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Holika Dahan 2023: गौकाष्ठ से बनी लकड़ियों से होगा होलिका दहन, ग्वालियर-चंबल में बढ़ी डिमांड

Holi 2023: होली का त्यौहार नजदीक है. इस त्यौहार पर होलिका दहन में सबसे अधिक लकड़ी का उपयोग होता है, लेकिन मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला से ऐसी अनोखी पहल की शुरुआत की जा रही है. इस पहल से बड़ी संख्या में पेड़ों को बचाया जा सकता है. ग्वालियर की आदर्श गौशाला में गाय के गोबर से गौकाष्ठ का निर्माण किया जा रहा है. खास बात यह है कि, इस गौकाष्ठ को खरीदने के लिए इतनी ऑनलाइन बुकिंग हो रही है कि, पूर्ति कर पाना असंभव है.

Holika Dahan 2023
गौकाष्ठ से बनी लकड़ियों से होगा होलिका दहन
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Published : Mar 4, 2023, 4:10 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 5:49 PM IST

गौकाष्ठ से बनी लकड़ियों से होगा होलिका दहन

ग्वालियर। मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला पिछले 2 सालों से पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है. यही कारण है कि होली के त्यौहार के समय इस गौशाला में गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ निर्माण किया जाता है. होली के दिन सैकड़ों की संख्या में लोग होलिका दहन करने के लिए अब गौकाष्ठ का सबसे अधिक उपयोग कर रहे हैं. अबकी बार आदर्श गौशाला में लगभग 10,000 गौकाष्ठ का निर्माण किया गया है. इसके बाद भी खरीदने वाले लोगों की संख्या इतनी है कि वह इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. मतलब साफ है कि शहरवासी अब होलिका दहन में लकड़ी की बजाए गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का सबसे अधिक उपयोग करने लगे हैं. यह पर्यावरण के लिए काफी अच्छी बात है.

तीन महीने पहले से हो रहा निर्माण: मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में लगभग 5000 से अधिक गाय हैं और यहां पर यह एक ऐसी आदर्श गौशाला है. जो पूरे मध्यप्रदेश में मिसाल बनी हुई है. सबसे सुरक्षित और खानपान की व्यवस्था इस गौशाला में एक उदाहरण के रूप में जानी जाती है. यही कारण है कि, होली के त्यौहार के दिन गाय के गोबर से बनी गौकाष्ठ का निर्माण इसी गौशाला में होता है. यहां पर मशीन के द्वारा होली के त्यौहार के तीन महीने पहले ही गौकाष्ठ का निर्माण शुरू हो जाता है. एक दर्जन से अधिक कर्मचारी यहां पर मशीन के द्वारा गाय के गोबर से गौकाष्ठ का निर्माण करते हैं. होली के त्यौहार के दिन यहां पर ऑनलाइन बुकिंग होती है. उसके बाद लोग यहां से होलिका दहन के लिए गौकाष्ठ ले जाते हैं.

पर्यावरण बचाने का प्रयास: आदर्श गौशाला के महंत ऋषभ देव आनंद का कहना है कि, आदर्श गौशाला पर्यावरण को लेकर हमेशा से सजक रहती है. यही कारण है कि आज से तीन साल पहले होली के त्यौहार पर पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम की शुरुआत की थी. इस मुहिम के तहत गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का निर्माण शुरू हुआ था. उस दौरान सिर्फ एक हजार गो काष्ठ का निर्माण किया था. इसके साथ ही लोगों का धीरे-धीरे रुझान लकड़ी की बजाए गौकाष्ठ पर बढ़ने लगा और जो लोग गो काष्ठ खरीदने के लिए आते हैं. उनको पर्यावरण को बचाने के लिए बताया जाता है. साथ ही होलिका दहन में गौकाष्ठ का उपयोग से पर्यावरण को कितना फायदा पहुंचता है. इसके बारे में जानकारी दी जाती है. साथ ही उनका कहना है कि शहर भाषी के साथ-साथ आसपास के जिले अब गौकाष्ठ खरीदने के लिए यहां पर पहुंच रहे हैं.

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गौकाष्ठ की ऑनलाइन बुकिंग: उन्होंने बताया कि अब शहर वासी धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. होलिका दहन में लकड़ी की वजह गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का उपयोग करने लगे हैं. यही कारण है कि यहां पर हर साल गौकाष्ठ खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालात यह हो जाते हैं कि वह गौकाष्ठ की पूर्ति करना संभव नहीं हो पाता है. लेकिन अबकी बार आदर्श गौशाला की तरफ से 10,000 गौकाष्ठ का निर्माण किया है. जिसकी आधी बुकिंग ऑनलाइन हो चुकी है. उम्मीद है कि अबकी बार सबसे अधिक लोगों गो काष्ठ का उपयोग करने वाले हैं. बता दे गाय के गोबर से बनाया जाने वाला गौकाष्ठ लकड़ी की तरह होता है. इसे मशीन के माध्यम से लकड़ी के आकार का बनाया जाता है. इसका उपयोग होलिका दहन में किया जाता है. इससे सबसे अधिक पर्यावरण को फायदा पहुंचता है. इस गौकाष्ठ के माध्यम से हजारों पेड़ कटने से बच जाते हैं. साथ ही जो लोग होलिका दहन में पेड़ों को काटकर लकड़ी जलाते हैं. जिससे हमारा पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ रहा है उसको भी सुधारा जा सकता है.

