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Proud Moment : कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में जुटी एमपी की बेटी

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मध्यप्रदेश की बेटी डॉ. हिमांशा सिंह यूके के लन्दन में कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज में लगी है.

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कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में जुटी एमपी की बेटी
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Published : Mar 30, 2020, 3:30 PM IST

Updated : Mar 30, 2020, 9:32 PM IST

ग्वालियर। इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. चीन से शुरू हुआ ये वायरस अब पूरी दुनिया में फैल चुका है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था और 130 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए ये एक झटके जैसा है. जहां धीरे-धीरे कोरोना वायरस अपने जड़े जमा रहा. माया नगरी के नाम से मशहूर मुंबई शहर में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है. वहीं भारत के लगभग सभी शहरों में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. कहते हैं अंधेरे में दीये की एक रोशनी ही काफी होती है और वो रोशनी बनकर उभर रही है ग्वालियर चंबल अंचल की बेटी डॉ हिमांशा. यूके के लंदन में कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में लगी है और इसी खोज का हिस्सा है. हिमांशा को 2017 में सीएसएआर अवार्ड से भी सम्मानित किया चुका है. वैक्सीन को लेकर ईटीवी भारत ने हिमांशा से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में जुटी एमपी की बेटी

सवाल- डॉ. हिमांशा आप इस समय लंदन में हैं कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया के सभी साइंटिस्टों के साथ इसकी वैक्सीन बनाने में जुटी है इस समय आप कहां हैं और किस टीम का हिसा है?

हिमांशा- हां जी, इस समय केम्ब्रिज और इम्पीरियर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च करने में जुटी हुई है.मैं इस टीम का हिस्सा हूं. इस समय हमारे यहां जो रिसर्च चल रही है वो RNA मटेरियल से वैक्सीन बनाने की है. पूरे विश्व में 35 कंपनी, 700 से ज्यादा इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं.

सवाल- डॉ. हिमांशा कोरोना वायरस है क्या, आप इसके बारे में विस्तार से बताएं तो बेहतर होगा

हिमांशा - ये बॉल के आकार का वायरस है, जिसके ऊपर कांटे लगे हुए हैं, कोरोना मतलब ‘‘क्राउन‘‘ जिसका हिंदी में मतलब होता है मुकुट. जिसके ऊपर कांटे लगे होते हैं, उसके अंदर एस आकार के आरएनए मटेरियल मौजूद है. ये वायरस कांटों के माध्यम से शरीर के अंदर चिपक जाता है.सबसे पहले शरीर के लंग्स को प्रभवित करता है. ये कोरोना फैमिली का वायरस हैं. ज्यादातर ये वायरस जानवरों में पाया गया है लेकिन पहले भी 7 तरह के वायरस जानवरों से इंसानो में भी पाए गए हैं. ये वायरस लंग्स की सेल्स से चिपक कर उसके बाद तेजी से फैलता है. इसकी तीन स्टेज होती है पहले ये लंग्स में जाता है, जिसके बाद उन सैल्स का उपयोग करके दोगूनी संख्या में ये वायरस लोअर लंग्स में पहुंचता है. दूसरी स्टेज में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की कोषिकाओं से लड़ता है.अगर किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. तो वायरस उसकी जान भी ले सकता है. खासकर बुजुर्ग और जिन्हें कोई बीमारी है जैसे दमा,अस्थमा और डायबटीज वाले मरीजों पर ये वायरस हावी हो जाता है.

सवाल- क्या यह वायरस सार्स और H1N1 का रूप है?

हिमांशा -कोरोना फैमिली में ज्यादातर जानवरों के वायरस होती है. इस स्थिती में 7 वायरस इंसानों में भी आ चुके हैं. ये सार्स वायरस से मिलता जुलता है. इसका 80 से 90 प्रतिशत ब्लू प्रिंट सार्स वायरस से मिलता है इसलिए इसको सार्स कोविड 2 भी कहा जाता है. लेकिन ये सार्स से ज्यादा खतरनाक है.

सवाल- अगर किसी को इस वायरस से इंफेक्शन हो जाता है तो इसका सबसे पहले कंफर्मेशन टेस्ट कैसे किया जाएगा?

हिमांशा - इसका सबसे पहला टेस्ट जो आसान होता है वो है पीसीआर टीपीसीआर. इसमें आप अपने शरीर का स्वैप लेते हैं और मशीन में डालते हैं. अगर आपके मटेरियल में वो मौजूद है तो उस वायरस के आरएनए को देख लेंगे. अगर उसके अंदर है तो वो पीसीआर के जरिए पता चल जाएगा. लेकिन हमें ये नही बता सकता कि इस वायरस की हिस्ट्री क्या है. ये टेस्टिंग सिंगापुर में डवलप हो चूकी है. एंटी बॉडीज द्वारा सिरोलॉलिकल टेस्ट कर रहे है.

सवाल- कोरोना वायरस अचानक से पूरी दुनिया में एकदम उभर कर कैसे आया?

हिमांशा - कोरोना की फैमिली बहुत टाइम से चली आ रही है. ये फैमिली 1919 में फैली थी. 2009 में सार्स आया था. जानकारी के मुताबिक ये तब होता है जब हम किसी जानवर को खाते है या उसके संपर्क मे आते है.

सवाल- हिमांशा जी दुनिया घबराई हुई है, सभी को अब सिर्फ ज़िन्दगी बचाने की पड़ी है. अमेरिका, चीन, इटली, जापान जैसे देश भी इसके सामने हताश खड़े हैं। आप को कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है दुनिया के लिए ?

हिमांशा - हम आरएनए मटैरियल को शरीर के अंदर डालेंगे, जब आरएनए मटेरियल शरीर के अंदर जाएगा तो हमारे शरीर के अंदर वायरस के जैसी छवि बनाएगा. जिससे कि हमारी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता एक्टिव हो जाएगी और हमारे शरीर में एंटी बॉडी बन जाएगी. जब असल में वायरस आएगा तो हमारे पास इतने सिम्टम्स होंगे कि वो फाइट कर सके. इस समय एमआरएनए बेस्ड वैक्सिन चल रही है. चूहों मे ये वैक्सीन यूज हुई है. जिसके बाद यह देखने मिला है कि चूहों ने भी एंटी बॉडीज बनाई है. अब इंसान भी बना पाएंगे ये देखने की बात है.

सवाल- डॉ. आप दुनिया भर के लोगों ख़ासकर अपने देश के लोगों से कुछ कहना चाहेंगी ?

हिमांशा - मेरा यही संदेश है आप सफाई से रहें, हाथों को धोते रहें, जर्म फ्री रहें. सबसे बड़ी बात है अपनी सरकार की सुनें, जो कहा जा रहा है कि आपके लिये ही कहा जा रहा है, गुज़ारिश हे कि घर से बाहर न निकलें, हाथों को बगैर धोएं, मुंह तक न ले जाएं. सहस से रहें दूसरों को भी साहस दीजिये. आप सेहत से रहें, सुरक्षित रहें बचाव से रहें. बहुत-बहुत शुक्रिया.

ग्वालियर। इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. चीन से शुरू हुआ ये वायरस अब पूरी दुनिया में फैल चुका है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था और 130 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए ये एक झटके जैसा है. जहां धीरे-धीरे कोरोना वायरस अपने जड़े जमा रहा. माया नगरी के नाम से मशहूर मुंबई शहर में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है. वहीं भारत के लगभग सभी शहरों में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. कहते हैं अंधेरे में दीये की एक रोशनी ही काफी होती है और वो रोशनी बनकर उभर रही है ग्वालियर चंबल अंचल की बेटी डॉ हिमांशा. यूके के लंदन में कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में लगी है और इसी खोज का हिस्सा है. हिमांशा को 2017 में सीएसएआर अवार्ड से भी सम्मानित किया चुका है. वैक्सीन को लेकर ईटीवी भारत ने हिमांशा से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में जुटी एमपी की बेटी

सवाल- डॉ. हिमांशा आप इस समय लंदन में हैं कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया के सभी साइंटिस्टों के साथ इसकी वैक्सीन बनाने में जुटी है इस समय आप कहां हैं और किस टीम का हिसा है?

हिमांशा- हां जी, इस समय केम्ब्रिज और इम्पीरियर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च करने में जुटी हुई है.मैं इस टीम का हिस्सा हूं. इस समय हमारे यहां जो रिसर्च चल रही है वो RNA मटेरियल से वैक्सीन बनाने की है. पूरे विश्व में 35 कंपनी, 700 से ज्यादा इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं.

