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शहीद की पत्नी को पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने BSF पर लगाया पांच लाख का जुर्माना, दिया मांफी मांगने का आदेश - Teknapur

ग्वालियर खंडपीठ ने एक फैसले में बीएलएफ को आदेश देते हुए कहा कि वह शहीद की पत्नि से मांफी मांगकर पांच लाख रुपये का भुगतान करें.

ग्वालियर
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Published : May 8, 2019, 5:03 PM IST

ग्वालियर। शहीद की पत्नी को पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने बीएसएफ पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए पीड़िता से मांफी मांगने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह फैसला शहीद की पत्नी की याचिका पर सुनाया है

ग्वालियर खंडपीठ

महिला की ओर से केस की पैरवी कर रहे जेएस भाटी ने बताया कि हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी की 2003 में मृत्यु होने के बाद पारिवारिक विवाद हुआ. परिवार के लोगों ने शहीद की पत्नी के दूसरी शादी किए जाने के फर्जी दस्तावेज बीएसएफ में पेश कर शहीद की पत्नी को मिलने वाली पेंशन उनकी बेटी को दिलवा दी. लड़कियों की शादी 2007 में होने के बाद यह पेंशन बंद कर दी गई. इस पर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

हाईकोर्ट ने 2015 में महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीएसएफ को निर्देशित किया कि पूरे मामले की दोबारा जांच की जाए और पत्नी के दस्तावेज चेक किए जाएं. बीएसएफ के कमांडेंट ने ग्वालियर एसपी के जरिए इस मामले की जांच की और बताया कि महिला ने दूसरी शादी नहीं की है बल्कि वह डबरा में किन्ही कश्मीर सिंह के मकान में किराए से रहती है. इसके बावजूद एसपी की रिपोर्ट को बीएसएफ ने दरकिनार कर दिया और पेंशन चालू नहीं की. मामले को लेकर कोर्ट में दोबारा आवेदन लगाया गया. इस पर हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने बीएसएफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए निर्देशित किया है कि बीएसएफ महिला से माफी मांगे और 3 महीने के अंदर पांच लाख रुपए का भुगतान करें.

बीएसएफ में हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी 13 अगस्त 2000 को जम्मू-श्रीनगर हाई-वे पर आतंकी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में पूरन चंद्र गंभीर रुप से जख्मी हुए थे. जिनकी ग्वालियर के टेकनपुर बीएसएफ अस्पताल में इलाज के दौरान 2003 में मौत हो गई थी.

ग्वालियर। शहीद की पत्नी को पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने बीएसएफ पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए पीड़िता से मांफी मांगने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह फैसला शहीद की पत्नी की याचिका पर सुनाया है

ग्वालियर खंडपीठ

महिला की ओर से केस की पैरवी कर रहे जेएस भाटी ने बताया कि हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी की 2003 में मृत्यु होने के बाद पारिवारिक विवाद हुआ. परिवार के लोगों ने शहीद की पत्नी के दूसरी शादी किए जाने के फर्जी दस्तावेज बीएसएफ में पेश कर शहीद की पत्नी को मिलने वाली पेंशन उनकी बेटी को दिलवा दी. लड़कियों की शादी 2007 में होने के बाद यह पेंशन बंद कर दी गई. इस पर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

हाईकोर्ट ने 2015 में महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीएसएफ को निर्देशित किया कि पूरे मामले की दोबारा जांच की जाए और पत्नी के दस्तावेज चेक किए जाएं. बीएसएफ के कमांडेंट ने ग्वालियर एसपी के जरिए इस मामले की जांच की और बताया कि महिला ने दूसरी शादी नहीं की है बल्कि वह डबरा में किन्ही कश्मीर सिंह के मकान में किराए से रहती है. इसके बावजूद एसपी की रिपोर्ट को बीएसएफ ने दरकिनार कर दिया और पेंशन चालू नहीं की. मामले को लेकर कोर्ट में दोबारा आवेदन लगाया गया. इस पर हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने बीएसएफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए निर्देशित किया है कि बीएसएफ महिला से माफी मांगे और 3 महीने के अंदर पांच लाख रुपए का भुगतान करें.

बीएसएफ में हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी 13 अगस्त 2000 को जम्मू-श्रीनगर हाई-वे पर आतंकी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में पूरन चंद्र गंभीर रुप से जख्मी हुए थे. जिनकी ग्वालियर के टेकनपुर बीएसएफ अस्पताल में इलाज के दौरान 2003 में मौत हो गई थी.

Intro:ग्वालियर
सीमा सुरक्षा बल के एक शहीद हेड कांस्टेबल पूरन चंद देहुरी की पत्नी को पेंशन के लाभ से वंचित करने पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सीमा सुरक्षा बल को महिला से माफी मांगने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही बीएसएफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि महिला को 3 महीने के भीतर सभी पेंशन लाभ जारी किए जाएं।


Body:दरअसल बीएसएफ में हेड कांस्टेबल के रूप में तैनात रहे पूरन चंद देहुरी 13 अगस्त 2000 को जम्मू से श्रीनगर जाते समय हाईवे पर आतंकी हमले के शिकार हो गए थे। इस हमले में कई जवान शहीद हुए थे। पूरन चंद्र बुरी तरह से जख्मी थे उनका टेकनपुर के बीएसएफ अस्पताल में इलाज भी चला बाद में 2003 में उनकी मौत हो गई। लेकिन परिवार ने शहीद की पत्नी को मिलने वाली पेंशन और दूसरे लाभ से उसे वंचित कर दिया ।परिवार के लोगों ने शहीद की पत्नी के दूसरी शादी किए जाने के फर्जी दस्तावेज बीएसएफ में पेश कर दिए और उनकी लड़कियों को पेंशन और दूसरे लाभ दिलवा दिए। लड़कियों की शादी 2007 में होने के बाद यह पेंशन भी बंद कर दी गई। इस पर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।


Conclusion:हाई कोर्ट ने 2015 में महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीएसएफ को निर्देशित किया कि पूरे मामले की दोबारा जांच की जाए और पत्नी के दस्तावेज चेक किए जाएं ।नोटरी पर महिला की दूसरी शादी किए जाने को कैसे सही मान लिया गया। बीएसएफ के कमांडेंट ने ग्वालियर एसपी के जरिए इस मामले की जांच की और बताया कि महिला ने दूसरी शादी नहीं की है बल्कि वह डबरा में किन्ही कश्मीर सिंह के मकान में किराए से रहती है ।इसके बावजूद एसपी की रिपोर्ट को भी बीएसएफ ने दरकिनार कर दिया और पेंशन चालू नहीं की ।इस मामले में दोबारा कोर्ट में आवेदन लगाया गया। इस पर हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच ने बीएसएफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए निर्देशित किया है कि बीएसएफ महिला से माफी मांगे और पांच लाख रुपए का भुगतान करे। 3 महीने के भीतर 2007 से बंद पेंशन को 8% ब्याज के साथ भुगतान करें।
बाइट जेएस भाटी... याचिकाकर्ता महिला के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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