ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दुष्कर्म का शिकार हुई एक नाबालिग लड़की की मां की याचिका पर उसका गर्भपात कराने के आदेश दिए हैं. याचिका में कहा गया था कि 12 साल की लड़की के गर्भधारण करने से ना केवल उसके जीवन पर खतरा है, बल्कि उसका सामाजिक दायरा भी सिमटने के आसार है. इसलिए कोर्ट गर्भपात को मंजूरी दे. कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के आधार पर 17 सप्ताह के गर्भ को हटाने यानी डीएनसी के आदेश दिए हैं. गर्भपात के लिए लड़की और उसकी मां को सीएमएचओ के सामने पेश होने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिए हैं.
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याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीएस आहलूवालिया की पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात की अनुमति देते हुए 7 दिन के भीतर गर्भपात कराने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश की एकल की पीठ ने इस संबंध में फैसला करते हुए कहा नाबालिग से घर में उस व्यक्ति का शिशु पल रहा है, जिसने उसके साथ दुष्कर्म किया है. यह बच्चा ना केवल उसके लिए जीवन पर सामाजिक कलंक रहेगा बल्कि उसे जन्म देने में उसकी जान को भी खतरा रहेगा.
पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने किया था यौन शोषण
गुना जिले में धरनावदा निवासी याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु हो चुकी है. वह ठेले पर सब्जी बेचकर परिवार का भरण पोषण करती है. सब्जी बेचकर वह 10 अक्टूबर 2020 को घर लौटी तो उनकी 12 वर्षीय बेटी मौजूद नहीं थी. पड़ोस में पता करने के बाद भी जब कुछ जानकारी नहीं मिली तो मां ने पुलिस थाना धरनावदा में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने 12 जनवरी 2021 को गांव से नाबालिग को बरामद कर लिया और उसके बयान के आधार पर 27 वर्षीय आरोपी को गिरफ्तार किया था. आरोपी को बाद में जेल भेज दिया गया था, जांच में नाबालिग पीड़िता गर्भवती पाई गई. इस पर नाबालिक की मां ने 11 फरवरी को उच्च न्यायालय में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी.