ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी के फार्मेसी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर मुगल तैलंग ने दुही की पत्तियों से गर्भाशय के कैंसर का इलाज करने का अर्क तैयार किया है. शोध में दुही की पत्तियों से बने अर्क से गर्भाशय कैंसर की 90 फीसदी कोशिकाएं 10 दिन में खत्म हो गईं. जीवाजी यूनिवर्सिटी इस अर्क को पेटेंट के लिए भेज रहा है.
प्रोफेसर मुगल तैलंग ने शोध किया तो पाया कि राइटिया टिंकटोरिया यानी दुही की पेड़ में कैंसर विरोधी तत्व होते हैं. पेड़ के अलग-अलग हिस्सों में कैंसर रोधी तत्व को तलाश किया गया तो पता चला कि पेड़ की पत्ती में कैंसर रोधी वीटा आमायारीन और फ्लेकोइट्स सहित अन्य तत्व मौजूद होते हैं.
इस आधार पर प्रोफेसर मुकुल ने दुही के पेड़ की पत्ती का अर्क तैयार किया और संरक्षित करके रखी गई इम्मोर्टल कैंसर कोशिकाओं का दुही के अर्क से ट्रीटमेंट शुरू किया गया, तो 10 दिन में 90 फीसदी कैंसर कोशिकाएं खत्म हो गई.
फार्मेसी अध्ययन शाला के छात्रों ने शोध के दौरान यह जानकारी जुटाई देश में प्रतिवर्ष करीब सवा लाख महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के लक्षण दिखाई दिए थे. इनमें से 75 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है. गर्भाशय कैंसर का शिकार हर उम्र की महिलाएं होती हैं. दुही से बने अर्क से गर्भाशय कैंसर के इलाज की संभावना से शोधार्थी छात्र भी खुश नजर आ आ रहे हैं.
जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा दुही के को पेटेंट के लिए भेजा गया है. इसके अलावा जेयू के लगभग 50 रिसर्च पिछले 1 साल में पेटेंट के लिए भेजने की तैयारी की है. उम्मीद है कि दुही के अर्क के जरिए गर्भाशय के कैंसर के लिए एक कामयाब और सस्ती दवा लोगों को उपलब्ध हो सकती है.