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कोरोना का जख्म अभी भी झेल रही औद्योगिक इकाइयां

कोरोना महामारी का जख्म अभी भी औद्योगिक इकाइयां झेल रही है. इसका सबसे ज्यादा असर प्रोडक्शन पर हुआ है. बाजार में प्रोडक्शन की मांग सिर्फ 50 फीसदी तक ही सीमित रह गई है.

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औद्योगिक इकाइयों पर कोरोना प्रभाव
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Published : Apr 9, 2021, 1:49 PM IST

ग्वालियर। कोरोना महामारी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस महामारी के कारण देश का आम नागरिक दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया है. इसका सबसे ज्यादा असर औद्योगिक इकाइयों को हुआ है, क्योंकि इस महामारी और लॉकडाउन के कारण देश के सभी औद्योगिक इकाइयां तीन से चार महीने तक बंद पड़ी रही.

बानमोर और मालनपुर सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र
ग्वालियर चंबल अंचल में बानमोर और मालनपुर दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र है. इन दोनों औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 500 से अधिक छोटी सी लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियां संचालित होती हैं. यहां पर 10 से 12 हजार मजदूर और कर्मचारी काम करते हैं. उद्योग क्षेत्र में जेके टायर, सूर्या, कैडबरी, मंगलम, सांची, पुंज लॉयड, स्लीप वेल और हॉट लाइन से लेकर कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इन सभी औद्योगिक इकाइयों का प्रोडक्शन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है.

50 फीसदी प्रोडक्शन में गिरावट
कोरोना महामारी के बाद इन सभी औद्योगिक इकाइयों को फिर से संचालित किया गया, लेकिन इन उद्योग इकाइयों के अभी भी हालात सुधरे नहीं है. कोरोना के कारण सबसे ज्यादा असर प्रोडक्शन पर हुआ है. बाजार में प्रोडक्शन की मांग सिर्फ 50 फीसदी तक ही रह गई है. इस कारण फैक्ट्रियों का सिर्फ खर्चा ही निकल पा रहा है.

औद्योगिक इकाइयों पर कोरोना प्रभाव
साल 2020 में अंचल की कई फैक्ट्रियां हो चुकी है बंदकोराना महामारी के कारण अंचल में कई फैक्ट्री ऐसी है, जो आज भी बंद पड़ी हुई है, क्योंकि इन फैक्ट्रियों में माल की सप्लाई नहीं हो रही है. साथ ही कच्चा माल महंगा होने के कारण इनको फायदा नहीं पहुंच पा रहा है. इसके चलते अंचल की कई कंपनियां बंद पड़ी हुई है. उनका पूरा सामान धूल खा रहा है.

लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन हुआ सख्त, कार्रवाई के आदेश



फिर से वहीं हालात
जैसे-तैसे दोबारा औद्योगिक इकाइयों को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन एक बार फिर साल 2021 की शुरुआत में ही पूरे देश को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. प्रदेश में धीरे-धीरे लॉकडाउन की स्थिति बनती जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ फैक्ट्री संचालकों को भय सताने लगा है.

अब चिंता इस बात की है कि सरकार ने अगर लॉकडाउन लगा दिया, तो औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से टूट जाएगा. शायद फिर से कभी खड़ा नहीं हो पाएगा. वैसे ही सभी उद्योग इकाइयों घाटे में चल रही है. ऐसे में अगर हालात बिगड़ते हैं, तो इन फैक्ट्रियों को उभरना मुश्किल हो जायेगा.

औद्योगिक इकाइयों को सरकार की तरफ से नहीं मिल पाई मदद
सरकार की तरफ से इन उद्योग इकाइयों को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाई है. कोराना काल में कई फैक्ट्रियों पर लाखों रुपए का बिजली बिल बकाया है, लेकिन अभी तक उन बिलों को माफ नहीं किया गया. साथ ही सरकार की तरफ से उद्योग इकाइयों को राहत पैकेज देने की बात की गई थी, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हो पाया है.

ग्वालियर। कोरोना महामारी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस महामारी के कारण देश का आम नागरिक दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया है. इसका सबसे ज्यादा असर औद्योगिक इकाइयों को हुआ है, क्योंकि इस महामारी और लॉकडाउन के कारण देश के सभी औद्योगिक इकाइयां तीन से चार महीने तक बंद पड़ी रही.

बानमोर और मालनपुर सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र
ग्वालियर चंबल अंचल में बानमोर और मालनपुर दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र है. इन दोनों औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 500 से अधिक छोटी सी लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियां संचालित होती हैं. यहां पर 10 से 12 हजार मजदूर और कर्मचारी काम करते हैं. उद्योग क्षेत्र में जेके टायर, सूर्या, कैडबरी, मंगलम, सांची, पुंज लॉयड, स्लीप वेल और हॉट लाइन से लेकर कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इन सभी औद्योगिक इकाइयों का प्रोडक्शन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है.

50 फीसदी प्रोडक्शन में गिरावट
कोरोना महामारी के बाद इन सभी औद्योगिक इकाइयों को फिर से संचालित किया गया, लेकिन इन उद्योग इकाइयों के अभी भी हालात सुधरे नहीं है. कोरोना के कारण सबसे ज्यादा असर प्रोडक्शन पर हुआ है. बाजार में प्रोडक्शन की मांग सिर्फ 50 फीसदी तक ही रह गई है. इस कारण फैक्ट्रियों का सिर्फ खर्चा ही निकल पा रहा है.

औद्योगिक इकाइयों पर कोरोना प्रभाव
साल 2020 में अंचल की कई फैक्ट्रियां हो चुकी है बंदकोराना महामारी के कारण अंचल में कई फैक्ट्री ऐसी है, जो आज भी बंद पड़ी हुई है, क्योंकि इन फैक्ट्रियों में माल की सप्लाई नहीं हो रही है. साथ ही कच्चा माल महंगा होने के कारण इनको फायदा नहीं पहुंच पा रहा है. इसके चलते अंचल की कई कंपनियां बंद पड़ी हुई है. उनका पूरा सामान धूल खा रहा है.

लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन हुआ सख्त, कार्रवाई के आदेश



फिर से वहीं हालात
जैसे-तैसे दोबारा औद्योगिक इकाइयों को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन एक बार फिर साल 2021 की शुरुआत में ही पूरे देश को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. प्रदेश में धीरे-धीरे लॉकडाउन की स्थिति बनती जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ फैक्ट्री संचालकों को भय सताने लगा है.

अब चिंता इस बात की है कि सरकार ने अगर लॉकडाउन लगा दिया, तो औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से टूट जाएगा. शायद फिर से कभी खड़ा नहीं हो पाएगा. वैसे ही सभी उद्योग इकाइयों घाटे में चल रही है. ऐसे में अगर हालात बिगड़ते हैं, तो इन फैक्ट्रियों को उभरना मुश्किल हो जायेगा.

औद्योगिक इकाइयों को सरकार की तरफ से नहीं मिल पाई मदद
सरकार की तरफ से इन उद्योग इकाइयों को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाई है. कोराना काल में कई फैक्ट्रियों पर लाखों रुपए का बिजली बिल बकाया है, लेकिन अभी तक उन बिलों को माफ नहीं किया गया. साथ ही सरकार की तरफ से उद्योग इकाइयों को राहत पैकेज देने की बात की गई थी, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हो पाया है.

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