सवाल- डॉ. हिमांशा कोरोना वायरस है क्या, आप इसके बारे में विस्तार से बताएं तो बेहतर होगा

हिमांशा - ये बॉल के आकार का वायरस है, जिसके ऊपर कांटे लगे हुए हैं, कोरोना मतलब ‘‘क्राउन‘‘ जिसका हिंदी में मतलब होता है मुकुट. जिसके ऊपर कांटे लगे होते हैं, उसके अंदर एस आकार के आरएनए मटेरियल मौजूद है. ये वायरस कांटों के माध्यम से शरीर के अंदर चिपक जाता है.सबसे पहले शरीर के लंग्स को प्रभवित करता है. ये कोरोना फैमिली का वायरस हैं. ज्यादातर ये वायरस जानवरों में पाया गया है लेकिन पहले भी 7 तरह के वायरस जानवरों से इंसानो में भी पाए गए हैं. ये वायरस लंग्स की सेल्स से चिपक कर उसके बाद तेजी से फैलता है. इसकी तीन स्टेज होती है पहले ये लंग्स में जाता है, जिसके बाद उन सैल्स का उपयोग करके दोगूनी संख्या में ये वायरस लोअर लंग्स में पहुंचता है. दूसरी स्टेज में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की कोषिकाओं से लड़ता है.अगर किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. तो वायरस उसकी जान भी ले सकता है. खासकर बुजुर्ग और जिन्हें कोई बीमारी है जैसे दमा,अस्थमा और डायबटीज वाले मरीजों पर ये वायरस हावी हो जाता है.

सवाल- क्या यह वायरस सार्स और H1N1 का रूप है?

हिमांशा -कोरोना फैमिली में ज्यादातर जानवरों के वायरस होती है. इस स्थिती में 7 वायरस इंसानों में भी आ चुके हैं. ये सार्स वायरस से मिलता जुलता है. इसका 80 से 90 प्रतिशत ब्लू प्रिंट सार्स वायरस से मिलता है इसलिए इसको सार्स कोविड 2 भी कहा जाता है. लेकिन ये सार्स से ज्यादा खतरनाक है.

सवाल- अगर किसी को इस वायरस से इंफेक्शन हो जाता है तो इसका सबसे पहले कंफर्मेशन टेस्ट कैसे किया जाएगा?

हिमांशा - इसका सबसे पहला टेस्ट जो आसान होता है वो है पीसीआर टीपीसीआर. इसमें आप अपने शरीर का स्वैप लेते हैं और मशीन में डालते हैं. अगर आपके मटेरियल में वो मौजूद है तो उस वायरस के आरएनए को देख लेंगे. अगर उसके अंदर है तो वो पीसीआर के जरिए पता चल जाएगा. लेकिन हमें ये नही बता सकता कि इस वायरस की हिस्ट्री क्या है. ये टेस्टिंग सिंगापुर में डवलप हो चूकी है. एंटी बॉडीज द्वारा सिरोलॉलिकल टेस्ट कर रहे है.

सवाल- कोरोना वायरस अचानक से पूरी दुनिया में एकदम उभर कर कैसे आया?

हिमांशा - कोरोना की फैमिली बहुत टाइम से चली आ रही है. ये फैमिली 1919 में फैली थी. 2009 में सार्स आया था. जानकारी के मुताबिक ये तब होता है जब हम किसी जानवर को खाते है या उसके संपर्क मे आते है.

सवाल- हिमांशा जी दुनिया घबराई हुई है, सभी को अब सिर्फ ज़िन्दगी बचाने की पड़ी है. अमेरिका, चीन, इटली, जापान जैसे देश भी इसके सामने हताश खड़े हैं। आप को कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है दुनिया के लिए ?

हिमांशा - हम आरएनए मटैरियल को शरीर के अंदर डालेंगे, जब आरएनए मटेरियल शरीर के अंदर जाएगा तो हमारे शरीर के अंदर वायरस के जैसी छवि बनाएगा. जिससे कि हमारी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता एक्टिव हो जाएगी और हमारे शरीर में एंटी बॉडी बन जाएगी. जब असल में वायरस आएगा तो हमारे पास इतने सिम्टम्स होंगे कि वो फाइट कर सके. इस समय एमआरएनए बेस्ड वैक्सिन चल रही है. चूहों मे ये वैक्सीन यूज हुई है. जिसके बाद यह देखने मिला है कि चूहों ने भी एंटी बॉडीज बनाई है. अब इंसान भी बना पाएंगे ये देखने की बात है.

सवाल- डॉ. आप दुनिया भर के लोगों ख़ासकर अपने देश के लोगों से कुछ कहना चाहेंगी ?

हिमांशा - मेरा यही संदेश है आप सफाई से रहें, हाथों को धोते रहें, जर्म फ्री रहें. सबसे बड़ी बात है अपनी सरकार की सुनें, जो कहा जा रहा है कि आपके लिये ही कहा जा रहा है, गुज़ारिश हे कि घर से बाहर न निकलें, हाथों को बगैर धोएं, मुंह तक न ले जाएं. सहस से रहें दूसरों को भी साहस दीजिये. आप सेहत से रहें, सुरक्षित रहें बचाव से रहें. बहुत-बहुत शुक्रिया.

Last Updated : Mar 30, 2020, 9:32 PM IST
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