ग्वालियर। शहर में स्थित जनक ताल जो सिंधिया राजपरिवार के द्वारा लगभग 200 साल पहले बनवाया गया था (Holi of Scindia royal family). इस जनक ताल पर होली के त्यौहार पर पूरा सिंधिया परिवार अपने मित्रों के साथ आता था और 5 दिन तक भव्य तरीके से होली मनाई जाती थी. इस जनक ताल पर होली के त्यौहार पर सिंधिया राजपरिवार के द्वारा नृत्य गायन और अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे, जो पूरे शहर भर के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना होता था. लेकिन अब यह जनक ताल वीरान नजर आता है, यहां पर सिंधिया परिवार का कोई भी सदस्य होली मनाने के लिए नहीं पहुंचता है.
200 साल पहले हुआ था तालाब का निर्माण: अमरा पर्वत की तलहटी में तत्कालीन राजा जनको जी राव सिंधिया की याद में बनवाए गए इस तालाब का निर्माण लगभग 200 वर्ष पूर्व कराया गया था. इतिहासकार माता प्रसाद शुक्ल ने बताया कि राजा जीवाजी राव सिंधिया द्वारा इसे अपने पिता के नाम पर बड़े ही शौक से बनवाया गया था. यह अन्य तालाबों की अपेक्षा काफी अलग था. इतना ही नहीं यहां पर तालाब से सटा हुआ काफी बड़ा बाग भी था जो अब कहीं नजर नहीं आता. यह जगह काफी आकर्षण और सुंदर है. साथ ही बरसात के मौसम में इस ताल की सुंदरता और बढ़ जाती है. लेकिन अब सिंधिया परिवार के द्वारा इस जनक ताल की देखरेख नहीं की जाती है यही कारण है कि अब धीरे-धीरे आकर्षण कम होता जा रहा है.
होली पर परिवार सहित आते थे जीवाजी राव: इतिहासकार माता प्रसाद शुक्ला ने बताया कि तत्कालीन राजा जीवाजी राव सिंधिया एक उत्सव प्रेमी राजा थे, वे यहां पर अपने पूरे राज परिवार व मित्रों के साथ होली से एक दिन आ जाते थे. इस दौरान यहां काफी बड़े-बड़े उत्सव हुआ करते थे, जिनमें नृत्य, गायन, वादन आदि कई प्रकार के कार्यक्रम हुआ करते थे. जो होली के 5 दिन तक चलते थे. इस दौरान राजा यहीं पर निवास भी करते थे, इतना ही नहीं यहां पर उस समय हाथियों व घोड़ों के माध्यम से गाड़ियां भर भर के गुलाल व रंग लाया जाता था. यह उत्सव काफी सौंदर्यपूर्ण होता था. इस उत्सव में शामिल होने के लिए ग्वालियर के आसपास की रियासतों के राजा भी कई बार आते थे.
जनक ताल के बीच में बना है भव्य महल: जनक ताल की बनावट काफी वैभवशाली और आकर्षण केंद्र वाली है, इस जनक ताल के बीचो बीच एक भव्य छोटा सा महल बना हुआ है. कहते हैं कि यहीं पर सिंधिया राजघराने के लोग होली पर आते थे और इस दौरान भव्य कार्यक्रम आयोजित होता था. 5 दिन तक लगातार यह कार्यक्रम आयोजित होता था. जिसमें सिंधिया राजघराने के सरदार, मंत्री और मित्र शामिल होते थे. बताया जाता है कि यहां पर राजा नाव के माध्यम से पहुंचते थे, सुरक्षा की दृष्टि से भी यह जगह राजा के लिए उपयुक्त थी.
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अस्तित्व खोता जा रहा जनक ताल: अब यह जनक ताल धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सिंधिया परिवार और होली के त्यौहार पर इस साल पर होली मनाने के लिए नहीं आता है और ना ही सिंधिया परिवार की तरफ से कोई सदस्य यहां पहुंचता है. इतना ही नहीं वर्तमान में यहां पर असामाजिक तत्वों का डेरा रहता है. इसके साथ ही यहां पर सुरक्षा व्यवस्था का कोई पुख्ता इंतजाम ना होने के कारण लगातार घटनाएं घटित होती हैं, लेकिन कहा जा सकता है कि जिस तरीके से कभी यह जनक ताल होली के त्यौहार पर सिंधिया राजपरिवार के लिए आकर्षण का केंद्र होता था वह आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहा है.