सिंधिया ने 1924 में की थी. जिसके बाद से लगातार इस समारोह को मनाया जा रहा है. 5 दिनों तक चलने वाले इस समारोह में देश विदेश के कलाकार शिरकत करते हैं. तानसेन समाधि के किनारे लगी इमली पेड़ की मान्यता तानसेन समारोह में एक इमली का पेड़ काफी चर्चा में रहता है. तानसेन समाधि के किनारे एक इमली का पेड़ लगा है और उसकी मान्यता है कि जब संगीत सम्राट तानसेन का निधन हुआ तो उनके आध्यात्मिक गुरु मोहम्मद गोश्त के मकबरे में ही उनकी समाधि बनवाई गई. समाधि के किनारे इमली का पेड़ लगाया गया है. जिसके बाद मान्यता है कि इसके पत्ते खाने से गला सुरीला होता है. यही वजह है कि इस समारोह में जितने संगीतकार आते हैं वह सबसे पहले इस इमली के पत्ते खाते है.
Tamarind Tree
इमली पेड़


कोरोना की वजह से अबकी बार पास से मिलेगी एंट्री
कोरोना संक्रमण की वजह से इस समारोह में सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं. समारोह में श्रोताओं के लिए पास की व्यवस्था की है. साथ ही मेन गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइज की व्यवस्था है. अबकी बार सभाओं में भी बदलाव किया गया है. सुबह 10:00 से 2:00 बजे तक सभा आयोजित होगी तो वहीं शाम की सभा को दोपहर 3:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक आयोजित किया जाएगा.

अबकी बार कुर्सियों पर बैठकर ले सकेंगे संगीत आनंद
कोरोना संक्रमण के कारण अबकी बार बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है. पहले भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर संगीत का आनंद लेते थे, लेकिन अबकी बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुर्सियों की व्यवस्था की गई है. कुर्सियां सोशल डिस्टेंस से लगाई गई है, ताकि कोरोना के नियमों का पालन हो सके.

ग्वालियर। सुरों के सरताज कहीं जाने वाली तानसेन की याद में ग्वालियर में शनिवार से तानसेन समारोह का आगाज हो गया है. परंपरागत तरीके से शुरू हुए इस समारोह में सबसे पहले समाधि स्थल पर हरिकथा और मिलाद का आयोजन किया गया. इस मौके पर गंगा जमुनी तहजीब देखने को मिली. सबसे पहले ढोली बुआ महाराज के शिष्यों ने तानसेन की समाधि पर श्रद्धांजलि दी. तो वहीं मुस्लिम समाज ने उनके लिए मिलाद शरीफ का का आयोजन किया गया.

तानसेन समारोह
माधवराव सिंधिया ने की थी तानसेन समारोह की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय तानसेन समारोह की शुरुआत तत्कालीन माधवराव सिंधिया ने 1924 में की थी. जिसके बाद से लगातार इस समारोह को मनाया जा रहा है. 5 दिनों तक चलने वाले इस समारोह में देश विदेश के कलाकार शिरकत करते हैं. तानसेन समाधि के किनारे लगी इमली पेड़ की मान्यता तानसेन समारोह में एक इमली का पेड़ काफी चर्चा में रहता है. तानसेन समाधि के किनारे एक इमली का पेड़ लगा है और उसकी मान्यता है कि जब संगीत सम्राट तानसेन का निधन हुआ तो उनके आध्यात्मिक गुरु मोहम्मद गोश्त के मकबरे में ही उनकी समाधि बनवाई गई. समाधि के किनारे इमली का पेड़ लगाया गया है. जिसके बाद मान्यता है कि इसके पत्ते खाने से गला सुरीला होता है. यही वजह है कि इस समारोह में जितने संगीतकार आते हैं वह सबसे पहले इस इमली के पत्ते खाते है.
Tamarind Tree
इमली पेड़


कोरोना की वजह से अबकी बार पास से मिलेगी एंट्री
कोरोना संक्रमण की वजह से इस समारोह में सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं. समारोह में श्रोताओं के लिए पास की व्यवस्था की है. साथ ही मेन गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइज की व्यवस्था है. अबकी बार सभाओं में भी बदलाव किया गया है. सुबह 10:00 से 2:00 बजे तक सभा आयोजित होगी तो वहीं शाम की सभा को दोपहर 3:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक आयोजित किया जाएगा.

अबकी बार कुर्सियों पर बैठकर ले सकेंगे संगीत आनंद
कोरोना संक्रमण के कारण अबकी बार बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है. पहले भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर संगीत का आनंद लेते थे, लेकिन अबकी बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुर्सियों की व्यवस्था की गई है. कुर्सियां सोशल डिस्टेंस से लगाई गई है, ताकि कोरोना के नियमों का पालन हो सके.

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