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सरस्वती शिशु मंदिर की प्रॉपर्टी पर सिंधिया परिवार ने जताया हक, कांग्रेस विधायक ने चिठ्ठी लिखकर कही बड़ी बात

ग्वालियर के जय विलास पैलेस में संचालित होने वाले सरस्वती शिशु मंदिर की प्रॉपर्टी पर सिंधिया परिवार ने हक जताया है, इसके बाद उसे खाली कराने की कबायद शुरू हो गई है. फिलहाल कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने चिठ्ठी लिखकर सिंधिया से कहा है कि ये संपत्ति आपके लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है, इसलिए इसे खाली ना कराएं.

Scindia family expressed right on School property
सरस्वती शिशु मंदिर की प्रॉपर्टी पर सिंधिया का हक
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Published : May 15, 2023, 12:44 PM IST

Updated : May 15, 2023, 1:18 PM IST

कांग्रेस विधायक ने सिंधिया को लिखी चिठ्ठी

ग्वालियर। ग्वालियर में एक के बाद एक रियासत काल से जुड़ी हुई संपत्तियों पर सिंधिया परिवार और उनके ट्रस्ट द्वारा दावेदारी जताई जा रही है. इसी कड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें महल यानी जय विलास पैलेस परिसर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर को महल परिसर से खाली कराए जाने का फरमान महल से जारी कर दिया गया है. इस पूरे एपिसोड में ग्वालियर दक्षिण के कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने अपनी आवाज उठाते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक चिट्ठी लिखी है.

कांग्रेस विधायक ने सिंधिया को लिखी चिठ्ठी: कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक द्वारा सिंधिया को लिखी गई चिट्ठी का मजमून इस तरह है कि "मैं आपको यह पत्र नितांत निजी भाव एवं अपनी मातृ संस्था के प्रति अगाध प्रेम की भावना से ओत प्रोत होकर लिख रहा हूं. मुझे जब से ज्ञात हुआ है कि आप के द्वारा जय विलास परिसर में स्थित कई दशकों पुराने ज्ञान के मंदिर शिक्षा एवं संस्कारों के उत्कृष्ठ केंद्र सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय को खाली कराया जा रहा है, चूंकि उक्त विद्यालय का पूर्व छात्र होने का नाते मेरी भावनाएं आहत हुई हैं. महोदय निसंदेह जय विलास पैलेस आपकी निजी संपत्ति है और इसके साथ ही इससे जुड़ी अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक से जुड़े सभी स्वत्व व अधिकार आपके है. पूर्व विद्यार्थी होने के नाते इस मातृ संस्था से जुड़ाव होने के नाते मेरा मानना है कि आपके व्यक्तित्व विरासत और आपकी वैभव संपन्नता के नाते विशाल महल के एक छोटे से कोने में संचालित यह विद्यालय आपकी संपत्ति के विरासत होने के आगे ऊंट के मुंह में जीरे के समान है, इससे जुड़ा और एक महत्वपूर्ण पक्ष और जन मानस की राय यह है कि आपकी दादी कैलाश वासी सिंधिया ने अपने उदार हृदय के साथ सरस्वती शिशु मंदिर को महल में यह स्थान उपलब्ध कराया था. आप से आत्मीय निवेदन है कि यह पत्र मैं आपको विशुद्ध पूर्व विद्यार्थी होने के नाते लिख रहा हूं, इसे किसी भी प्रकार के राजनैतिक संदर्भ या अर्थों में व्याख्याइत करने का प्रयास नहीं किया जाए."

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क्या कहता है कानून: वहीं इस मामले में कानून से जुड़े लोगों का कहना है कि "हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपनी एक याचिका के माध्यम से 2004 में आदेशित किया था कि बाउंड्रीबाल के भीतर की संपत्ति महल की है और उसके बाहर की संपत्ति के ऊपर अनाधिकृत रूप से कब्जा नहीं किया जाए. कानूनविद यह भी तर्क देते है कि राजमाता विजियाराजे सिंधिया ने सरस्वती शिशु मंदिर और इसके आसपास की संपत्ति को संघ की शाखा व स्कूल चलाने के लिए दी थी, इस बात का उल्लेख सिंधिया परिवार विवाद पर लेखक यशवंत अरगरे किताब में भी किया गया है."

आगामी चुनाव पर पड़ सकता है असर: ग्वालियर के महल परिसर के बाउंड्री के बाहर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर को खाली किए जाने का विवाद अब राजनैतिक रूप से भी तूल पकड़ता जा रहा है और यह तर्क दिए जा रहे है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के विकास की बातें करते है और ऐसे छोटे छोटे प्रलोभनों के चलते उन्हें जनता को धोखा नहीं देना चाहिए. कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने भी अपनी चिट्ठी में कुछ ऐसे ही सवाल जनता की अदालत में उछाल दिए है, जिसका आने वाले विधानसभा चुनाव पर प्रभाव पड़ेगा.

कांग्रेस विधायक ने सिंधिया को लिखी चिठ्ठी

ग्वालियर। ग्वालियर में एक के बाद एक रियासत काल से जुड़ी हुई संपत्तियों पर सिंधिया परिवार और उनके ट्रस्ट द्वारा दावेदारी जताई जा रही है. इसी कड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें महल यानी जय विलास पैलेस परिसर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर को महल परिसर से खाली कराए जाने का फरमान महल से जारी कर दिया गया है. इस पूरे एपिसोड में ग्वालियर दक्षिण के कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने अपनी आवाज उठाते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक चिट्ठी लिखी है.

कांग्रेस विधायक ने सिंधिया को लिखी चिठ्ठी: कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक द्वारा सिंधिया को लिखी गई चिट्ठी का मजमून इस तरह है कि "मैं आपको यह पत्र नितांत निजी भाव एवं अपनी मातृ संस्था के प्रति अगाध प्रेम की भावना से ओत प्रोत होकर लिख रहा हूं. मुझे जब से ज्ञात हुआ है कि आप के द्वारा जय विलास परिसर में स्थित कई दशकों पुराने ज्ञान के मंदिर शिक्षा एवं संस्कारों के उत्कृष्ठ केंद्र सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय को खाली कराया जा रहा है, चूंकि उक्त विद्यालय का पूर्व छात्र होने का नाते मेरी भावनाएं आहत हुई हैं. महोदय निसंदेह जय विलास पैलेस आपकी निजी संपत्ति है और इसके साथ ही इससे जुड़ी अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक से जुड़े सभी स्वत्व व अधिकार आपके है. पूर्व विद्यार्थी होने के नाते इस मातृ संस्था से जुड़ाव होने के नाते मेरा मानना है कि आपके व्यक्तित्व विरासत और आपकी वैभव संपन्नता के नाते विशाल महल के एक छोटे से कोने में संचालित यह विद्यालय आपकी संपत्ति के विरासत होने के आगे ऊंट के मुंह में जीरे के समान है, इससे जुड़ा और एक महत्वपूर्ण पक्ष और जन मानस की राय यह है कि आपकी दादी कैलाश वासी सिंधिया ने अपने उदार हृदय के साथ सरस्वती शिशु मंदिर को महल में यह स्थान उपलब्ध कराया था. आप से आत्मीय निवेदन है कि यह पत्र मैं आपको विशुद्ध पूर्व विद्यार्थी होने के नाते लिख रहा हूं, इसे किसी भी प्रकार के राजनैतिक संदर्भ या अर्थों में व्याख्याइत करने का प्रयास नहीं किया जाए."

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Last Updated : May 15, 2023, 1:18 PM IST
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