ग्वालियर। शहर में रहने वाली छाया तोमर वह नाम है, जो आज दूसरों की मदद के लिए मिसाल बन गई हैं. छाया लोगों की ही नहीं, बल्कि उन बेजुबानों की मदद कर रही है, जो लोगों से न तो कुछ कह सकते हैं और न ही अपना दुख बांट सकते हैं.
छाया तोमर सुबह-शाम स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने का काम कर रही है. वह इस जिम्मेदारी को लगभग 12 सालों से बखूबी निभा रही है. छाया तोमर ने 12 साल पहले एक स्ट्रीट डॉग को खाना खिलाने की शुरुआत की थी. आज उनके पास 200 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स है. वह रोज इन्हें भरपेट खाना खिलाती है.
देश भर में करोड़ों की संख्या में ऐसे ही बेजुबान जानवर है, जो एक रोटी के टुकड़े के लिए मोहताज है. वह न तो किसी से कह सकते हैं और न ही वह अपनी परेशानी को किसी को बता सकते हैं, लेकिन शहर की रहने वाली छाया तोमर इन बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स का सहारा बन चुकी है.
- 12 साल से छाया तोमर स्ट्रीट डॉग्स की कर रही मदद
छाया तोमर बताती है कि उनकी मां इन आवारा स्ट्रीट डॉग्स को रोटी देती थी. उस समय मैं भी उनकी मदद करती थी. उसके बाद यह मदद एक जुनून में बदल गई. मेरी शादी के बाद मेरा कोई बच्चा नहीं है, लेकिन मैंने इन स्ट्रीट डॉग्स को ही अपने बच्चों के रूप में मान लिया है. अभी से मैं इनकी मदद कर रही हूं. स्ट्रीट डॉग्स को सुबह-शाम खाना खिलाती हूं. आज लगभग 200 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स है, जिन्हें अलग-अलग इलाकों में खाना देती हूं.
- छाया तोमर की इन बेजुबानों से हुई दोस्ती
छाया तोमर रोज दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक और रात 8 बजे से लेकर रात 12 बजे तक अपनी स्कूटी से इन आवारा कुत्तों के खाने-पीने का सामान लेकर घर से निकलती है. शहर के अलग-अलग इलाकों में स्ट्रीट डॉग को खाना खिलाती है. छाया को अब डॉग्स अपने आप पहचान लेते हैं.
- स्ट्रीट डॉग्स के अलावा गायों की भी करती है मदद
छाया तोमर स्ट्रीट डॉग्स के अलावा गायों की भी मदद करती है. जब वह घर से खाना लेकर निकलती है, तो गायों के लिए भी आटा लेकर निकलती है.
- कोरोना महामारी के दौरान भी रोज स्ट्रीट डॉग्स और गायों को खिलाती थी खाना
कोरोना महामारी के चलते लोग घरों में कैद थे. उस समय बेजुबान जानवरों को दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा था, लेकिन छाया तोमर ऐसी थी, जिसने इन बेजुबान जानवरों की भरपूर मदद की और उन्हें खाना खिलाया.
- कई बार समाज में विरोध का सामना करना पड़ा
छाया तोमर का कहना है कि यह सब एक महिला के लिए बहुत ही कठिन कार्य है. इस कार्य में कई बार परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. इस कार्य को करने के लिए कई बार समाज में विरोध भी झेलना पड़ा है, लेकिन इस विरोध के बावजूद भी उन्होंने इस काम को नहीं छोड़ा, क्योंकि अब उनका मकसद इन बेजुबान जानवरों की मदद करना है. यही वजह है कि वह लगातार 12 साल से 200 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स का पेट भर रही है.
- इस कार्य में पति के साथ-साथ समाजसेवी करते हैं सहयोग
छाया तोमर बताती हैं कि रोज स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने के लिए लगभग 1000 से 2000 तक का खर्चा आता है. इसके लिए शहर के कुछ समाजसेवी है, जो मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पति सरकारी जॉब में है. इसलिए वह भी कुछ पैसों की मदद करते हैं.
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- हर महीने मेनका गांधी भी भेजती है 5 हजार रुपए
छाया तोमर का कहना है कि इस कार्य के लिए मेनका गांधी ने भी काफी सराहना की है. वह पिछले 6 महीने से 5 हजार रुपए भेज रही है. इन पैसों से आवारा कुत्तों के लिए खाने का इंतजाम करती है.