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रासुका की कार्रवाई को HC ने माना नियम विरुद्ध, कलेक्टर पर 20 हजार की लगाई कॉस्ट

ग्वालियर खंडपीठ ने खाद्यान्न वितरण के गबन के मामले में पकड़े गए मुरैना के मुन्नालाल अग्रवाल और उनके रिश्तेदार डबरा रहने वाले राहुल अग्रवाल के खिलाफ कलेक्टर द्वारा आधिरोपित की गई रासुका की कार्रवाई को ना सिर्फ निरस्त कर दिया है, बल्कि कलेक्टर के ऊपर 10-10 हजार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है.

Gwalior Bench of High Court
ग्वालियर खंडपीठ
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Published : Mar 18, 2021, 1:41 AM IST

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह पर गबन का इल्जाम में पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ नियम विरुद्ध रासुका की कार्रवाई करने को गंभीरता से लिया है. ग्वालियर खंडपीठ ने खाद्यान्न वितरण के गबन के मामले में पकड़े गए मुरैना के मुन्नालाल अग्रवाल और उनके रिश्तेदार डबरा रहने वाले राहुल अग्रवाल के खिलाफ कलेक्टर द्वारा आधिरोपित की गई रासुका की कार्रवाई को ना सिर्फ निरस्त कर दिया है, बल्कि कलेक्टर के ऊपर 10-10 हजार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है. यह राशि कलेक्टर को डिजिटल पेमेंट के जरिए एक महीने के भीतर भुगतान करनी होगी.

अमानत में खयानत का मामला

नवंबर 2020 में खाद्य निगम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर खाद्यान्न भेजने में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप में मुन्ना लाल अग्रवाल और राहुल अग्रवाल के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी. क्योंकि एफसीआई का अनुबंध मुन्ना लाल अग्रवाल और उनके सहयोगी कंपनी ने किया था. यह पूरा कारोबार मुन्नालाल के भांजे राहुल अग्रवाल देखते थे. पता चला है कि आरोपियों ने खाद्यान्न को संबंधित दुकानों पर ना भेजकर उसे बाजार में बेच दिया. इसी आधार पर भोपाल से मिली एक टिप के आधार पर मुन्ना लाल अग्रवाल और उनके भांजे के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम और अमानत में खयानत का मामला ग्वालियर के झांसी रोड थाने में दर्ज किया गया था.

रासुका की कार्रवाई को HC ने माना नियम विरुद्ध

कारोबारी को HC से राहत, रासुका की कार्रवाई को कोर्ट ने किया निरस्त

जिला प्रशासन ने की थी रासुका की कार्रवाई

इस दौरान 26 दिसंबर 2020 को मुन्ना लाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. बाद में उनके भांजे को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. करीब 1 महीने बाद जिला प्रशासन ने दोनों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई कर दी, जबकि नियम अनुसार जो व्यक्ति जेल में है. उसके खिलाफ यह कार्रवाई नहीं हो सकती है और यदि कार्रवाई की भी गई है, तो उसके लिए विधिवत राज्य शासन को उसकी पूर्व सूचना भेजनी होती है.

रासुका की कार्रवाई निरस्त

इस मामले में ऐसा नहीं किया गया बल्कि कार्रवाई करने के चार दिन बाद केंद्र और राज्य शासन को रासुका की सूचना भेजी गई. इसलिए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की फरियाद पर इस मामले पर सुनवाई की और जिला प्रशासन की कार्रवाई को नियम विरुद्ध माना. इससे पहले भी मुरैना के अवधेश शर्मा नामक डेयरी कारोबारी और डबरा के मसाला कारोबारी विनोद गोयल के खिलाफ भी रासुका की कार्रवाई निरस्त की जा चुकी है.

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह पर गबन का इल्जाम में पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ नियम विरुद्ध रासुका की कार्रवाई करने को गंभीरता से लिया है. ग्वालियर खंडपीठ ने खाद्यान्न वितरण के गबन के मामले में पकड़े गए मुरैना के मुन्नालाल अग्रवाल और उनके रिश्तेदार डबरा रहने वाले राहुल अग्रवाल के खिलाफ कलेक्टर द्वारा आधिरोपित की गई रासुका की कार्रवाई को ना सिर्फ निरस्त कर दिया है, बल्कि कलेक्टर के ऊपर 10-10 हजार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है. यह राशि कलेक्टर को डिजिटल पेमेंट के जरिए एक महीने के भीतर भुगतान करनी होगी.

अमानत में खयानत का मामला

नवंबर 2020 में खाद्य निगम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर खाद्यान्न भेजने में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप में मुन्ना लाल अग्रवाल और राहुल अग्रवाल के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी. क्योंकि एफसीआई का अनुबंध मुन्ना लाल अग्रवाल और उनके सहयोगी कंपनी ने किया था. यह पूरा कारोबार मुन्नालाल के भांजे राहुल अग्रवाल देखते थे. पता चला है कि आरोपियों ने खाद्यान्न को संबंधित दुकानों पर ना भेजकर उसे बाजार में बेच दिया. इसी आधार पर भोपाल से मिली एक टिप के आधार पर मुन्ना लाल अग्रवाल और उनके भांजे के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम और अमानत में खयानत का मामला ग्वालियर के झांसी रोड थाने में दर्ज किया गया था.

रासुका की कार्रवाई को HC ने माना नियम विरुद्ध

कारोबारी को HC से राहत, रासुका की कार्रवाई को कोर्ट ने किया निरस्त

जिला प्रशासन ने की थी रासुका की कार्रवाई

इस दौरान 26 दिसंबर 2020 को मुन्ना लाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. बाद में उनके भांजे को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. करीब 1 महीने बाद जिला प्रशासन ने दोनों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई कर दी, जबकि नियम अनुसार जो व्यक्ति जेल में है. उसके खिलाफ यह कार्रवाई नहीं हो सकती है और यदि कार्रवाई की भी गई है, तो उसके लिए विधिवत राज्य शासन को उसकी पूर्व सूचना भेजनी होती है.

रासुका की कार्रवाई निरस्त

इस मामले में ऐसा नहीं किया गया बल्कि कार्रवाई करने के चार दिन बाद केंद्र और राज्य शासन को रासुका की सूचना भेजी गई. इसलिए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की फरियाद पर इस मामले पर सुनवाई की और जिला प्रशासन की कार्रवाई को नियम विरुद्ध माना. इससे पहले भी मुरैना के अवधेश शर्मा नामक डेयरी कारोबारी और डबरा के मसाला कारोबारी विनोद गोयल के खिलाफ भी रासुका की कार्रवाई निरस्त की जा चुकी है.

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