ग्वालियर। ग्वालियर जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाए गए परिवार नियोजन कार्यक्रम जिले में कई जिलों से अपना अपेक्षित टारगेट पूरा नहीं कर सका है. हमेशा टारगेट के अनुपात में सिर्फ 60 से 65 फीसदी ही ELA यानी एक्सपेक्टेड लेवल ऑफ अचीवमेंट मिलता है. इस बार के टारगेट को कोरोना वायरस ने और ज्यादा चुनौती पूर्ण कर दिया है. अमूमन 10 दिसंबर तक नसबंदी के 1200 से 1300 तक ऑपरेशन हो जाते थे.लेकिन इस बार अभी सिर्फ 400 से कुछ ज्यादा हुए हैं. इसके पीछे कोरोना संक्रमण काल को प्रमुख वजह माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट एवं कोरोना गाइडलाइन के हिसाब से अब नसबंदी कराने वाली हर महिला का सबसे पहले कोरोना टेस्ट किया जा रहा है.
कोरोना का परिवार नियोजन पर असर
पहले जो नसबंदी ऑपरेशन तीन दर्जन तक हो जाते थे, उन्हें अब सिर्फ कोरोना संक्रमण के चलते 10 की संख्या में निर्धारित किया गया है. जिले में 11 फिक्स डिलीवरी सर्विसेज सेंटर बनाए गए हैं. जिसमें आठ परिवार नियोजन के कैंप ग्रामीण क्षेत्र में निर्धारित किए गए हैं. जबकि तीन कैंप शहरी क्षेत्र में लगाए जा रहे हैं. यहां इच्छुक महिला हितग्राहियों के नसबंदी ऑपरेशन किए जा रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी मानते हैं कि कोरोना के कारण इस बार टारगेट अचीव करने में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि अभी तक सिर्फ कुछ ही नसबंदी ऑपरेशन हुए हैं. उनके पास दिसंबर और जनवरी का महीना बाकी है जिसमें अमूमन सबसे ज्यादा नसबंदी ऑपरेशन होते हैं.
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50 फीसदी ही हो पाएंगे ऑपरेशन
ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल लक्ष्मीगंज प्रसूति गृह और माधवगंज प्रसूति गृह में ऑपरेशन अल्टरनेट डे में किए जाते हैं. इस बार कोरोना के कारण मरीजों को ज्यादा जागरूक करना पड़ रहा है. इसके लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. आयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं ने भी परिवार नियोजन कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा केस बनाने के लिए मैदानी अमले को निर्देशित किया है. खास बात यह कि कोरोना संक्रमण के कारण लगभग आठ महीने परिवार नियोजन का कार्यक्रम पूरी तरह से बंद रहा. दिवाली बाद कुछ शुरुआत हुई है. खास बात यह है कि इस बार कोरोना वायरस के चलते डॉक्टरों को कम संख्या में केस करने के साथ ही गाइडलाइन का पूरी तरह से फॉलो करने के निर्देश दिए गए हैं. पेशेंट से उनकी पर्याप्त दूरी और सेफ्टी मेजरमेंट को अपनाने के लिए सलाह दी गई है.ग्वालियर जिले में सालाना टारगेट लगभग 11 हजार का है. जिसमें इस बार डॉक्टर भी मानते हैं कि 50 फीसदी ही एक्सपेक्टेड लेवल ऑफ अचीवमेंट हासिल हो सकेगा