ग्वालियर। आने वाले समय में देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी खतरों के मद्देनजर सीधे-सीधे हमले के बजाए अब देश के समक्ष केमिकल और बायोलॉजिकल हमलों की अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में चुनौती है. इसके लिए देश की अलग-अलग विंग की सेना NDRF और SDRF की टीम भारत की आंतरिक शक्ति के बल पर किसी भी हमले से निपटने की तैयारी में सक्षम दिखाई दे रही है. इसी कड़ी में मंगलवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना को लेकर ग्वालियर में प्रदर्शनी लगाई गई.
DRDE में एक दिवसीय प्रदर्शनी: ग्वालियर की DRDE यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास में एक दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन हुआ. इस प्रदर्शनी का शुभारंभ ग्वालियर DRDE के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा ने किया. प्रदर्शनी में डीआरडीई ग्वालियर द्वारा रक्षा क्षेत्र में विकसित किए गए उत्पाद एवं प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया, जो विद्यार्थियों और आगंतुकों के मध्य कौतूहल का विषय रहा. इस प्रदर्शनी को देखने के लिए ग्वालियर स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों, स्कूलों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में पहुंचे.
प्रदर्शनी के शीर्षक की प्रासंगिकता: अपने समापन भाषण में डीआरडीई के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा ने प्रदर्शनी के शीर्षक की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "इस प्रदर्शनी का उद्देश्य आजादी के अमृत महोत्सव में आत्मनिर्भर भारत की झलक प्रदर्शित करना, विज्ञान के क्षेत्र में आमजन और विद्यार्थियों को जागरूक करना, वैज्ञानिक चेतना और गौरव भाव का संचार करना, रचनात्मक वैज्ञानिक अभिरुचि पैदा करना और वैज्ञानिकों के साथ प्रत्यक्ष विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करना है.
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आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत पिछले 9 सालों में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों और अनुसंधान के क्षेत्र में अपने रक्षा उत्पादों के उत्पादन के साथ ग्वालियर का रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना केंद्र देश में अपनी अहम भूमिका निभा चुका है. फिर चाहे कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए ईजाद किए गए उपकरण हों, बायो टॉयलेट का निर्माण हो और अब मौजूदा चुनौती के रूप में केमिकल और बॉयोकेमिकल हमलों से निपटने के लिए एनबीसी सूट जैसे उपकरणों के अलावा कैनिस्टर(नीलकंठ) जैसे उपकरण भी देश की केमिकल और बायोलॉजिकल हमलों से रक्षा करने में सक्षम साबित होंगे ,क्योंकि आने वाले समय में यही एक चुनौती है.