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ग्वालियर-चंबल में बढ़े हुए मतदान से उलझन में बीजेपी-कांग्रेस, फिर खिलेगा कमल, या मजबूत होगा पंजा - Increased voting percentage on 12 may in gwalior

ग्वालियर चंबल अंचल में इस बार 12 मई को बंपर मतदान हुआ है. जिससे सियासी दल इस बार पशोपेश की स्थिति में है कि उन्हें इस बढ़े हुए मतदान का कितना फायदा होगा और कितना नुकसान.

ग्वालियर-चंबल के मतदाता
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Published : May 17, 2019, 4:22 PM IST

ग्वालियर। 12 मई को ग्वालियर-चंबल अंचल में जमकर वोटिंग हुई थी. संभाग की चारों सीटों पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. सियासी दल इस माथापच्ची में जुटे हैं कि इस बार बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का उन्हें कितना-फायदा और कितना नुकसान होने वाला है, वहीं राजनीतिक पंडित भी ग्वालियर-चंबल में बढ़े मतदान फीसदी पर कुछ कहने से बचते नजर आ रहे हैं.

ग्वालियर-चंबल में जमकर हुई वोटिंग

बीजेपी बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को मोदी का अंडर करंट और मध्यप्रदेश की 5 माह की कांग्रेस सरकार की नाकामी बता रही है तो वहीं कांग्रेस इसे मोदी सरकार की एंटी इनकंबेंसी और अपनी सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के हितों में किए गए कार्यों के प्रति उत्साह के रूप में देख रही है.

दोनों ही दल बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं. बात अगर चारों लोकसभा सीटों की करें तो भिंड संसदीय सीट पर 2014 में 45.65 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार ये आंकड़ा बढ़कर 54.48 हो गया है. इसी तरह ग्वालियर सीट पर 52 प्रतिशत की जगह 59.78 प्रतिशत मतदान हुआ है.

गुना संसदीय सीट पर पिछली बार 60.77 प्रतिशत मतदान की अपेक्षा इस बार 70 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि हाई प्रोफाइल मुरैना सीट पर 2014 में 58.48 प्रतिशत मतदान हुआ था जो इस बार बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है.

ग्वालियर-चंबल अंचल में इस बार इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा बीजेपी-कांग्रेस भले ही अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रही हैं, लेकिन इसका खुलासा तो 23 मई को ही हो पाएगा कि वोटरों के उत्साह ने किसके उत्साह को चार चांद लगाया है.

ग्वालियर। 12 मई को ग्वालियर-चंबल अंचल में जमकर वोटिंग हुई थी. संभाग की चारों सीटों पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. सियासी दल इस माथापच्ची में जुटे हैं कि इस बार बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का उन्हें कितना-फायदा और कितना नुकसान होने वाला है, वहीं राजनीतिक पंडित भी ग्वालियर-चंबल में बढ़े मतदान फीसदी पर कुछ कहने से बचते नजर आ रहे हैं.

ग्वालियर-चंबल में जमकर हुई वोटिंग

बीजेपी बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को मोदी का अंडर करंट और मध्यप्रदेश की 5 माह की कांग्रेस सरकार की नाकामी बता रही है तो वहीं कांग्रेस इसे मोदी सरकार की एंटी इनकंबेंसी और अपनी सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के हितों में किए गए कार्यों के प्रति उत्साह के रूप में देख रही है.

दोनों ही दल बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं. बात अगर चारों लोकसभा सीटों की करें तो भिंड संसदीय सीट पर 2014 में 45.65 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार ये आंकड़ा बढ़कर 54.48 हो गया है. इसी तरह ग्वालियर सीट पर 52 प्रतिशत की जगह 59.78 प्रतिशत मतदान हुआ है.

गुना संसदीय सीट पर पिछली बार 60.77 प्रतिशत मतदान की अपेक्षा इस बार 70 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि हाई प्रोफाइल मुरैना सीट पर 2014 में 58.48 प्रतिशत मतदान हुआ था जो इस बार बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है.

ग्वालियर-चंबल अंचल में इस बार इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा बीजेपी-कांग्रेस भले ही अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रही हैं, लेकिन इसका खुलासा तो 23 मई को ही हो पाएगा कि वोटरों के उत्साह ने किसके उत्साह को चार चांद लगाया है.

