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130 करोड़ खर्च कर भी शहर को स्वस्थ नहीं कर पाया प्रशासन, 10 माह में सामने आये 13 लाख मरीज - gwalior news

ग्वालियर में एक साल में 60 करोड़ रूपए खर्च करके भी नगर निगम शहर को साफ-सुथरा करने में नाकाम साबित हो रहा है, जिसके चलते पिछले 10 महीने में 13 लाख मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं.

130 करोड़ खर्च कर भी शहर को स्वस्थ नहीं कर पाया प्रशासन
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Published : Nov 23, 2019, 2:19 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 3:21 PM IST

ग्वालियर। हर नागरिक की काया को निरोगी रखने के लिए सरकारें तमाम जतन करती हैं, इसके लिए पैसा भी पानी की तरह बहाने से नहीं कतरातीं, फिर भी नजीता सिफर ही रहता है. भले ही इंदौर के स्वच्छता मॉडल का प्रदेश सरकार घूम-घूम कर ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन ग्वालियर में एक साल में 60 करोड़ रूपए खर्च करके भी नगर निगम शहर को साफ-सुथरा करने में नाकाम साबित हो रहा है, जिसके चलते पिछले 10 महीने में 13 लाख मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं.

शहर की स्वच्छता सिर्फ फाइलों में अच्छी लगती है. जिसके चलते शहर में पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया, दमा और टीवी के रोगियों की संख्या में बेतहासा बढ़ोत्तरी हो रही है, पिछले 10 महीने में 13 लाख मरीजों के इलाज पर स्वास्थ्य विभाग ने 70 करोड़ रुपए खर्च किया है. यदि निगम का अमला ठीक से अपनी जिम्मेदारी निभाता तो लोगों को बेवजह अस्पतालों के चक्कर न लगाना पड़ता और न ही सरकार को इतनी मोटी रकम बेवजह खर्च करनी पड़ती.

विकास के नाम पर खोदे गए गड्ढे, टूटी सड़कें, उड़ती धूल आवाम की सांसे रोकने के लिए काफी हैं. टूटी सड़कों के चलते लोग सर्वाइकल, रीड की हड्डी में परेशानी के अलावा हादसे भी लोगों को अस्पताल पहुंचा देते हैं, जबकि उड़ती धूल इन्फेक्शन की वजह बन रही है.

130 करोड़ खर्च कर भी शहर को स्वस्थ नहीं कर पाया प्रशासन

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भी मानते हैं कि हर साल बजट बढ़ता है, लेकिन नगर निगम के पास कचरा निस्तारण का कोई प्रबंध नहीं है. नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन का कहना है कि शहर में 200 से 300 कचरे के ढेर लगे थे, जो अब घटकर 20 से 25 पर आ गए हैं. कचरा गाड़ी की कमी होने की वजह से कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां कचरों का ढेर लगा है.
गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉक्टर केपी रंजन का मानना है कि मौसम में बदलाव और गंदगी की वजह से बीमारी फैल रही है. उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि जब भी लोग घर से निकलें तो मुंह ढक कर ही निकलें और खाने पीने की चीजों में भी सावधानी बरतें.

सरकार हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन ये दावे कितने सच हैं, इसकी जमीनी हकीकत बयां करने के लिए ग्वालियर शहर के आंकड़े ही काफी हैं.

ग्वालियर। हर नागरिक की काया को निरोगी रखने के लिए सरकारें तमाम जतन करती हैं, इसके लिए पैसा भी पानी की तरह बहाने से नहीं कतरातीं, फिर भी नजीता सिफर ही रहता है. भले ही इंदौर के स्वच्छता मॉडल का प्रदेश सरकार घूम-घूम कर ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन ग्वालियर में एक साल में 60 करोड़ रूपए खर्च करके भी नगर निगम शहर को साफ-सुथरा करने में नाकाम साबित हो रहा है, जिसके चलते पिछले 10 महीने में 13 लाख मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं.

शहर की स्वच्छता सिर्फ फाइलों में अच्छी लगती है. जिसके चलते शहर में पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया, दमा और टीवी के रोगियों की संख्या में बेतहासा बढ़ोत्तरी हो रही है, पिछले 10 महीने में 13 लाख मरीजों के इलाज पर स्वास्थ्य विभाग ने 70 करोड़ रुपए खर्च किया है. यदि निगम का अमला ठीक से अपनी जिम्मेदारी निभाता तो लोगों को बेवजह अस्पतालों के चक्कर न लगाना पड़ता और न ही सरकार को इतनी मोटी रकम बेवजह खर्च करनी पड़ती.

विकास के नाम पर खोदे गए गड्ढे, टूटी सड़कें, उड़ती धूल आवाम की सांसे रोकने के लिए काफी हैं. टूटी सड़कों के चलते लोग सर्वाइकल, रीड की हड्डी में परेशानी के अलावा हादसे भी लोगों को अस्पताल पहुंचा देते हैं, जबकि उड़ती धूल इन्फेक्शन की वजह बन रही है.

