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पति ने उठाई चरित्र पर उंगली तो पत्नी ने DNA टेस्ट कराकर दिया सर्टिफिकेट - etv bharat news

ग्वालियर कुटुंब न्यायालय में एक पति ने तालाक की अर्जी लगाई थी. पति से जब कारण पूछा गया तो उसका कहना था कि वह अपनी पत्नी से एक साल तक दूर रहा, इस दौरान उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया, जोकि उसका नहीं है.

पति ने उठाई चरित्र पर उंगली तो पत्नी ने डीएनए जांच से दिया 'केरेक्टर टेस्ट'
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Published : Oct 9, 2019, 10:49 PM IST

ग्वालियर। कुटुंब न्यायालय में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक पति ने तालाक की अर्जी लगाई. जिसमें उसने अपनी तीसरी संतान का बाप किसी और का बताते हुए पत्नी के चरित्रहीन बता दिया था. उसका आरोप था कि पत्नी करीब एक साल से उससे अलग दूसरे शहर में रही थी. ऐसे में ये संतान उसकी हो ही नहीं सकती. पति के दावे के बाद डीएनए टेस्ट करवाया गया, जिसमें वह झूठा साबित हो गया.

पति ने उठाई चरित्र पर उंगली तो पत्नी ने डीएनए जांच से दिया 'केरेक्टर टेस्ट'

पीड़िता उत्तर प्रदेश में शिक्षिका के रूप में कार्यरत है. उसके एक बेटा और एक बेटी है. जब उसने तीसरी बार बेटी को जन्म दिया तो पति ने तलाक की अर्जी लगा दी. उसका कहना था कि वह एक साल से पत्नी के संपर्क में नहीं है तो ये संतान उसकी नहीं हो सकती है.

पति ने 2015 में कुटुंब न्यायालय में डीएनए टेस्ट के लिए आवेदन किया, महिला ने दुखी होकर उसके लिए भी हामी भर दी. 2018 में महिला का डीएनए टेस्ट हुआ था, 2019 में रिपोर्ट आने के बाद पति का दावा झूठा निकला. जिसके बाद कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन फिर भी वह अपनी पत्नी को साथ रखने को तैयार नहीं है.

ग्वालियर। कुटुंब न्यायालय में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक पति ने तालाक की अर्जी लगाई. जिसमें उसने अपनी तीसरी संतान का बाप किसी और का बताते हुए पत्नी के चरित्रहीन बता दिया था. उसका आरोप था कि पत्नी करीब एक साल से उससे अलग दूसरे शहर में रही थी. ऐसे में ये संतान उसकी हो ही नहीं सकती. पति के दावे के बाद डीएनए टेस्ट करवाया गया, जिसमें वह झूठा साबित हो गया.

पति ने उठाई चरित्र पर उंगली तो पत्नी ने डीएनए जांच से दिया 'केरेक्टर टेस्ट'

पीड़िता उत्तर प्रदेश में शिक्षिका के रूप में कार्यरत है. उसके एक बेटा और एक बेटी है. जब उसने तीसरी बार बेटी को जन्म दिया तो पति ने तलाक की अर्जी लगा दी. उसका कहना था कि वह एक साल से पत्नी के संपर्क में नहीं है तो ये संतान उसकी नहीं हो सकती है.

पति ने 2015 में कुटुंब न्यायालय में डीएनए टेस्ट के लिए आवेदन किया, महिला ने दुखी होकर उसके लिए भी हामी भर दी. 2018 में महिला का डीएनए टेस्ट हुआ था, 2019 में रिपोर्ट आने के बाद पति का दावा झूठा निकला. जिसके बाद कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन फिर भी वह अपनी पत्नी को साथ रखने को तैयार नहीं है.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में एक विचित्र और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक पति ने अपनी पत्नी से पीछा छुड़ाने के लिए उसके चरित्र को ही कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि पत्नी के जो तीसरी बेटी हुई है वह उसकी नहीं है क्योंकि वह 1 साल से उसके संपर्क में नहीं है ।पति ने दावा यह भी किया कि डीएनए टेस्ट करा लिया जाए यदि तीसरी संतान का जैविक पिता वह निकलता है तो खुशी खुशी अपनी पत्नी और उसके बच्चों को रखने के लिए तैयार है।


Body:दरअसल उपनगर ग्वालियर इलाके में एक के स्कूल चलाने वाले से पीड़ित महिला की शादी 2003 में हुई थी ।महिला पढ़ी लिखी थी एमएससी B.Ed शिक्षा हासिल करने के बाद उसने नौकरी के लिए कोशिश की जहां उसकी उत्तर प्रदेश में शिक्षक के रूप में नौकरी लग गई ।इस दौरान उसके 2005, 2008 में बेटा और बेटी का जन्म हुआ तीसरी बार वह 2011 में एक बेटी की मां बनी तब पति ने अचानक न्यायालय में उसके खिलाफ याचिका दाखिल कर दी और तलाक मांगा। तलाक का कारण सुनकर सभी लोग हैरान रह गए उसका कहना था कि तीसरी संतान उसकी नहीं हो सकती क्योंकि वह 1 साल से अपनी पत्नी के संपर्क में नहीं है।


Conclusion:पति ने 2015 में कुटुंब न्यायालय में डीएनए टेस्ट के लिए आवेदन किया महिला ने दुखी होकर उसके लिए हामी भर दी। महिला का दुख यह था कि पति ने उसके चरित्र पर उंगली उठाई है क्योंकि वह अपने स्थान पर सही थी और उसने कोर्ट को बताया था कि वह अपने पति के पास आती-जाती रही है उसका यह कहना कि पत्नी 1 साल से अलग है सरासर झूठ है। जिसे डीएनए रिपोर्ट में भी फॉरेंसिक लैब ने साबित कर दिया। खास बात यह है कि 2018 में महिला का डीएनए टेस्ट हुआ जिसकी रिपोर्ट 2019मे आई है। अभी भी पति, पत्नी को साथ रखने तैयार नहीं है भले ही उसकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी हो।
बाइट मनीष नायक ...पीड़ित महिला के अधिवक्ता कुटुंब न्यायालय ग्वालियर
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