ग्वालियर। सोशल एक्टिविस्ट विश्वजीत रतोनिया का कहना है कि केंद्रीय जल बोर्ड की टीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार और याचिका में प्रतिवादी होने के कारण ग्वालियर दौरे पर आई थी, लेकिन प्रशासन ने इसकी सूचना याचिकाकर्ता तक को नहीं दी, ताकि होने वाले भ्रष्टाचार को दबाया जा सके. बता दें कि स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए विश्वजीत द्वारा न्यायालय में पीआईएल लगाई गई थी. जिसमें न्यायालय द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए थे कि स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन, नगर निगम और जल संसाधन विभाग शहर के प्रबुद्ध लोगों से चर्चा करे.
जिला प्रशासन को तैयार करनी है रिपोर्ट : कोर्ट ने ये निर्देश दिया था कि जिला प्रशासन शहर के लोगों से चर्चा करके इस बारे में एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करे. आरोप है कि जिला प्रशासन ने हाल ही में गुपचुप तरीके से बैठक आयोजित कर ली. गत दिनों जब केंद्रीय जल संसाधन विभाग की टीम स्वर्ण रेखा नदी का निरीक्षण करने आई तब भी प्रबुद्धजनों को सुझाव देने के लिए नहीं बुलाया गया और ना ही इस मामले को लेकर पीआईएल लगाने वाले अधिवक्ताओं को सुझाव के लिए आमंत्रित किया गया.
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नाले में तब्दील हुई स्वर्ण रेखा नदी : इस मामले में नगर निगम कमिश्नर का कहना है कि केंद्रीय जल बोर्ड की टीम आई थी और उसने स्वर्णरेखा के अलावा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य जल संसाधन के पॉइंट को देखा है. लेकिन न्यायालय के दिशा-निर्देशों का हवाला नगर निगम कमिश्नर नहीं दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्वर्ण रेखा नदी नाले में तब्दील हो चुकी है और दूसरी ओर शहर का वाटर लेवल भी डाउन हुआ है. इसलिए स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है.