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जीवाजी विश्वविद्यालय में डॉ. केशव सिंह गुर्जर को बनाया गया नया डीसीडीसी

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Published : Sep 7, 2020, 9:03 PM IST

जीवाजी यूनिवर्सिटी के छात्र अधिष्ठाता डॉ. केशव सिंह गुर्जर को नया डायरेक्टर कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल बनाया गया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति, खेल मैदान और दूसरे संसाधन जुटाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी.

Jiwaji University
जीवाजी विश्वविद्यालय

ग्वालियर। जिले के जीवाजी विश्वविद्यालय में अब तक छात्र कल्याण अधिष्ठाता रहे डॉ. केशव सिंह गुर्जर को नया डायरेक्टर कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल (DCDC) बनाया गया है. उनकी नई नियुक्ति के पहले डीसीडीसी प्रोफेसर डीडी अग्रवाल को नया रैक्टर बनाया गया है. इसके निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं, जगह खाली पर डॉक्टर गुर्जर की नियुक्ति की गई है. पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. गुर्जर ने बताया कि कॉलेजों में शिक्षा का स्तर सुधारने और वहां पर्याप्त संसाधन जुटाने की उनकी कोशिश होगी.

जीवाजी विश्वविद्यालय

ग्वालियर-चंबल संभाग में आठ जिलों के करीब 400 से ज्यादा कॉलेज आते हैं. यहां कॉलेज की अधोसंरचना के साथ ही विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति, खेल मैदान और दूसरे संसाधन जुटाना और उनकी देखरेख करने का काम डीसी का रहता है.

अधिकांश अशासकीय कॉलेज यूजीसी की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए किसी तरह से बिना भवन, खेल मैदान, शिक्षकों की भर्ती सहित अन्य कर्मियों के बावजूद भी मान्यता हासिल कर लेते हैं. जिन पर नकेल कसना नए डीसी डीसी के लिए चुनौतीपूर्ण काम होगा. डीसी डीसी की अनुशंसा के बाद ही कार्यपरिषद की बैठक में कॉलेजों की मान्यता को अंतिम रूप से स्वीकृति दी जाती है.

ग्वालियर। जिले के जीवाजी विश्वविद्यालय में अब तक छात्र कल्याण अधिष्ठाता रहे डॉ. केशव सिंह गुर्जर को नया डायरेक्टर कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल (DCDC) बनाया गया है. उनकी नई नियुक्ति के पहले डीसीडीसी प्रोफेसर डीडी अग्रवाल को नया रैक्टर बनाया गया है. इसके निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं, जगह खाली पर डॉक्टर गुर्जर की नियुक्ति की गई है. पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. गुर्जर ने बताया कि कॉलेजों में शिक्षा का स्तर सुधारने और वहां पर्याप्त संसाधन जुटाने की उनकी कोशिश होगी.

जीवाजी विश्वविद्यालय

ग्वालियर-चंबल संभाग में आठ जिलों के करीब 400 से ज्यादा कॉलेज आते हैं. यहां कॉलेज की अधोसंरचना के साथ ही विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति, खेल मैदान और दूसरे संसाधन जुटाना और उनकी देखरेख करने का काम डीसी का रहता है.

अधिकांश अशासकीय कॉलेज यूजीसी की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए किसी तरह से बिना भवन, खेल मैदान, शिक्षकों की भर्ती सहित अन्य कर्मियों के बावजूद भी मान्यता हासिल कर लेते हैं. जिन पर नकेल कसना नए डीसी डीसी के लिए चुनौतीपूर्ण काम होगा. डीसी डीसी की अनुशंसा के बाद ही कार्यपरिषद की बैठक में कॉलेजों की मान्यता को अंतिम रूप से स्वीकृति दी जाती है.

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