ग्वालियर। जिले में आबकारी विभाग ने आखिरकार ठेकेदारों द्वारा लाइसेंस सरेंडर करने के बाद मंगलवार दोपहर को शहर की एक दर्जन से ज्यादा दुकानों को खोल दिया है. इसके लिए आबकारी आरक्षकों के साथ ही पुराने ठेकेदार के लोगों की मदद ली जा रही है, लेकिन यहां भी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. वहीं मास्क पहनने जैसी जरूरी निर्देशों की अवहेलना होती देखी गई, जहां आबकारी आरक्षक लगे थे, वहां कुछ देर के बाद मीडिया के कैमरे देखकर गोलों में लोगों को खड़ा किया गया, लेकिन अधिकांश दुकानों पर भीड़ उमड़ रही थी. लोग एक दूसरे से सटकर खड़े थे और मास्क भी नहीं पहने थे.
ग्वालियर जिले के करीब 400 करोड रुपए के ठेकों को चलाने से लाइसेंस धारी ठेकेदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं और अपने लाइसेंस 3 दिन पहले सरेंडर कर दिये हैं. जिसके बाद आबकारी विभाग के पास इन ठेकों को चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, लेकिन आबकारी विभाग कब तक इन ठेकों को चलाएगा ये कह पाना फिलहाल मुश्किल है. हालांकि रीऑक्शन की चर्चाएं भी विभाग में जोर पकड़ रही हैं. आबकारी विभाग के अफसर करीब ढाई महीने से बंद पड़े इन दुकानों को खुलवाने की कोशिश में जुटे रहे लेकिन अधिकांश ठेकों पर पुराने ठेकेदारों के आदमी ही काम करते नजर आए.
आबकारी विभाग के इक्का-दुक्का लोग ही दुकानों पर तैनात थे. खास बात यह भी है कि इन शराब दुकानों पर प्रिंट रेट पर जीएसटी लगाकर शराब बेची जा रही थी लोगों को उम्मीद थी कि सरकार जब शराब बेचेगी तो उसे सस्ती शराब मिलेगी, लेकिन लॉक डाउन के दौरान लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों पर शराब बेची गई उसी रेट पर आबकारी विभाग शराब बेच रहा है.