ग्वालियर। आपने इंसानों का अपहरण और फिरौती लेकर छोड़ने के किस्से बहुत सुने होंगे, लेकिन डकैतों की शरण स्थली रही ग्वालियर चंबल अंचल में भैंसों को अगवा कर उनसे फिरौती वसूली जाती है. जिसे स्थानीय भाषा में पनिहाई कहा जाता है. चंबल के इलाके में आज भी परिहाई एक बड़ा धंधा बनी हुई है, जिसमें ग्वालियर सबसे आगे है. जहां पर सबसे ज्यादा मवेशियों (भैंस, बकरी) की चोरी करके उनसे बदले में पनिहाई (फिरौती) ली जाती है. आईए जानते हैं कि चंबल में इंसान ही नहीं बल्कि भैंसों का अपहरण कर किस तरह फिरौती वसूली जाती है.
ग्वालियर चंबल अंचल में मवेशियों की फिरौती: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में भैंसे और बकरियों को चोरी कर उनसे फिरौती वसूली के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसमें ग्वालियर जिला सबसे आगे है. पुलिस की माने तो मध्य प्रदेश में मवेशी चोरी की लगभग 400 से अधिक शिकायतें आई हैं जिनमें से सबसे ज्यादा ग्वालियर चम्बल की हैं. भोपाल, इंदौर और जबलपुर जानवरों की चोरी में सबसे पीछे हैं. यही वजह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में लोग जानवरों की फिरौती से परेशान हैं. यहां मवेशियों (भैंस, बकरी) को अगवा करके उनसे फिरौती वसूली जाती है जिसे स्थानीय भाषा में पनिहाई कहा जाता है.
चंबल में फिरौती को बोलते हैं पनिहाई: अब हम आपको पनिहाई का मतलब समझते हैं. चंबल में पनिहाई का मतलब होता है कि चोर मवेशियों को वापस लौटाने के बदले उनके मालिकों से पनिहाई (फिरौती) वसूलते हैं. खास बात यह है कि ज्यादातर मवेशी मालिक भी पनिहाई देकर मवेशी वापस लेने पर भरोसा करते हैं. किसी भी मवेशी मलिक कि अगर भैंस या बकरी चोरी हो जाती है तो वह पनिहाई यानी फिरौती देकर ही वापस लौटती है और आंचल में 99 फrसदी चोरी हुए मवेशी ऐसी ही वापस लौटते हैं.
अंचल में मवेशी चोरी का धंधा पुश्तैनी: स्थानीय पुलिस का मानना है कि कुछ समुदायों में मवेशी चोरी का धंधा पुश्तेनी नहीं है. मवेशी चोरों की खुद की पूंजी लगती नहीं है सिर्फ कमाई होती है. मवेशी चोरों को जंगली रास्ते की जानकारी है इसलिए चोरी आसान कारोबार बन गया है. ग्वालियर रेंज में अभी तक 50 से ज्यादा मवेशी चोरी के केस दर्ज हुए हैं. यह गिनती तो उन मवेशियों की है जिनके पलकों ने पुलिस से शिकायत की है. इससे कई गुनी संख्या में यहां के मवेशी मलिक चोरों को पनिहाई (फिरौती) देकर मवेशी वापस ले चुके हैं उनकी कोई गिनती नहीं है.
अंचल में मवेशी चुराने के धंधे की जड़ें बरसों पुरानी: देश के जाने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और पूर्व डीएसपी अशोक भदौरिया बताते हैं कि ''मवेशी चुराने की धंधे की जड़े इस अंचल में बरसों पुरानी हैं और कुछ समुदायों ने पेशा बना रखा है. चोर, बिचौलिया और खरीदार तीन स्तर पर चोरी का धंधा संचालित होता है. सबसे मजबूत पक्ष चोरी के मवेशी खरीदने वाला होता है. यह लोग मवेशी चुराने वालों को ओना पोना दाम देकर चोरी का मवेशी खरीद लेते हैं फिर उसे लौटने की एवज में पनिहाई (फिरौती) वसूलते हैं. इस धंधे का सबसे बड़ा क्षेत्र चंबल नदी के आसपास का इलाका है. जहां पर यह धंधा करने वाले लोग मवेशियों को चुराकर चंबल नदी पार भेज देते हैं और उसके बाद फिर पनिहाई वसूलते हैं.'' एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और पूर्व डीएसपी अशोक भदौरिया बताते हैं कि ''पूर्व में जो पनिहाई लेता था उसे स्थानीय भाषा में झेला कहते हैं और जो हर थाने में रजिस्टर्ड होता था.''
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मवेशी चोरी के लिए यह इलाका कुख्यात: ग्वालियर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि ''मवेशी चोरी करने के बाद पनिहाई वसूलने के लिए ग्वालियर चंबल का इलाका कुख्यात माना जाता है. जहां सबसे ज्यादा मवेशियों को अगवा कर उनसे फिरौती वसूली जाती है. जिसमें मुरैना का बीहड़ इलाका सबसे अधिक सक्रिय होता है. इसके अलावा भिंड जिला भी इसके लिए कुख्यात है. वहीं, ग्वालियर में पनिहार, घाटीगांव, मोहना, आरोन में मवेशी चोरी की शिकायतें सबसे ज्यादा आती हैं. क्योंकि तिघरा से मोहना तक जंगली हिस्सा मुरैना और शिवपुरी के बॉर्डर से सटा है. इलाके में खेती के बाद दूध का बड़ा कारोबार है. मवेशी चोरों के लिए यह इलाका आसन टारगेट होता है.''
कहां कितने मवेशी हुए चोरी: ग्वालियर चंबल इलाके में सबसे ज्यादा ग्वालियर में मवेशी चोरी की शिकायतें दर्ज हुई हैं. ग्वालियर में 26 मवेशी चोरी की शिकायत है. वही शिवपुरी में 17, मुरैना में 11, श्योपुर में 6 मवेशी चोरी की शिकायत दर्ज हुई हैं. छोटे जिलों की गिनती में इंदौर रेंज का धार जिला भी मवेशी चोरी में सबसे आगे है. यहां अभी तक 26 मवेशी चोरी केस दर्ज हुए हैं. इसी तरह रेंज स्तर पर मवेशी चोरी की गिनती में भी इंदौर जिला सबसे आगे रहा है. सितंबर महीने तक यहां 51 और दूसरे नंबर पर ग्वालियर में 46, भोपाल में 45 और जबलपुर रेंज में सिर्फ 6 मवेशी चोरी की शिकायत दर्ज हुई हैं.