ग्वालियर। शहीद की पत्नी को पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने बीएसएफ पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए पीड़िता से मांफी मांगने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह फैसला शहीद की पत्नी की याचिका पर सुनाया है
महिला की ओर से केस की पैरवी कर रहे जेएस भाटी ने बताया कि हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी की 2003 में मृत्यु होने के बाद पारिवारिक विवाद हुआ. परिवार के लोगों ने शहीद की पत्नी के दूसरी शादी किए जाने के फर्जी दस्तावेज बीएसएफ में पेश कर शहीद की पत्नी को मिलने वाली पेंशन उनकी बेटी को दिलवा दी. लड़कियों की शादी 2007 में होने के बाद यह पेंशन बंद कर दी गई. इस पर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
हाईकोर्ट ने 2015 में महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीएसएफ को निर्देशित किया कि पूरे मामले की दोबारा जांच की जाए और पत्नी के दस्तावेज चेक किए जाएं. बीएसएफ के कमांडेंट ने ग्वालियर एसपी के जरिए इस मामले की जांच की और बताया कि महिला ने दूसरी शादी नहीं की है बल्कि वह डबरा में किन्ही कश्मीर सिंह के मकान में किराए से रहती है. इसके बावजूद एसपी की रिपोर्ट को बीएसएफ ने दरकिनार कर दिया और पेंशन चालू नहीं की. मामले को लेकर कोर्ट में दोबारा आवेदन लगाया गया. इस पर हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने बीएसएफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए निर्देशित किया है कि बीएसएफ महिला से माफी मांगे और 3 महीने के अंदर पांच लाख रुपए का भुगतान करें.
बीएसएफ में हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी 13 अगस्त 2000 को जम्मू-श्रीनगर हाई-वे पर आतंकी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में पूरन चंद्र गंभीर रुप से जख्मी हुए थे. जिनकी ग्वालियर के टेकनपुर बीएसएफ अस्पताल में इलाज के दौरान 2003 में मौत हो गई थी.