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श्री गंगा दास की शाला में निशान पूजन के साथ तोप की सलामी, संतों ने दिखाए हैरतअंगेज करतब - ETV bharat News

श्री गंगा दास की बड़ी शाला में विजयादशमी के पर्व पर संतों ने शस्त्र पूजन (Sastra Pooja) कर हैरतअंगेज करतब दिखाए. इसी के साथ साधु संतों ने तोप से सलामी (Cannon Salute) देकर स्वतंत्रता (First Freedom Sangram) के पहले संग्राम में शहीद हुए संतों को श्रद्धांजलि दी.

Saints salute martyrs
संतों ने शहीदों को दी सलामी
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Published : Oct 15, 2021, 8:06 PM IST

ग्वालियर। श्री रामानंदाचार्य संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़ों की पूरण बैराठी ने स्थानीय श्री गंगा दास की बड़ी शाला (Shri Ganga Das ki Badi shala) में विजयादशमी (Vijayadashmi) का पर्व धूमधाम से मनाया. इस मौके पर शाला के अस्त्र शस्त्रों का पूजन (Sastra Pooja) किया गया. संतों ने अंग्रेजों से लड़ाई में साधु संतों को श्रद्धांजलि देते हुए तोप से सलामी दी. इस दौरान हनुमान जी का अभिषेक भी किया गया. दरअसल देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (First Freedom Sangram) में रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmi Bai) को बचाने के लिए बड़ी गंगा दास के शाला के साधु-संतों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था.

संतों ने शहीदों को दी सलामी

प्राचिन तोप से शहीदों को दी श्रद्धांजलि

बड़ी गंगा दास के शाला में निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़ों की पूरण बैराठी द्वाराचार पीठ है. ऐसे में शुक्रवार को दशहरे के मौके पर तीनों ही अखाड़ों की ओर से यहां दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया गया. शाला की परंपरा के मुताबिक दोपहर में तीनों अखाड़ों के संतों ने निशान पूजन किया और उसके बाद प्राचीन तोप से सलामी भी दी गई. शाला के संतों द्वारा चलाए गए अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया गया. विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से ही यहां चली आ रही है.

असत्य पर सत्य की जीत: आकर्षक आतिशबाजी के बीच छिंदवाड़ा में रावण दहन

रानी लक्ष्मीबाई के लिए संतों ने दी थी जान

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते जब घायल हो गई, तो बड़ी गंगा दास की शाला के साधु-संतों ने ही उन्हें अग्नि समाधि दी थी. उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का शरीर अंग्रेजों के हाथ लगने से बचा लिया था. इस दौरान महारानी लक्ष्मीबाई की रक्षा करते-करते कई साधु संतों को अपने प्राणों की आहुति भी देना पड़ी थी. उनकी याद में बड़ी गंगा दास की शाला में कई समाधियां निर्माण कराई गई. श्री गंगा दास की बड़ी शाला रामानंदाचार्य संप्रदाय के प्रमुख पीठों में शामिल है.

ग्वालियर। श्री रामानंदाचार्य संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़ों की पूरण बैराठी ने स्थानीय श्री गंगा दास की बड़ी शाला (Shri Ganga Das ki Badi shala) में विजयादशमी (Vijayadashmi) का पर्व धूमधाम से मनाया. इस मौके पर शाला के अस्त्र शस्त्रों का पूजन (Sastra Pooja) किया गया. संतों ने अंग्रेजों से लड़ाई में साधु संतों को श्रद्धांजलि देते हुए तोप से सलामी दी. इस दौरान हनुमान जी का अभिषेक भी किया गया. दरअसल देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (First Freedom Sangram) में रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmi Bai) को बचाने के लिए बड़ी गंगा दास के शाला के साधु-संतों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था.

संतों ने शहीदों को दी सलामी

प्राचिन तोप से शहीदों को दी श्रद्धांजलि

बड़ी गंगा दास के शाला में निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़ों की पूरण बैराठी द्वाराचार पीठ है. ऐसे में शुक्रवार को दशहरे के मौके पर तीनों ही अखाड़ों की ओर से यहां दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया गया. शाला की परंपरा के मुताबिक दोपहर में तीनों अखाड़ों के संतों ने निशान पूजन किया और उसके बाद प्राचीन तोप से सलामी भी दी गई. शाला के संतों द्वारा चलाए गए अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया गया. विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से ही यहां चली आ रही है.

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रानी लक्ष्मीबाई के लिए संतों ने दी थी जान

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते जब घायल हो गई, तो बड़ी गंगा दास की शाला के साधु-संतों ने ही उन्हें अग्नि समाधि दी थी. उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का शरीर अंग्रेजों के हाथ लगने से बचा लिया था. इस दौरान महारानी लक्ष्मीबाई की रक्षा करते-करते कई साधु संतों को अपने प्राणों की आहुति भी देना पड़ी थी. उनकी याद में बड़ी गंगा दास की शाला में कई समाधियां निर्माण कराई गई. श्री गंगा दास की बड़ी शाला रामानंदाचार्य संप्रदाय के प्रमुख पीठों में शामिल है.

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