ग्वालियर। चंबल अंचल में ही आगामी कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव का प्रमुख कारण क्षेत्र रहने वाला है, इसको लेकर सेनापति भी तय हो गए हैं. एक ओर बीजेपी ने अगले विधानसभा चुनाव की पूरी कमान कांग्रेस छोड़कर आए और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंप दी है तो वहीं अब कांग्रेस ने भी चंबल अंचल की जिम्मेदारी के लिए दिग्गी को मैदान में उतारा है.
भाजपा की धाक बनाए रखेंगे सिंधिया: भाजपा हाईकमान ने पार्टी की धाक बरकरार रखने के लिए सिंधिया को जिस हिसाब से चंबल अंचल का जिम्मा सौंपा था, वो कहीं ना कहीं पूरा भी होता दिख रहा है कयोंकि पार्टी की एक्टिविटी क्षेत्र में लगातार बढ़ते हुए देखने को मिल रही है. यहां सिंधिया लगातार दौरे कर रहे हैं और सबसे खास बात यह है कि महीने में लगभग 20 दिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर अंचल के दौरे पर रह रहे हैं. हालात यह है कि ग्वालियर अंचल में सिंधिया के बिना कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो रहा है.
सिंधिया को टक्कर देने आए दिग्गी: वहीं कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया के खिलाफ मोर्चाबंदी का जिम्मा उनके कट्टर विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपा है. वैसे भी सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद से ही दिग्विजय सिंह इस क्षेत्र में काफी सक्रिय है और वह कांग्रेस के इकलौते ऐसे नेता है जो अच्छा खासा अपना वर्चस्व रखते हैं. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में रणनीति तैयार करने के लिए दिग्विजय सिंह शुरुआत करते हैं. बताया जा रहा है कि अब दिग्गी विधानसभा चुनाव तक अपना समय चंबल-अंचल में गुजारेंगे और पार्टी संगठन को खड़ा करने, कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने का काम करेंगे. यही कारण है कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पहले चरण की शुरुआत गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की विधानसभा क्षेत्र दतिया से की है. उन्होंने दतिया में पहुंचकर कांग्रेस नेता कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठक में की और उसके बाद गुना पहुंचे, जहां वे आज गुना और शिवपुरी में कार्यकर्ता, नेता और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और रणनीति तैयार करेंगे.
सिंधिया के क्षेत्र में कांग्रेस फूकेंगी जान: पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह दूसरे चरण 26 मार्च से फिर दो-तीन दिन के लिए ग्वालियर पहुंचेंगे और इस दौरान वह ग्वालियर में पार्टी के लोगों के साथ अलग-अलग मैराथन बैठक करेंगे. बता दें कि ग्वालियर में दिग्विजय सिंह का सबसे अधिक फोकस रहेगा क्योंकि यहां पर उनके धुर विरोधी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है और यही कारण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस तरीके से लगातार अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, वैसे ही दिग्विजय सिंह यहां पर कांग्रेस में जान फूंकने का और रणनीति तैयार करने का काम करेंगे.
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दिग्गी सिंधिया के लिए कैसे बनेंगे चुनौती: ग्वालियर चंबल अंचल में दोनों ही नेता अपने आप में दिक्कत है बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल में काफी अपना वर्चस्व रखते हैं और अंचल की 34 विधानसभा सीटों पर सीधे तौर पर कार्यकर्ता और जमीनी लोगों से जुड़े हुए हैं, तो वहीं इसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी कम नहीं है. वह भी चंबल अंचल की 34 सीटों पर एक-एक कार्यकर्ता और हर कोई व्यक्ति से जुड़े हुए हैं. अंचल में उनकी एक अलग पहचान है और वह सबसे ज्यादा खास बात यह है कि वह अपने कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क में रहते हैं इसलिए सिंधिया के लिए जबरदस्ती एक बड़ी चुनौती रहने वाले हैं.
पार्टियां अपने नेता को सर्वोच्च बताने में जुटीं: ग्वालियर चंबल अंचल में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की सक्रियता और जिम्मेदारी को लेकर बीजेपी का कहना है कि "जहां-जहां दिग्विजय सिंह जाते हैं, वहां पर बंटाधार हो जाता है. यही कारण है कि अब ग्वालियर चंबल अंचल में जिस तरीके से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को कमान सौंपी है, मतलब समझिए कि अब बीजेपी को जीतने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करना पड़ेगा क्योंकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस को नहीं बल्कि बीजेपी को जिताने का काम करते हैं. " वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आर पी सिंह का कहना है कि "आगामी विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के लिए कोई मुद्दा नहीं हैं. हमारे नेता दिग्विजय सिंह इस ग्वालियर चंबल अंचल के सर्वमान्य नेता है और इस अंचल की जनता के साथ-साथ कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता उनसे जुड़ा हुआ है."