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Gwalior Divyang: देश के दिव्यांगों का हौसला हैं अरविंद, अपने जैसे साथियों की करना चाहते हैं मदद - गरीब बच्चों को देते हैं ट्यूशन

ग्वालियर के दिव्यांग अरविंद सिंह भदोरिया इस समाज के लिए और खासतौर से दिव्यांगों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं. बचपन से पैरों से दिव्यांग अरविंद ने खुद के लिए अपनी सुविधानुसार एक बैटरी वाला ट्राई रिक्शा मॉडीफाई किया. जिससे वह आसानी से बगैर किसी की मदद के कहीं भी जा सकते हैं. इसके साथ ही वह गरीब बच्चों को ट्यूशन देकर अपनी आजीविका भी चलातें हैं.

arvind is courage of disabled of country
देश के दिव्यांगों का हौसला हैं अरविंद, अपने जैसे साथियों की करना चाहते हैं मदद
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Published : Feb 21, 2023, 7:13 PM IST

देश के दिव्यांगों का हौसला हैं अरविंद, अपने जैसे साथियों की करना चाहते हैं मदद

ग्वालियर। आज मंगलवार को कलेक्ट्रेट में चल रही जनसुनवाई में अचानक एक ऐसी घटना घटी, जिसे देखने वाले सभी लोग हतप्रभ रह गए. जन सुनवाई के दौरान एक दिव्यांग युवा अपनी थ्री व्हीलर वाहन के साथ कलेक्ट्रेट में सीधे कलेक्टर के पास जा पहुंचा. इतना ही नहीं इस युवा के जज्बे को देखकर जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी भी उसके पास पहुंचे और उसके आवेदन को स्वीकार कर उसे पूरा करने का आश्वासन दिया है.

बचपन से दिव्यांग हैं अरविंद सिंह भदोरियाः दरअसल कलेक्ट्रेट में जन सुनवाई चल रही थी. सभी अधिकारी लोगों की समस्याओं को सुनने और उसके निराकरण करने में व्यस्त थे. उसी समय शहर के कांच मिल निवासी अरविंद सिंह भदोरिया जोकि दोनों पैरों से दिव्यांग है, वह न ही चल सकते हैं न ही बैठ सकते हैं. वह अपनी थ्री व्हीलर बैटरी से चलने वाले वाहन को लेकर सीधे कलेक्टर सभागार में पहुंच गए और कलेक्टर को अपना आवेदन दिया. उनके आवेदन पर कलेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया है जल्दी ही उनकी समस्या का निराकरण किया जाएगा. कलेक्ट्रेट में आवेदन देने आए अरविंद सिंह भदोरिया ने बताया कि बचपन से ही वह पैरों से दिव्यांग है.उनके अंदर इसी कमी ने उनके हौसलों को इतना बुलंद कर दिया कि वे किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहते थे. इसी के लिए उन्होंने बैटरी से चलने वाली गाड़ी को इस प्रकार से डिजाइन किया है कि जिसे लेटकर भी आसानी से चलाया जा सके.

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गरीब बच्चों को देते हैं ट्यूशनः इतना ही नहीं इसके अलावा आजीविका के लिए भी वे गरीब वह जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाते हैं. इस दौरान अगर कोई बच्चा फीस नहीं दे पाता है, तो उस बच्चे से जबरदस्ती नहीं करते हैं और उसे फ्री पढ़ाते हैं. उनके इसी जज्बे को देखकर आज उनके पास लगभग आधा सैकड़ा छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आने लगे हैं. संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि जिस स्थान पर पढ़ाते हैं वह स्थान अब कम पड़ने लगा है. इसके अलावा उन्होंने कलेक्टर से गुजारिश की है कि जिस तरह की गाड़ी उन्होंने स्वयं के इस्तेमाल के लिए बनाई है उसी तरह की गाड़ी और भी मॉडिफाइड करना चाहते हैं ताकि कोई भी दिव्यांग आने-जाने के लिए किसी पर आश्रित ना रहे.

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दिव्यांगों के लिए बनाना चाहते हैं वाहनः दिव्यांग भदोरिया का कहना है कि इस देश में कई ऐसे दिव्यांग मौजूद है जो अपने पैरों से चल नहीं सकते हैं और न ही कोई काम कर सकते हैं. यही कारण है कि सबसे ज्यादा असर उनके जीवन पर पड़ता है. वह न तो कोचिंग जा सकते हैं और न ही स्कूल जा सकते है. इसलिए वह ऐसी दिव्यांग गाड़ी मॉडिफाइड करना चाहते है जिससे दिव्यांग आसानी से हर काम कर सकें.अपनी मांग को लेकर जब अरविंद कलेक्ट्रेट पहुंचे तो वहां उनसे एडीएम आशीष तिवारी ने खुद आकर मुलाकात की और उनसे मिलकर उनके विचारों को समझा. इस दौरान अरविंद ने मांग की कि उन्हें अपनी पाठशाला को चलाने के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता है. जहां वे पाठशाला के साथ-साथ कुछ ऐसी गाड़ियों को भी मॉडिफाइड कर सकें. जिन्हें दिव्यांग अपने अनुसार उपयोग में ला सकें. इसके लिए अपर कलेक्टर आशीष तिवारी ने उनसे आवेदन लेकर उनकी सुनवाई और वरिष्ठ अधिकारियों से इस विषय में चर्चा की बात कही है. साथ ही आश्वासन दिया है कि उनकी इस बात पर जरूर गौर किया जाएगा.

