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तिरंगे की बिक्री पर कोरोना की मार, MP की एकमात्र इकाई को लाखों का नुकसान - Gwalior flag News

कोरोना काल में सभी औद्योगिक इकाइयों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज बनाने वाली प्रदेश की एक मात्र इकाई मध्य भारत खादी संघ भी इस नुकसान से नहीं बच पाया है. खादी संघ को इस साल करीब 20 साल का नुकसान हुआ है.

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मध्य भारत खादी संघ
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Published : Aug 13, 2020, 8:02 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर प्रदेश का पहला शहर है, जहां तैयार किए गए राष्ट्रीय ध्वज देश के दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं. यहां मध्य भारत खादी संघ द्वारा भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है, लेकिन ये खादी संघ भी कोरोना के प्रभाव से बच नहीं पाया. इस साल खादी संघ के प्रोडक्शन में 40 फीसदी की कमी आई है, जिससे संस्था को करीब 20 लाख का नुकसान हुआ है. इस इकाई से प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कई अन्य राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज की सप्लाई की जाती है.

तिरंगे की बिक्री पर कोरोना की मार

सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी का असर

कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सभी स्कूल, कॉलेज के साथ अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी रहेगी. ध्वज प्रोडक्शन इकाई के प्रभारी कमल कुशवाह का कहना है कि 3 साल पहले ही ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ को भी ध्वज निर्माण की अनुमति मिली है. पहले साल इकाई का टर्नओवर लगभग 30 लाख रुपए और दूसरे साल लगभग 40 लाख रुपए था. इस बार उन्हें उम्मीद थी कि बिक्री 50 से 60 लाख के पार हो जाएगी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया है.

बीआईएस प्रमाणित ध्वज का निर्माण

मध्य भारत खादी संघ में बीआईएस प्रमाणित 3 साइज के तिरंगे तैयार किए जाते हैं. इसमें 2 बाई 3 फीट, 6 बाई 4 फीट, 3 बाई साढ़े 4 फीट के झंडे शामिल हैं. संस्था की तरफ से हर 15 दिनों में 300 झंडे बनाए जाते हैं. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए तय मानकों का ख्याल रखना होता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग, चक्र का साइज जैसे मानक शामिल हैं. खादी संघ की लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. कुल नौ मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्राय ध्वज तैयार किया जाता है.

देश के तीन शहरों में होता है राष्ट्रध्वज का निर्माण

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) द्वारा राष्ट्र ध्वज तैयार करने के तीन दस्तावेज जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी सिल्क या कॉटन के ही होंगे एवं मानकों के अनुसार ही बनाने होंगे. देश भर में राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण केवल मुंबई, हुबली और ग्वालियर में किया जाता है.

ग्वालियर। ग्वालियर प्रदेश का पहला शहर है, जहां तैयार किए गए राष्ट्रीय ध्वज देश के दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं. यहां मध्य भारत खादी संघ द्वारा भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है, लेकिन ये खादी संघ भी कोरोना के प्रभाव से बच नहीं पाया. इस साल खादी संघ के प्रोडक्शन में 40 फीसदी की कमी आई है, जिससे संस्था को करीब 20 लाख का नुकसान हुआ है. इस इकाई से प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कई अन्य राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज की सप्लाई की जाती है.

तिरंगे की बिक्री पर कोरोना की मार

सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी का असर

कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सभी स्कूल, कॉलेज के साथ अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी रहेगी. ध्वज प्रोडक्शन इकाई के प्रभारी कमल कुशवाह का कहना है कि 3 साल पहले ही ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ को भी ध्वज निर्माण की अनुमति मिली है. पहले साल इकाई का टर्नओवर लगभग 30 लाख रुपए और दूसरे साल लगभग 40 लाख रुपए था. इस बार उन्हें उम्मीद थी कि बिक्री 50 से 60 लाख के पार हो जाएगी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया है.

बीआईएस प्रमाणित ध्वज का निर्माण

मध्य भारत खादी संघ में बीआईएस प्रमाणित 3 साइज के तिरंगे तैयार किए जाते हैं. इसमें 2 बाई 3 फीट, 6 बाई 4 फीट, 3 बाई साढ़े 4 फीट के झंडे शामिल हैं. संस्था की तरफ से हर 15 दिनों में 300 झंडे बनाए जाते हैं. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए तय मानकों का ख्याल रखना होता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग, चक्र का साइज जैसे मानक शामिल हैं. खादी संघ की लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. कुल नौ मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्राय ध्वज तैयार किया जाता है.

देश के तीन शहरों में होता है राष्ट्रध्वज का निर्माण

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) द्वारा राष्ट्र ध्वज तैयार करने के तीन दस्तावेज जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी सिल्क या कॉटन के ही होंगे एवं मानकों के अनुसार ही बनाने होंगे. देश भर में राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण केवल मुंबई, हुबली और ग्वालियर में किया जाता है.

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