130 करोड़ खर्च कर भी शहर को स्वस्थ नहीं कर पाया प्रशासन

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भी मानते हैं कि हर साल बजट बढ़ता है, लेकिन नगर निगम के पास कचरा निस्तारण का कोई प्रबंध नहीं है. नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन का कहना है कि शहर में 200 से 300 कचरे के ढेर लगे थे, जो अब घटकर 20 से 25 पर आ गए हैं. कचरा गाड़ी की कमी होने की वजह से कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां कचरों का ढेर लगा है.
गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉक्टर केपी रंजन का मानना है कि मौसम में बदलाव और गंदगी की वजह से बीमारी फैल रही है. उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि जब भी लोग घर से निकलें तो मुंह ढक कर ही निकलें और खाने पीने की चीजों में भी सावधानी बरतें.

सरकार हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन ये दावे कितने सच हैं, इसकी जमीनी हकीकत बयां करने के लिए ग्वालियर शहर के आंकड़े ही काफी हैं.

Intro:ग्वालियर- शहर में फैली गंदगी आम आदमी का स्वास्थ्य बिगड़ रही है इन दिनों पीलिया, टाइफाइड ,मलेरिया , दमा और टीवी के रोगियों से भरे हुए हैं नगर निगम साल में 60 करोड़ खर्च करके भी शहर साफ नहीं कर पा रहा है। जबकि 10 महीने में करीब 13 लाख मरीज अस्पताल में पहुंचे है जिसमें से अधिकांश पेट और स्वास्थ्य संबंधित बीमारियों के मरीज है इनके इलाज पर हेल्थ विभाग को करीब 70 करोड़ खर्च करना पड़ा है। यदि निगम के जिम्मेदार अफसर एवं 3350 कर्मचारी सफाई में गंभीरता दिखाए तो आमजन का स्वास्थ्य सही रहेगा और सरकार का भी पैसा बचेगा। लोगों के बीमार होने का सबसे बड़ा कारण खराब सड़कें और जगह-जगह पसरी गंदगी है। बाहर सड़कों के कारण लोग सर्वाइकल, रीड की हड्डी में परेशानी और सड़क हादसों में घायल होकर अस्पताल पहुंच रही है तो वहीं खराब सड़कों के कारण धूल उड़ती है।इससे लोग दमा श्वास नली के इन्फेक्शन जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।


Body:इसके साथ ही आसपास पसरी गंदगी के चलते उन्हें बीमारियां हो रही है गंदगी एवं झाड़ियों से मच्छर अधिक संख्या में पनपते है जिससे मलेरिया की चपेट में लोग आ रहे हैं शहर में फैले कूड़े पर बैठने वाली मक्खियां घर तक पहुंचती है खाने पीने के सामान पर बैठती है और पूर्ण भी संक्रमित हो जाता है जिसे खाने से लोग पेट संबंधित बीमारियों से ग्रसित हो रही है। सीवर लाइन चोक होने से गंदा पानी वाटर लाइन में मिल जाता है और यह पानी घरों में पहुंचने से पीलिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां कोई शिकार बना रहा है। परिवार में किसी सदस्य के बीमार होने पर घर का पूरा बजट गढ़वा जाता है यदि टाइफाइड भी होता है तो पता लगने के लिए डॉक्टर तीन से चार जांच करते हैं और इन पर 3 से 4 हजार का खर्चा आता है। यदि गंभीर बीमारी हुई तो यह बजट 20 से 30 हजार तक पहुंच जाता है ।


Conclusion:नगर निगम की सफाई व्यवस्था ठीक न होने के सवाल पर पूर्व महापौर और स्थानीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि यह सही है कि हर साल बजट बढ़ता है जितनी साफ सफाई होनी चाहिए उतनी नहीं हो रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि नगर निगम के पास कचरा निस्तारण का कोई प्रबंध नहीं है। तो वहीं नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन का कहना हैं। शहर में 200 से 300 कचरे के ढेर लगे थे अब घटकर 20 से 25 पर आ चुके है कचरा गाड़ी की कमी होने की वजह से कुछ जगह ऐसी है जहां पर खतरों के ढेर लगे हैं। वही गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ केपी रंजन का मानना है कि इस मौसम में बीमारियां ज्यादा होती है उसके पीछे एक तो मौसम में बदलाव होता है दूसरा गंदगी होती है। यदि आसपास के क्षेत्र में गंदगी ना हो तो बीमारी घट सकती है। इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी है कि जब भी आप घर से निकले तो मुंह को ढक कर ही निकले और खाने पीने की चीजों में भी सावधानी बरतें। तो वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि खराब सड़कों और उसकी धूल के चलते उनके साथ पर बुरा असर पड़ रहा है तरह-तरह की बीमारियां लोगों को हो रही है।

बाइट - संदीप माकिन , नगर निगम आयुक्त

बाइट - विवेक नारायण शेजवालकर , सांसद

बाईट - पी रंजन, प्रवक्ता जीआरएमसी

बाइट - प्रतीक , स्थानीय निवासी

बाइट - प्रदीप , स्थानीय निवासी

पीटीसी - अनिल गौर
Last Updated : Nov 23, 2019, 3:21 PM IST
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