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हाईकोर्ट से मीसा बंदियों को मिली बड़ी राहत, 1 महीने में पेंशन भुगतान का आदेश - Kamal Nath Government

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मीसा बंदियों को बड़ी राहत दी है. करीब 247 मीसा बंदियों की पेंशन पर प्रदेश सरकार की तरफ से लगाई गई रोक को कोर्ट ने हटा दिया है.

हाईकोर्ट ने मीसा बंदियों को दी बड़ी राहत
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Published : Oct 30, 2019, 6:54 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मीसा बंदियों को बड़ी राहत दी है. एक साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे मीसा बंदियों को अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट ने 1 महीने के अंदर पेंशन देने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने मीसा बंदियों को दी बड़ी राहत

दरअसल, कांग्रेस सरकार के सत्तारूढ़ होते ही इस मामले में यह कहते हुए पेंशन पर रोक लगा दी थी कि, अपात्र लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. पात्र हितग्राहियों को पेंशन मिल सके. इसके लिए सभी के दस्तावेजों की जांच करना जरूरी है. प्रदेश सरकार के खिलाफ सीताराम बघेल और अन्य 15 मीसाबंदी हाई कोर्ट चले गए, उन्होंने याचिका दायर कर सरकार के फैसले को चुनौती दी.

भुगताने के आदेश की कॉपी
हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी

याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस विशाल मिश्रा ने मीसा बंदियों को अंतरिम राहत दी और पेंशन से संबंधित अन्य मामले भी आगे से सुनवाई में साथ रखे जाने के निर्देश दिए हैं. मीसा बंदियों ने 29 दिसंबर 2018 को पेंशन रोकने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी.

सरकार की ओर से मीसा बंदियों को 25 हजार रुपए प्रति महीने पेंशन प्रदेश सरकार की तरफ से प्रदान की जाती थी. मीसा बंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण इस पेंशन को रोक दिया गया था. हाईकोर्ट ने सत्यापन के आधार पर पेंशन को चालू करने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि करीब 247 मीसा बंदियों की पेंशन रोकी गई है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद मीसाबंदियों को एक बार फिर पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मीसा बंदियों को बड़ी राहत दी है. एक साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे मीसा बंदियों को अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट ने 1 महीने के अंदर पेंशन देने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने मीसा बंदियों को दी बड़ी राहत

दरअसल, कांग्रेस सरकार के सत्तारूढ़ होते ही इस मामले में यह कहते हुए पेंशन पर रोक लगा दी थी कि, अपात्र लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. पात्र हितग्राहियों को पेंशन मिल सके. इसके लिए सभी के दस्तावेजों की जांच करना जरूरी है. प्रदेश सरकार के खिलाफ सीताराम बघेल और अन्य 15 मीसाबंदी हाई कोर्ट चले गए, उन्होंने याचिका दायर कर सरकार के फैसले को चुनौती दी.

भुगताने के आदेश की कॉपी
हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी

याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस विशाल मिश्रा ने मीसा बंदियों को अंतरिम राहत दी और पेंशन से संबंधित अन्य मामले भी आगे से सुनवाई में साथ रखे जाने के निर्देश दिए हैं. मीसा बंदियों ने 29 दिसंबर 2018 को पेंशन रोकने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी.

सरकार की ओर से मीसा बंदियों को 25 हजार रुपए प्रति महीने पेंशन प्रदेश सरकार की तरफ से प्रदान की जाती थी. मीसा बंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण इस पेंशन को रोक दिया गया था. हाईकोर्ट ने सत्यापन के आधार पर पेंशन को चालू करने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि करीब 247 मीसा बंदियों की पेंशन रोकी गई है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद मीसाबंदियों को एक बार फिर पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

Intro:ग्वालियर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मीसा बंदियों को बड़ी राहत प्रदान की है 1 साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे पेंशन धारियों को अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि 1 महीने के भीतर इन सभी पेंशन धारियों की निधि को जारी किया जाए और रुकने के कारण भी बताए जाएं।


Body:दरअसल कांग्रेस सरकार के सत्तारूढ़ होते ही इस मामले में यह कहते हुए पेंशन रोकी गई थी कि अपात्र लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं इसलिए पात्र हितग्राहियों को पेंशन मिल सके इसके लिए सभी के दस्तावेजों की जांच करना जरूरी है। इसलिए सीताराम बघेल और अन्य 15 मीसाबंदी हाई कोर्ट चले गए थे और उन्होंने याचिका दायर कर सरकार की नीति के खिलाफ आवाज उठाई थी। जस्टिस विशाल मिश्रा ने मीसा बंदियों को अंतरिम राहत दी और पेंशन से संबंधित अन्य मामले भी आगे से सुनवाई में साथ रखे जाने के निर्देश दिए हैं। मीसा बंदियों ने 29 दिसंबर 2018 को पेंशन रोकने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।


Conclusion:सरकार की ओर से मीसा बंदियों को 25000 रुपए प्रति महीने की निधि प्रदान की जाती थी मीसा बंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण इस पेंशन को रोक दिया गया था हाईकोर्ट ने सत्यापन के आधार पर पेंशन को चालू करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि करीब 247 मीसा बंदियों की पेंशन रोकी गई है अब संभावना है कि उन्हें इस आदेश के परिपेक्ष में राहत मिल सकेगी।
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