ग्वालियर। विभागीय और कानूनी प्रक्रिया के बाद शुरू होते ही ग्वालियर का थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण प्रोजेक्ट फिर विवादों में आ गया है. यहां काम कर रही कंपनी ने कंस्ट्रक्शन एरिया में पेड़ हटाए जाने को लेकर जो तरीका अपनाया है. उसको लेकर एक बार फिर से पर्यावरण प्रेमी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे. रात में प्रोजेक्ट एरिया में कई बड़े पेड़ जड़ समेत उखाड़ दिए गए और फिर उन्हें जेसीबी या क्रेन से घसीटकर दूसरी जगह लगा दिया गया है. तो कुछ को फैंक दिया गया। ऐसे में पर्यावरण प्रेमी दुखी है.
कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कार्य शुरु: थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण प्रोजेक्ट में पहले चरण में लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत से 376 फ्लैट, स्कूल बिल्डिंग, कार्यालय काम्प्लेक्स और कम्युनिटी सेंटर के निर्माण कार्य का काम शुरु कर दिया गया है, लेकिन यहां पर लगे पेड़ों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया रात में की जा रही है. इस परियोजना के अंतर्गत पहले चरण में 136 करोड़ रुपये का टेंडर जारी होने के बाद हरियाली को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी. इसमें उच्च न्यायालय ने 1080 पेड़ों में से सिर्फ 79 को काटने और 329 को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. पर्यावरण विदों की अपत्ति पर वन विभाग कार्रवाई की बात कह रहा है.
ये है थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण प्रोजेक्ट: पुनर्घत्वीकरण योजना के अंतर्गत थाटीपुर की 30.06 हैक्टेयर शासकीय भूमि पर विकास कार्य प्रस्तावित हैं. योजना के अंतर्गत सबसे पहले कर्मचारियों के 800 आवास, आफिस और स्कूल का निर्माण प्रस्तावित है. योजना में 78 बड़े पेड़ों को काटा जाएगा, जबकि 329 पेड़ों को दूसरी जगह उखाड़कर शिफ्ट किया जाएगा. इससे पहले वनविभाग द्वारा कैंसर पहाड़ी पर 800 पौधों का रोपण किया जाएगा. इस परियोजना में 95 प्रतिशत पेड़ यथावत रहेंगे, इस पूरी परियोजना को ग्रीन बिल्डिंग कोड के आधार पर बनाया जाएगा.
पुर्नघनत्वीकरण योजना को HC से झटका, पेड़ों की कटाई पर लगी रोक, फिर से गिनती करने के निर्देश
पेड़ों को शिफ्ट करने का काम शुरु: पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है. हाउसिंग बोर्ट ने पेड़ों की शिफ्टिंग ओर काटने का ठेका.दिल्ली की डीएमआईएस कंपनी को दिया है. इस कंपनी ने यहां पर पेड़ों को शिफ्ट करने का काम शुरु किया है, लेकिन जिस तरह से पेड़ों को शिफ्ट किया जा रहा है, उससे यह पेड़ जिंदा नहीं रह पाएंगे. साथ ही जिन शर्तों पर पेड़ों का काटने और शिफ्टिंग की परमिशन दी गयी है, उसका पालन भी नही किया जा रहा है.