Intro:ग्वालियर -मध्य प्रदेश सहित ग्वालियर चंबल संभाग की चारों सीटों पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं ।सभी प्रमुख दल अब इस माथापच्ची में जुट गए हैं कि आखिर बढ़ा हुआ मत प्रतिशत किसको कितना फायदा पहुंचा रहा है। बीजेपी जहां इसे मोदी का अंडर करंट और मध्य प्रदेश की 5 माह की कांग्रेस सरकार की नाकामी बता रही है ।वहीं कांग्रेस इसे मोदी सरकार की एंटी इनकंबेंसी और अपनी सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के हितों में किए गए कार्यों के प्रति उत्साह के रूप में देख रही है ।इस लिहाज से दोनों ही प्रमुख दल बढ़े हुए मत को अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं। अगर हम सीटवार इसे देखें तो पाते हैं कि भिंड दतिया लोकसभा सीट से भाजपा ने की पूर्व विधायक संध्या राय तो कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में देवाशीष जरारिया को मैदान में उतारा था। जातिगत समीकरण परआधारित सीट पर अटेर, भिंड, मेहगांव, दतिया में भाजपा गोहद, लहार भांडेर सेवड़ा में कांग्रेस को मजबूत माना जा रहा है। यहां 2014 में मतदान प्रतिशत 45.65 था जो इस बार बढ़कर 54.48 हो गया है। वही ग्वालियर सीट पर विधानसभा चुनाव में अंतरकलह की शिकार भाजपा ने विवादों से बचने के लिए मौजूदा मेयर को प्रत्याशी बनाया है। लो प्रोफाइल में रहने वाले शेजवलकर को ग्रामीण क्षेत्र में अपनी कमजोरी का पूरा अहसास था यही कारण है कि उन्होंने पूरे चुनाव में मोदी के सिवा किसी और का नाम नहीं लिया हार जीत के लिए पूरी तरह इस बात पर निर्भर है कि पीएम मोदी के नाम पर भाजपा को कितने वोट मिलते हैं। वहीं दूसरी ओर तीन बार सांसद का चुनाव लड़ चुके कांग्रेस नेता अशोक सिंह को इस बात का अहसास था कि शहरी मतदाताओं को अपनी ओर इतनी आसानी से नहीं मोड़ पाएंगे जितना कि ग्रामीण क्षेत्र में कमाल दिखा सकते हैं यही कारण रहा कि उन्होंने पूरा फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर किया जहां पिछले चुनाव में मजबूत स्थिति में रहे थे।


Body:2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 52 प्रतिशत था वहीं इस बार बढ़कर 59. 78 हो गया है। खास बात यह है कि शहरी विधानसभा में उतना मतदान नहीं बढ़ा जितना ग्रामीण में बढ़ा है। अंचल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट गुना पर प्रभाव हमेशा महल की ओर रहता है।इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव भी ज्यादा रहा है ,भाजपा ने डॉ के पी यादव को प्रत्याशी बनाया है जहां भाजपा पूरी ताकत झोंक दी थी वह सिंधिया को भी खूब पसीना बहाना पड़ा। भाजपा को भरोसा है कि मोदी फैक्टर काम करेगा और बढ़ा हुआ मतदान परसेंट उनके पक्ष में होगा जबकि कांग्रेसी इस बात का दावा कर रहे हैं कि जनता हर बार की तरह महाराजा को ही चुनेगी। गुना में 2014 में 60.77 मतदान हुआ था वहीं 2019 में बढ़कर 70% हो गया है ।इस सीट के अलावा मुरैना सीट बेहद हाई प्रोफाइल है क्योंकि इस सीट से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ग्वालियर सीट पर अंदरूनी कलह के कारण केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर को छोड़ मुरैना सीट को अपनेलिए चुना है। तोमर बहुल क्षेत्र को उन्होंने यह सोचकर चुना की जातिगत समीकरण के आधार पर एकमुश्त वोट मिल जाएंगे। मतदान निपटने के बाद जब श्योपुर, विजयपुर विधानसभा में मत के आंकड़े आए तो सब हैरान रह गए। कारण यह है कि कांग्रेस के प्रभाव वाली विधानसभा में मतदान प्रतिशत 58.48 था जो इस बार बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है जबकि जिले का औसत 61.97प्रतिशत है।बीजेपी नेता का कहना है कि हमेशा मत प्रतिशत दो ही चीजों को लेकर बढ़ता है एक किसी की सरकार बनाने के लिए दूसरा किसी की सरकार को गिराने के लिए इस बार दोनों ही फैक्टर काम कर रहे हैं लोग मोदी की सरकार बनाना चाहते हैं और राज्य से कांग्रेस सरकार को विदा करना चाहते हैं। वही कांग्रेस प्रवक्ता का मानना है कि बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत कांग्रेस के पक्ष में हैं क्योंकि लोग मोदी की जन विरोधी नीतियों को चलते खासे परेशान हैं। 


 




Conclusion:बाइट -कमल मखीजानी, नेता, बीजेपी 


बाइट -आरपी सिंह, प्रवक्ता, कांग्रेस
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