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जनपद सम्मेलन कार्यक्रमः 'सहजता से बोली जाने वाली भाषा है संस्कृत'

जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में संस्कृत भाषा का महत्व समझाने और संस्कृत के प्रचार प्रसार और आम लोगों तक उसे पहुंचाने के मकसद से कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

District Conference Program
जनपद सम्मेलन कार्यक्रम
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Published : Mar 22, 2021, 2:42 AM IST

ग्वालियर। मातृभाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार और आम लोगों तक उसे पहुंचाने के मकसद से ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में संस्कृत भारती ने जनपद सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षाविद् और समाजसेवियों ने भाग लिया. इस दौरान स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी थे. जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने की. कार्यक्रम में लोगों ने संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए की जा रही कोशिशों के बारे में बताया.

जनपद सम्मेलन कार्यक्रम
  • सहजता से बोली जाने वाली भाषा है संस्कृत

आयोजकों का कहना है कि पहले संस्कृत भाषा का इतना चलन नहीं था, लेकिन मौजूदा दौर में लोग संस्कृत भाषा की गंभीरता समझते हुए इसे सीख रहे हैं. ग्वालियर में ही ऐसे हजारों लोग है जो धाराप्रवाह संस्कृत भाषा बोलते हैं. जबकि कई लोग ऐसे भी हैं जो संस्कृत भाषा को 50 फीसदी बोल सकते हैं, लेकिन वह 70 फीसदी इसे अच्छी तरह संस्कृत भाषा को समझ भी लेते हैं. कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए और बताया कि संस्कृत सहजता से बोली जाने वाली भाषा है.

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  • जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में हुआ कार्यक्रम

यह कार्यक्रम ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में हुआ. इसमें जाने-माने सर्जन डॉक्टर एसएन तिवारी और प्रकांड संस्कृत विद्वान बाल कृष्ण भारद्वाज भी विशेष रूप से मौजूद रहे. संस्कृत साहित्य से जुड़े कई उपन्यास और पत्र पत्रिकाएं भी विश्वविद्यालय के गालव सभागार के बाहर आने वाले लोगों के लिए लगाई गई. इसमें स्वामी विवेकानंद के अलावा देश के महान विभूतियों की जीवनी संस्कृत भाषा में अंकित थी.

ग्वालियर। मातृभाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार और आम लोगों तक उसे पहुंचाने के मकसद से ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में संस्कृत भारती ने जनपद सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षाविद् और समाजसेवियों ने भाग लिया. इस दौरान स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी थे. जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने की. कार्यक्रम में लोगों ने संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए की जा रही कोशिशों के बारे में बताया.

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  • सहजता से बोली जाने वाली भाषा है संस्कृत

आयोजकों का कहना है कि पहले संस्कृत भाषा का इतना चलन नहीं था, लेकिन मौजूदा दौर में लोग संस्कृत भाषा की गंभीरता समझते हुए इसे सीख रहे हैं. ग्वालियर में ही ऐसे हजारों लोग है जो धाराप्रवाह संस्कृत भाषा बोलते हैं. जबकि कई लोग ऐसे भी हैं जो संस्कृत भाषा को 50 फीसदी बोल सकते हैं, लेकिन वह 70 फीसदी इसे अच्छी तरह संस्कृत भाषा को समझ भी लेते हैं. कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए और बताया कि संस्कृत सहजता से बोली जाने वाली भाषा है.

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  • जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में हुआ कार्यक्रम

यह कार्यक्रम ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में हुआ. इसमें जाने-माने सर्जन डॉक्टर एसएन तिवारी और प्रकांड संस्कृत विद्वान बाल कृष्ण भारद्वाज भी विशेष रूप से मौजूद रहे. संस्कृत साहित्य से जुड़े कई उपन्यास और पत्र पत्रिकाएं भी विश्वविद्यालय के गालव सभागार के बाहर आने वाले लोगों के लिए लगाई गई. इसमें स्वामी विवेकानंद के अलावा देश के महान विभूतियों की जीवनी संस्कृत भाषा में अंकित थी.

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