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कमलाराजे ट्रस्ट के नाम कैसे हुई सरकारी संपत्ति, हाईकोर्ट में केंद्र और जिला प्रशासन को पक्षकार बनाने दिया आवेदन

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Published : Sep 2, 2020, 3:05 PM IST

कमला राजे ट्रस्ट के नाम हुई सरकारी संपत्ति के मामले में दर्ज की गई याचिका पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सरकार से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.

Gwalior Bench of High Court
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कब्जे वाले कमला राजे ट्रस्ट की जमीन के मामले में सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के लिए कहा है. इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी और कहा गया था कि कमला राजे ट्रस्ट ने बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के करीब 600 से ज्यादा बीघा जमीन को अपने नाम कराया है, जिसमें केंद्र सरकार के अलावा जिला प्रशासन के SDM को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन पेश किया गया है.

याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि 30 अक्टूबर 1948 में भारत सरकार के साथ सिंधिया परिवार का अनुबंध हुआ था. उस समय जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में उन सभी संपत्तियों का उल्लेख है जिन्हें सिंधिया स्टेट ने केंद्र सरकार को सौंप दी थी. भारत सरकार ही यह बता सकती है कि कौन सी संपत्तियां सिंधिया के पास है और कौन सी सरकार के पास है, इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले में पार्टी बनानी चाहिए. वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले के प्रभारी अधिकारी अनिल बनवारिया ने याचिका में उल्लेखित सर्वे नंबर की संपत्तियों को सिंधिया ट्रस्ट के नाम नामांतरण किया गया है, इसलिए वही बता पाएंगे कि उन्होंने किस नियम के तहत उन संपत्तियों का नामांतरण किया है. ये भी पढ़ें- इंदौर में शिवसेना के पूर्व जिला प्रमुख की गोली मारकर हत्या

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कब्जे वाले कमला राजे ट्रस्ट की जमीन के मामले में सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के लिए कहा है. इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी और कहा गया था कि कमला राजे ट्रस्ट ने बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के करीब 600 से ज्यादा बीघा जमीन को अपने नाम कराया है, जिसमें केंद्र सरकार के अलावा जिला प्रशासन के SDM को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन पेश किया गया है.

याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि 30 अक्टूबर 1948 में भारत सरकार के साथ सिंधिया परिवार का अनुबंध हुआ था. उस समय जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में उन सभी संपत्तियों का उल्लेख है जिन्हें सिंधिया स्टेट ने केंद्र सरकार को सौंप दी थी. भारत सरकार ही यह बता सकती है कि कौन सी संपत्तियां सिंधिया के पास है और कौन सी सरकार के पास है, इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले में पार्टी बनानी चाहिए. वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले के प्रभारी अधिकारी अनिल बनवारिया ने याचिका में उल्लेखित सर्वे नंबर की संपत्तियों को सिंधिया ट्रस्ट के नाम नामांतरण किया गया है, इसलिए वही बता पाएंगे कि उन्होंने किस नियम के तहत उन संपत्तियों का नामांतरण किया है. ये भी पढ़ें- इंदौर में शिवसेना के पूर्व जिला प्रमुख की गोली मारकर हत्या
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