ग्वालियर। इन दिनों मध्य प्रदेश का गजराराजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) में अनजान शिकायतों से परेशान है. शिकायतें एक य दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में है. बीते एक सप्ताह में 116 शिकायतें सामने आईं हैं. सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायतें भी अजब- गजब हैं. किसी को अस्पताल में मिल्क पार्लर चाहिए तो किसी को मेडिकल स्टोर जन औषधि सेवा केंद्र तो वहीं कुछ को नौकरी चाहिए. हफ्ते में 2 दिन का समय तो सिर्फ शिकायतों के निराकरण में अस्पताल प्रबंधन लगा हुआ है. जिससे स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही है.
गजराराजा में आ रही अजब-गजब शिकायतें: मध्य प्रदेश का प्रतिष्ठित और ग्वालियर अंचल का गजराराजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) CM हेल्पलाइन पर की गई अनजान शिकायतों से इन दिनों काफी परेशान है. शिकायतें करने वाले लोग एक दो नहीं हैं, बल्कि सैकड़ों में है. जीआरएमसी के डीन डॉक्टर अक्षय निगम का कहना है कि दो सप्ताह में 511 शिकायतें की गयी है, एक सप्ताह में 203 शिकायतें और इसी सप्ताह में 116 नई शिकायतें मिली हैं. हैरानी की बात यह है कि शिकायतें मेडिकल सेवाओं को लेकर नहीं बल्कि किसी ने मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में मिल्क पार्लर की मांग को लेकर, तो किसी ने जन औषधि केंद्र और किसी ने नौकरी में भर्ती न करने का आरोप लगाकर CM हेल्प लाइन में शिकायतें की हैं. जबकि 60 फीसदी शिकायतें तो छद्म नाम से की जा रही हैं. जिसका कोई अस्तिव नहीं है. इन सब के चलते मेडिकल कॉलेज मूल काम से भटक गया है और सप्ताह में दो दिन केवल शिकायतों को निपटाने के लिए शिकायतकर्ता को कॉल कर रहा है.
डॉक्टरों के इस्तीफे से नहीं पड़ेगा कोई असर, पर्याप्त संख्या में हैं डॉक्टर- GRMC
अस्पताल को भुगतनी पड़ रही परेशानी: जीआरएमसी के डीन ने कहा कि बात यहीं खत्म नहीं होती, कॉलेज प्रशासन शिकायतकर्ता के हाथ पैर जोड़कर उन्हें समझा रहा है कि वो मेडिकल कॉलेज से सीधे तौर पर किसी को भी न तो भर्ती कर सकते हैं न मिल्क पार्लर और न जन औषधि केंद्र दे सकते हैं, लेकिन इन सबके बीच स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. दरअसल अंचल के सबसे बड़े अस्पताल में 3 से 4 हजार मरीज हर दिन ओपीडी में पहुंचते हैं. इन मरीजों में उत्तर प्रदेश के झांसी और राजस्थान धौलपुर के मरीज भी शामिल हैं. अब गजराराजा मेडिकल कॉलेज के पास एक हजार बिस्तर का नया अस्पताल भी मौजूद है. ऐसे में डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की संख्या भी काफी कम है. रविवार छुट्टी का दिन छोड़कर हफ्ते में 2 दिन सिर्फ शिकायतों के निराकरण के लिए जिम्मेदार डॉक्टर लगे हुए हैं. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.