ग्वालियर। कोरोना के बाद अब ग्वालियर जिले में डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 200 के पार हो चुका है. पिछले 24 घंटे में 37 मरीजों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है, जिसमें से 18 मरीज ग्वालियर जिले से सामने आए हैं. ग्वालियर जिले के 10 से ज्यादा ऐसे वार्ड हैं जहां डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. इन क्षेत्रों में नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम लार्वा को नष्ट करने का काम कर रही है.
ग्वालियर चंबल अंचल में अब डेंगू बेकाबू होने लगा है. ग्वालियर शहर के 10 वार्ड ऐसे हैं जो डेंगू के हॉटस्पॉट बन गए हैं. इन वार्डों में हर दिन दर्जनों डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य की तरफ से लार्वा को नष्ट करने का के लिए टीमें तैनात की गई है. लेकिन अभी भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पर स्वास्थ्य का अमला नहीं पहुंच पाया है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यह लापरवाही सामने आ रही है. हालांकि जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि हर जगह स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी जा रही है.
जयारोग्य अस्पताल में बढ़ रही मरीजों की संख्या
मौसमी बीमारी, मलेरिया और डेंगू के चलते इस समय अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. ओपीडी में मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है. इस कारण अस्पताल में बेड कम पड़ने लगे हैं. शहर के सबसे बड़े अस्पताल के हालात यह है कि यहां एक बेड पर दो-दो मरीजों को लेटाकर इलाज किया जा रहा है.
बढ़ रही है डेंगू मरीजों की संख्या
शहर में मौसमी बीमारी के साथ-साथ मलेरिया और डेंगू के मरीज भी ज्यादा निकल रहे हैं. ग्वालियर शहर प्रदेश का चौथा ऐसा शहर बन गया है जहां पर सबसे अधिक डेंगू के मरीज पाए जा रहे हैं. अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने से दवाइयों की डिमांड भी दोगुनी हो गई है. डेंगू के इलाज में उपयोग की जाने वाली ग्लूकोस की बोतल और टेबलेट की कमी के चलते मरीजों के परिजनों को दवाइयां अब बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
स्वास्थ्य विभाग धीमी रफ्तार से कर रहा है सर्वे का काम
शहर में लगातार डेंगू की केस बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम का काम दिखाई नहीं दे रहा है. जिले में करीब 5 लाख घर हैं और डोर टू डोर एंटी लार्वा अभियान के लिए मलेरिया विभाग के पास सिर्फ 27 कर्मचारी है. निगम क्षेत्र में तीन वार्ड पर एक कर्मचारी है. हालांकि दावा किया जा रहा है कि जनवरी से अभी तक 2 लाख 90 हजार घरों का सर्वे हुआ है. लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है यही वजह है कि संसाधन कम होने के चलते स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम का अमला घर नहीं पहुंच रहा है.