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कोराना काल में बच्चों के भविष्य पर संकट, बच्चे नहीं जाना चाहते स्कूल

अनलॉक 1.0 में दी गई ढील के बाद अब संभावना है कि स्कूल भी खोले जाएंगे. ऐसे में बच्चे स्कूल जाने के ख्याल से ही डर रहे हैं.

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स्कूल जाने में बच्चों को लग रहा डर
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Published : Jun 5, 2020, 10:13 PM IST

ग्वालियर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बाद अब स्कूली शिक्षा पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है. प्रदेश का शिक्षा विभाग आगामी समय में स्कूल ओपन करने पर विचार कर रहा है. जिसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जिसमें अहम सवाल ये है कि क्या बच्चे मानसिक रूप से स्कूल जाने को तैयार हैं. दूसरा सवाल ये है कि बच्चों के जहन से कोरोना संक्रमण का डर निकल पाएगा और इस डर के साए में बच्चे पढ़ाई कर पाएंगे. इन सब बातों को लेकर बच्चों के मन में संक्रमण का डर तो है ही वहीं पैरेंट्स भी उन्हें स्कूल भेजने पर घबरा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि इस साल वे अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई करना चाहते हैं.

कोराना काल में बच्चों की भविष्य पर संकट

वहीं पैरेंट्स का कहना है कि अगर स्कूलों में सुरक्षा के तमाम इंतजाम होते हैं और सरकार के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन तमाम सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी लेती है तो बच्चों को स्कूल भेजा जा सकता है. स्कूल खोलने को लेकर समाज सेवी सुधीर सप्रा का कहना है आगामी एक-दो महीने में स्कूल शुरू होंगे तो ये भी खतरे से खाली नहीं है. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ कोरोना से बचाव करना एक बड़ी चुनौती होगी.

माना जाता है कि स्कूल केवल छात्रों की पढ़ाई का जरिया ही नहीं है, बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं. ऐसे में केवल ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए ही शिक्षण कार्य पूरे हो सकें ये उपाय उतना कारगर नहीं हो सकता, क्योंकि आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जिनके पास स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं नहीं हैं.

ग्वालियर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बाद अब स्कूली शिक्षा पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है. प्रदेश का शिक्षा विभाग आगामी समय में स्कूल ओपन करने पर विचार कर रहा है. जिसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जिसमें अहम सवाल ये है कि क्या बच्चे मानसिक रूप से स्कूल जाने को तैयार हैं. दूसरा सवाल ये है कि बच्चों के जहन से कोरोना संक्रमण का डर निकल पाएगा और इस डर के साए में बच्चे पढ़ाई कर पाएंगे. इन सब बातों को लेकर बच्चों के मन में संक्रमण का डर तो है ही वहीं पैरेंट्स भी उन्हें स्कूल भेजने पर घबरा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि इस साल वे अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई करना चाहते हैं.

कोराना काल में बच्चों की भविष्य पर संकट

वहीं पैरेंट्स का कहना है कि अगर स्कूलों में सुरक्षा के तमाम इंतजाम होते हैं और सरकार के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन तमाम सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी लेती है तो बच्चों को स्कूल भेजा जा सकता है. स्कूल खोलने को लेकर समाज सेवी सुधीर सप्रा का कहना है आगामी एक-दो महीने में स्कूल शुरू होंगे तो ये भी खतरे से खाली नहीं है. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ कोरोना से बचाव करना एक बड़ी चुनौती होगी.

माना जाता है कि स्कूल केवल छात्रों की पढ़ाई का जरिया ही नहीं है, बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं. ऐसे में केवल ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए ही शिक्षण कार्य पूरे हो सकें ये उपाय उतना कारगर नहीं हो सकता, क्योंकि आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जिनके पास स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं नहीं हैं.

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