ग्वालियर। 12 मई को ग्वालियर-चंबल अंचल में जमकर वोटिंग हुई थी. संभाग की चारों सीटों पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. सियासी दल इस माथापच्ची में जुटे हैं कि इस बार बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का उन्हें कितना-फायदा और कितना नुकसान होने वाला है, वहीं राजनीतिक पंडित भी ग्वालियर-चंबल में बढ़े मतदान फीसदी पर कुछ कहने से बचते नजर आ रहे हैं.
बीजेपी बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को मोदी का अंडर करंट और मध्यप्रदेश की 5 माह की कांग्रेस सरकार की नाकामी बता रही है तो वहीं कांग्रेस इसे मोदी सरकार की एंटी इनकंबेंसी और अपनी सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के हितों में किए गए कार्यों के प्रति उत्साह के रूप में देख रही है.
दोनों ही दल बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं. बात अगर चारों लोकसभा सीटों की करें तो भिंड संसदीय सीट पर 2014 में 45.65 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार ये आंकड़ा बढ़कर 54.48 हो गया है. इसी तरह ग्वालियर सीट पर 52 प्रतिशत की जगह 59.78 प्रतिशत मतदान हुआ है.
गुना संसदीय सीट पर पिछली बार 60.77 प्रतिशत मतदान की अपेक्षा इस बार 70 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि हाई प्रोफाइल मुरैना सीट पर 2014 में 58.48 प्रतिशत मतदान हुआ था जो इस बार बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है.
ग्वालियर-चंबल अंचल में इस बार इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा बीजेपी-कांग्रेस भले ही अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रही हैं, लेकिन इसका खुलासा तो 23 मई को ही हो पाएगा कि वोटरों के उत्साह ने किसके उत्साह को चार चांद लगाया है.