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पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा- 'कारसेवकों के बलिदान से 5 अगस्त का दिन देखने को मिला'

जयभान सिंह पवैया अयोध्या से लौटने के बाद पहले सीधे दिवंगत कारसेवक दिनेश कुशवाह के घर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी, साथ ही उनकी मां से आशीर्वाद लिया. जयभान सिंह पवैया ने कहा कि 5 अगस्त का दिन भारत के स्वाभिमान भारत के आत्मसम्मान का दिन था.

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Published : Aug 8, 2020, 2:55 AM IST

Former minister Jaibhan Singh Pawaiya paid tribute to the late Karsevak
पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने दिवंगत कारसेवक को फि श्रधांजलि

ग्वालियर। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया राम मंदिर न्यास कार्यक्रम से शुक्रवार को वापस लौट आए हैं. जय भान सिंह पवैया अयोध्या से लौटने के बाद पहले सीधे दिवंगत कारसेवक दिनेश कुशवाह के घर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी, साथ ही उनकी मां से आशीर्वाद लिया.

इस दौरान पवैया ने कहा कि हम राम मंदिर आंदोलन के प्रतीक हैं. लेकिन कार सेवकों के बल का बलिदान नहीं होता तो 5 अगस्त का दिन देखने को नहीं मिलता. इसके साथ ही जयभान सिंह पवैया ने कहा कि 5 अगस्त का दिन भारत के स्वाभिमान भारत के आत्मसम्मान का दिन था.

जयभान सिंह पवैया ने कहा कि 5 अगस्त की दो घटनाएं हमेशा याद रहेगी. पहली रामलला के चरणो में इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने दंडवत साष्टांग किया हो. दूसरा मंच पर जाकर संतों को, अब ऐसा लग रहा है मानो पुरानी परंपरा जीवित हो गई है. जहां राज्य सत्ता से ज्यादा धर्म सत्ता बड़ी होती है. बता दें कि जयभान सिंह पवैया राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए हैं जिसके कारण उन्हें राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम का न्योता मिलने पर वह अयोध्या गए थे.

ग्वालियर। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया राम मंदिर न्यास कार्यक्रम से शुक्रवार को वापस लौट आए हैं. जय भान सिंह पवैया अयोध्या से लौटने के बाद पहले सीधे दिवंगत कारसेवक दिनेश कुशवाह के घर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी, साथ ही उनकी मां से आशीर्वाद लिया.

इस दौरान पवैया ने कहा कि हम राम मंदिर आंदोलन के प्रतीक हैं. लेकिन कार सेवकों के बल का बलिदान नहीं होता तो 5 अगस्त का दिन देखने को नहीं मिलता. इसके साथ ही जयभान सिंह पवैया ने कहा कि 5 अगस्त का दिन भारत के स्वाभिमान भारत के आत्मसम्मान का दिन था.

जयभान सिंह पवैया ने कहा कि 5 अगस्त की दो घटनाएं हमेशा याद रहेगी. पहली रामलला के चरणो में इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने दंडवत साष्टांग किया हो. दूसरा मंच पर जाकर संतों को, अब ऐसा लग रहा है मानो पुरानी परंपरा जीवित हो गई है. जहां राज्य सत्ता से ज्यादा धर्म सत्ता बड़ी होती है. बता दें कि जयभान सिंह पवैया राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए हैं जिसके कारण उन्हें राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम का न्योता मिलने पर वह अयोध्या गए थे.

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