गौकाष्ठ से बनी लकड़ियों से होगा होलिका दहन

ग्वालियर। मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला पिछले 2 सालों से पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है. यही कारण है कि होली के त्यौहार के समय इस गौशाला में गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ निर्माण किया जाता है. होली के दिन सैकड़ों की संख्या में लोग होलिका दहन करने के लिए अब गौकाष्ठ का सबसे अधिक उपयोग कर रहे हैं. अबकी बार आदर्श गौशाला में लगभग 10,000 गौकाष्ठ का निर्माण किया गया है. इसके बाद भी खरीदने वाले लोगों की संख्या इतनी है कि वह इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. मतलब साफ है कि शहरवासी अब होलिका दहन में लकड़ी की बजाए गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का सबसे अधिक उपयोग करने लगे हैं. यह पर्यावरण के लिए काफी अच्छी बात है.

तीन महीने पहले से हो रहा निर्माण: मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में लगभग 5000 से अधिक गाय हैं और यहां पर यह एक ऐसी आदर्श गौशाला है. जो पूरे मध्यप्रदेश में मिसाल बनी हुई है. सबसे सुरक्षित और खानपान की व्यवस्था इस गौशाला में एक उदाहरण के रूप में जानी जाती है. यही कारण है कि, होली के त्यौहार के दिन गाय के गोबर से बनी गौकाष्ठ का निर्माण इसी गौशाला में होता है. यहां पर मशीन के द्वारा होली के त्यौहार के तीन महीने पहले ही गौकाष्ठ का निर्माण शुरू हो जाता है. एक दर्जन से अधिक कर्मचारी यहां पर मशीन के द्वारा गाय के गोबर से गौकाष्ठ का निर्माण करते हैं. होली के त्यौहार के दिन यहां पर ऑनलाइन बुकिंग होती है. उसके बाद लोग यहां से होलिका दहन के लिए गौकाष्ठ ले जाते हैं.

पर्यावरण बचाने का प्रयास: आदर्श गौशाला के महंत ऋषभ देव आनंद का कहना है कि, आदर्श गौशाला पर्यावरण को लेकर हमेशा से सजक रहती है. यही कारण है कि आज से तीन साल पहले होली के त्यौहार पर पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम की शुरुआत की थी. इस मुहिम के तहत गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का निर्माण शुरू हुआ था. उस दौरान सिर्फ एक हजार गो काष्ठ का निर्माण किया था. इसके साथ ही लोगों का धीरे-धीरे रुझान लकड़ी की बजाए गौकाष्ठ पर बढ़ने लगा और जो लोग गो काष्ठ खरीदने के लिए आते हैं. उनको पर्यावरण को बचाने के लिए बताया जाता है. साथ ही होलिका दहन में गौकाष्ठ का उपयोग से पर्यावरण को कितना फायदा पहुंचता है. इसके बारे में जानकारी दी जाती है. साथ ही उनका कहना है कि शहर भाषी के साथ-साथ आसपास के जिले अब गौकाष्ठ खरीदने के लिए यहां पर पहुंच रहे हैं.

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गौकाष्ठ की ऑनलाइन बुकिंग: उन्होंने बताया कि अब शहर वासी धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. होलिका दहन में लकड़ी की वजह गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ का उपयोग करने लगे हैं. यही कारण है कि यहां पर हर साल गौकाष्ठ खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालात यह हो जाते हैं कि वह गौकाष्ठ की पूर्ति करना संभव नहीं हो पाता है. लेकिन अबकी बार आदर्श गौशाला की तरफ से 10,000 गौकाष्ठ का निर्माण किया है. जिसकी आधी बुकिंग ऑनलाइन हो चुकी है. उम्मीद है कि अबकी बार सबसे अधिक लोगों गो काष्ठ का उपयोग करने वाले हैं. बता दे गाय के गोबर से बनाया जाने वाला गौकाष्ठ लकड़ी की तरह होता है. इसे मशीन के माध्यम से लकड़ी के आकार का बनाया जाता है. इसका उपयोग होलिका दहन में किया जाता है. इससे सबसे अधिक पर्यावरण को फायदा पहुंचता है. इस गौकाष्ठ के माध्यम से हजारों पेड़ कटने से बच जाते हैं. साथ ही जो लोग होलिका दहन में पेड़ों को काटकर लकड़ी जलाते हैं. जिससे हमारा पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ रहा है उसको भी सुधारा जा सकता है.

Last Updated : Mar 4, 2023, 5:49 PM IST
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