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ग्वालियर: हाईकोर्ट के आदेश के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को मिलेगी ये सुविधा - jabalpur high court

ग्वालियर। ग्वालियर खंडपीठ ने भवन निर्माण कर्मकार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारी कल्याण बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें असंगठित क्षेत्र में 90 दिन काम कर चुके मजदूरों को पंजीयन की पात्रता से मना किया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बोर्ड के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है.

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Published : Apr 13, 2019, 10:23 PM IST

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भवन निर्माण कर्मकार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारी कल्याण बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें असंगठित क्षेत्र में 90 दिन काम कर चुके मजदूरों को पंजीयन की पात्रता से मना किया गया था.

एसके शर्मा याचिकाकर्ता ग्वालियर खंडपीठ

दरअसल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स रेगुलेशन एंप्लॉयमेंट कंडीशन एंड सर्विस 1996 के तहत भवन निर्माण और संस्थागत मजदूरों के लिए 2007 में एक नोटिफिकेशन के जरिए कर्मचारियों को कल्याण बोर्ड से मिलने वाली पेंशन, इलाज और पढ़ाई जैसी सरकारी सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी. इसे भवन निर्माण कर्मकार मंडल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि नोटिफिकेशन गलत है और कर्मचारी हितों के अनुकुल नहीं है. क्योंकि फैक्ट्रियों में काम करने वाले, निर्माण क्षेत्र के मजदूर और ठेकेदारों के अधीन काम करने वाले मजदूरों में कोई फर्क नहीं है. 90 दिन नियमित काम करने पर कर्मचारी कल्याण बोर्ड इन मजदूरों को पंजीयन के जरिए सरकारी सुविधाओं का लाभ मुहैया कराता है. वहीं हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश के लाखों मजदूरों को कर्मचारी कल्याण बोर्ड की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

नोटिफिकेशन में मजदूरों के हित प्रभावित हो रहे थे जिसके चलते कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था. जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बोर्ड के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है. और सभी मजदूरों को 90 दिन के काम करने के बाद मिले सर्टिफिकेट के आधार पर पंजीयन कराने की पात्रता को सही ठहराया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को बड़ी राहत मिली है.

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भवन निर्माण कर्मकार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारी कल्याण बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें असंगठित क्षेत्र में 90 दिन काम कर चुके मजदूरों को पंजीयन की पात्रता से मना किया गया था.

एसके शर्मा याचिकाकर्ता ग्वालियर खंडपीठ

दरअसल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स रेगुलेशन एंप्लॉयमेंट कंडीशन एंड सर्विस 1996 के तहत भवन निर्माण और संस्थागत मजदूरों के लिए 2007 में एक नोटिफिकेशन के जरिए कर्मचारियों को कल्याण बोर्ड से मिलने वाली पेंशन, इलाज और पढ़ाई जैसी सरकारी सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी. इसे भवन निर्माण कर्मकार मंडल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि नोटिफिकेशन गलत है और कर्मचारी हितों के अनुकुल नहीं है. क्योंकि फैक्ट्रियों में काम करने वाले, निर्माण क्षेत्र के मजदूर और ठेकेदारों के अधीन काम करने वाले मजदूरों में कोई फर्क नहीं है. 90 दिन नियमित काम करने पर कर्मचारी कल्याण बोर्ड इन मजदूरों को पंजीयन के जरिए सरकारी सुविधाओं का लाभ मुहैया कराता है. वहीं हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश के लाखों मजदूरों को कर्मचारी कल्याण बोर्ड की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

नोटिफिकेशन में मजदूरों के हित प्रभावित हो रहे थे जिसके चलते कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था. जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बोर्ड के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है. और सभी मजदूरों को 90 दिन के काम करने के बाद मिले सर्टिफिकेट के आधार पर पंजीयन कराने की पात्रता को सही ठहराया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को बड़ी राहत मिली है.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने भवन निर्माण कर्मकार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारी कल्याण बोर्ड के उस नोटिफिकेशन को निरस्त करने के आदेश दिए हैं ,जिसमें असंगठित क्षेत्र के 90 दिन काम कर चुके मजदूरों को पंजीयन की पात्रता से मना किया गया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश के लाखों मजदूरों को कर्मचारी कल्याण बोर्ड की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


Body:दरअसल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स रेगुलेशन एंप्लॉयमेंट कंडीशन एंड सर्विस 1996 के तहत भवन निर्माण तथा संस्थागत मजदूरों के लिए 2007 में एक नोटिफिकेशन के जरिए उन्हें कर्मचारी कल्याण बोर्ड से मिलने वाली पेंशन वजीफा इलाज और पढ़ाई जैसी सरकारी सुविधाओ पर रोक लगा दी गई थी ।इसे भवन निर्माण कर्मकार मंडल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि नोटिफिकेशन गलत है और कर्मचारी हितों के विपरीत है क्योंकि फैक्ट्रियों में काम करने वाले निर्माण क्षेत्र के मजदूर और ठेकेदारों के अधीन काम करने वाले मजदूरों में कोई फर्क नहीं है। 90 दिन नियमित काम करने पर कर्मचारी कल्याण बोर्ड इन मजदूरों को पंजीयन के जरिए सरकारी सुविधाओं का लाभ मुहैया कराता है।


Conclusion:लेकिन बोर्ड के आदेश के बाद मजदूरों के हित प्रभावित हो रहे थे कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसे लेकर भवन निर्माण कर्मकार मंडल ने न्यायालय में एक याचिका दाखिल की जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बोर्ड के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया, और सभी मजदूरों को 90 दिन के काम करने के बाद मिले सर्टिफिकेट के आधार पर पंजीयन कराने की पात्रता को सही ठहराया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को बड़ी राहत मिली है।
बाइट एस के शर्मा याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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