देश के दिव्यांगों का हौसला हैं अरविंद, अपने जैसे साथियों की करना चाहते हैं मदद

ग्वालियर। आज मंगलवार को कलेक्ट्रेट में चल रही जनसुनवाई में अचानक एक ऐसी घटना घटी, जिसे देखने वाले सभी लोग हतप्रभ रह गए. जन सुनवाई के दौरान एक दिव्यांग युवा अपनी थ्री व्हीलर वाहन के साथ कलेक्ट्रेट में सीधे कलेक्टर के पास जा पहुंचा. इतना ही नहीं इस युवा के जज्बे को देखकर जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी भी उसके पास पहुंचे और उसके आवेदन को स्वीकार कर उसे पूरा करने का आश्वासन दिया है.

बचपन से दिव्यांग हैं अरविंद सिंह भदोरियाः दरअसल कलेक्ट्रेट में जन सुनवाई चल रही थी. सभी अधिकारी लोगों की समस्याओं को सुनने और उसके निराकरण करने में व्यस्त थे. उसी समय शहर के कांच मिल निवासी अरविंद सिंह भदोरिया जोकि दोनों पैरों से दिव्यांग है, वह न ही चल सकते हैं न ही बैठ सकते हैं. वह अपनी थ्री व्हीलर बैटरी से चलने वाले वाहन को लेकर सीधे कलेक्टर सभागार में पहुंच गए और कलेक्टर को अपना आवेदन दिया. उनके आवेदन पर कलेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया है जल्दी ही उनकी समस्या का निराकरण किया जाएगा. कलेक्ट्रेट में आवेदन देने आए अरविंद सिंह भदोरिया ने बताया कि बचपन से ही वह पैरों से दिव्यांग है.उनके अंदर इसी कमी ने उनके हौसलों को इतना बुलंद कर दिया कि वे किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहते थे. इसी के लिए उन्होंने बैटरी से चलने वाली गाड़ी को इस प्रकार से डिजाइन किया है कि जिसे लेटकर भी आसानी से चलाया जा सके.

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गरीब बच्चों को देते हैं ट्यूशनः इतना ही नहीं इसके अलावा आजीविका के लिए भी वे गरीब वह जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाते हैं. इस दौरान अगर कोई बच्चा फीस नहीं दे पाता है, तो उस बच्चे से जबरदस्ती नहीं करते हैं और उसे फ्री पढ़ाते हैं. उनके इसी जज्बे को देखकर आज उनके पास लगभग आधा सैकड़ा छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आने लगे हैं. संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि जिस स्थान पर पढ़ाते हैं वह स्थान अब कम पड़ने लगा है. इसके अलावा उन्होंने कलेक्टर से गुजारिश की है कि जिस तरह की गाड़ी उन्होंने स्वयं के इस्तेमाल के लिए बनाई है उसी तरह की गाड़ी और भी मॉडिफाइड करना चाहते हैं ताकि कोई भी दिव्यांग आने-जाने के लिए किसी पर आश्रित ना रहे.

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दिव्यांगों के लिए बनाना चाहते हैं वाहनः दिव्यांग भदोरिया का कहना है कि इस देश में कई ऐसे दिव्यांग मौजूद है जो अपने पैरों से चल नहीं सकते हैं और न ही कोई काम कर सकते हैं. यही कारण है कि सबसे ज्यादा असर उनके जीवन पर पड़ता है. वह न तो कोचिंग जा सकते हैं और न ही स्कूल जा सकते है. इसलिए वह ऐसी दिव्यांग गाड़ी मॉडिफाइड करना चाहते है जिससे दिव्यांग आसानी से हर काम कर सकें.अपनी मांग को लेकर जब अरविंद कलेक्ट्रेट पहुंचे तो वहां उनसे एडीएम आशीष तिवारी ने खुद आकर मुलाकात की और उनसे मिलकर उनके विचारों को समझा. इस दौरान अरविंद ने मांग की कि उन्हें अपनी पाठशाला को चलाने के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता है. जहां वे पाठशाला के साथ-साथ कुछ ऐसी गाड़ियों को भी मॉडिफाइड कर सकें. जिन्हें दिव्यांग अपने अनुसार उपयोग में ला सकें. इसके लिए अपर कलेक्टर आशीष तिवारी ने उनसे आवेदन लेकर उनकी सुनवाई और वरिष्ठ अधिकारियों से इस विषय में चर्चा की बात कही है. साथ ही आश्वासन दिया है कि उनकी इस बात पर जरूर गौर किया जाएगा.

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