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अजान-अरदास के बीच विराजे हैं गोपाल, जन्माष्टमी पर करोड़ों के गहने से राधा-कृष्ण का करते हैं श्रंगार

हर बार जन्माष्टमी पर ग्वालियर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्ति को करोड़ों के गहने से सजाया जाता है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.

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Published : Aug 23, 2019, 12:04 AM IST

Updated : Aug 23, 2019, 11:29 AM IST

जन्माष्टमी पर करोड़ों के गहने से राधा-कृष्ण का करते हैं श्रंगार

ग्वालियर। फूलबाग में फूल की तरह सहेज कर रखे गये करोड़ों के हीरे-पन्ने, सोने-चांदी साल में सिर्फ एक बार ही निकाले जाते हैं, जिससे जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है. सिंधिया के रियासत काल में निर्मित गोपाल मंदिर को जन्माष्टमी पर दुल्हन की तरह सजाया जाता है, राधा-कृष्ण की मूर्तियों का कीमती गहनों से श्रंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं. लगभग 100 साल पुराने इस मंदिर में जन्माष्टमी की तैयारियां पहले से ही शुरु कर दी जाती है.

जन्माष्टमी पर करोड़ों के गहने से राधा-कृष्ण का करते हैं श्रंगार


सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक माने जाने वाले गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में माधवराव प्रथम ने की थी. जिसके एक तरफ निर्मित मस्जिद में दिन में पांच बार इबादत की जाती है, जबकि दूसरी ओर स्थित गुरूद्वारे में सुबह-शाम अरदास की जाती है. मस्जिद-गुरुद्वारे के बीच तामीर किये गये मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान का विशेष श्रंगार किया जाता है.


खास बात ये है कि मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों को करोड़ों रुपए के हीरे-जवाहरात से सजाया जाता है. जिसमें 55 पन्नों जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बासुरी, सोने की नथ और चांदी के बर्तन शामिल हैं. हीरे-मोती, पन्ने जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित मुकुट और आभूषण भगवान को पहनाए जाते हैं. जिनकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. बताया जाता है कि आजादी के पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रंगारित रहते थे, जिसे आजादी के बाद बैंकों के लॉकर में कैद कर दिया गया. 2007 में मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम को मिलने के बाद हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का इन जेवरातों से श्रंगार किया जाने लगा. यही वजह है कि जन्माष्टमी पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये जाते हैं.

ग्वालियर। फूलबाग में फूल की तरह सहेज कर रखे गये करोड़ों के हीरे-पन्ने, सोने-चांदी साल में सिर्फ एक बार ही निकाले जाते हैं, जिससे जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है. सिंधिया के रियासत काल में निर्मित गोपाल मंदिर को जन्माष्टमी पर दुल्हन की तरह सजाया जाता है, राधा-कृष्ण की मूर्तियों का कीमती गहनों से श्रंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं. लगभग 100 साल पुराने इस मंदिर में जन्माष्टमी की तैयारियां पहले से ही शुरु कर दी जाती है.

जन्माष्टमी पर करोड़ों के गहने से राधा-कृष्ण का करते हैं श्रंगार


सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक माने जाने वाले गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में माधवराव प्रथम ने की थी. जिसके एक तरफ निर्मित मस्जिद में दिन में पांच बार इबादत की जाती है, जबकि दूसरी ओर स्थित गुरूद्वारे में सुबह-शाम अरदास की जाती है. मस्जिद-गुरुद्वारे के बीच तामीर किये गये मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान का विशेष श्रंगार किया जाता है.


खास बात ये है कि मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों को करोड़ों रुपए के हीरे-जवाहरात से सजाया जाता है. जिसमें 55 पन्नों जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बासुरी, सोने की नथ और चांदी के बर्तन शामिल हैं. हीरे-मोती, पन्ने जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित मुकुट और आभूषण भगवान को पहनाए जाते हैं. जिनकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. बताया जाता है कि आजादी के पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रंगारित रहते थे, जिसे आजादी के बाद बैंकों के लॉकर में कैद कर दिया गया. 2007 में मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम को मिलने के बाद हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का इन जेवरातों से श्रंगार किया जाने लगा. यही वजह है कि जन्माष्टमी पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये जाते हैं.

Intro:ग्वालियर - कल पूरे देश भर में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जायेगा। देश भर के मंदिरो और राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को विशेष श्रंगार से सजाया जाएगा, लेकिन ग्वालियर के 100 वर्ष पुराने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बेहद खास होता है जी हां रियासत कालीन मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमाओं को करोड़ों रुपए के हीरे-जवाहरात जड़े जेवरातों से सजाया जाता है। इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रही है।

ग्वालियर के फूलबाग में स्थित सिंधिया कालीन 100 साल पुराने इस मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी पर खास जेवरातों से सजाया जाता है। प्रतिमाओं को रत्न जडित आभूषणों से सुसज्जित है जिनकी एंटिक कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हीरे मोती पन्ने जैसे बेश कीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण है। देश की स्वतंत्रता के पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रंगारित रहते थे, लेकिन देश आजाद होने के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में कैद पड़े थे। जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को इन बेशकीमती जेवरात पहनाए जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन जेवरातों को बैंक के लॉकर निकलकर राधा और गोपाल जी का श्रंगार किया जाता है।

बाइट - प्रदीप ,पुजारी गोपाल मंदिर

Body:फूल बाग स्थित गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने की थी उन्होंने भगवान् की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्तन जडित सोने के आभूषण बनवाये थे। इनमें राधा कृष्ण के 55 पन्नो और सात लड़ी का हार, सोने की बासुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन है। जन्माष्टमी पर इन रत्नों जड़़ित जेवरातों से राधा कृष्ण को श्रृंगारित किया जाता है, 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रंगारित रहते है, इस स्वरुप को देखने के लिए भक्तों को सालभर इंतजार रहता है, यही वजह है कि इनमें देशी ही नही विदेशी भक्त भी इस रुप को निहारने आते हैं।Conclusion:जन्माष्टमी के दिन मंदिर के बेशकीमती गहनों और भक्तों की सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल भी मंदिर में तैनात किया जाता है। मंदिर के अंदर और बाहर की सुक्षा के लिए करीब सवा सौ जवान तैनात रहते हैं। इसके लिए एसपी नवनीत भसीन ने कल मंदिर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए निर्देश दे दिए है ।

बाईट - सुरेंद्र सिंह ,

गोपाल जी का यह ऐतिहासिक मंदिर ग्वालियर के फूल बाग परिसर में हैं .इसके एक ओर गुरुद्वारा और जय विलास पैलेस है बही दूसरी और मोती मस्जिद .सांप्रदायिक सदभाव के प्रतीक इस मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने कराया था ।.

नोट - पैकेज में सबसे अंतिम बाला विसुअल जिसमे भगवान गोपाल हीरे मोती से जड़े आभूषण पहने है वह विसुअल फ़ाइल विसुअल है ।
Last Updated : Aug 23, 2019, 11:29 AM IST
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