ग्वालियर। नामकरण का विवाद पार्टी के भीतर से उठकर सार्वजनिक मंच पर आ गया है. जिले से सांसद विवेक शेजवलकर ने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी है. जिसमें गुजारिश की है कि अस्पताल का नामकरण भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जाए.
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जल्दबाजी की वजह हैं सिंधिया
सूत्रों के मुताबिक केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार्दिक इच्छा है कि उनके दिवंगत पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे माधवराव सिंधिया के नाम पर अस्पताल हो. 2019 में ज्योतिरादित्य ने अस्पताल का नामकरण पिता के नाम पर करने की बात भी कही थी. अब जैसे जैसे अस्पताल कि तैयारी मुकम्मल होने की ओर है सियासत अपना रंग दिखाने लगी है. महाराज की कही गई वो बात उनके कुछ पुराने भाजपाइयों को सहन नहीं हो रही है. विवेक शेजवलकर का खत इसकी तस्दीक करता है.
सिंधिया ने किया था भूमि पूजना
साल 2019 में इस एक हजार बिस्तर के अस्पताल का भूमिपूजन कॉंग्रेस में रहते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था. तभी सिंधिया समर्थक विधायकों ओर मंत्रियों ने इस अस्पताल का नाम माधवराव सिंधिया के नाम से रखने की मांग की थी.
1000 बिस्तर वाला अस्पताल के बारे में सब कुछ
अक्टूबर 2018 में जब प्रशासकीय स्वीकृति मिली तब विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लगने ही वाली थी. नवंबर 2018 में तकनीकी स्वीकृति हुई, वर्क ऑर्डर दिसंबर 2018 में जारी हुआ. जनवरी 2019 में जब कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी तब जमीन अलॉट हुई. इसमें 338 करोड़ की लागत का अनुमान है. 7.75 हेक्टेयर जमीन पर तैयार होने वाले अस्पताल में 3 ब्लॉक होंगे. 2 फेस में 7 मंजिला बिल्डिंग में अस्पताल तैयार होगा. जिसमें कुल 1106 बेड की सुविधा होगी.अस्पताल के साथ ही कैंपस में 300 कमरों की धर्मशाला भी बनेगी, जिसमें रियायती दरों पर मरीजों के अटेंडरों को कमरे दिए जाएंगे. सस्ती दरों पर भोजन व्यवस्था भी शुरू होगी.
नामों पर खेल नई बात नहीं
देश के विभिन्र प्रांतों में ऐसे कई शहर और जिले हैं जिनके नाम बदले गए हैं. सियासत का एक पैंतरा रहा है नामकरण. मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं है. अकसर इसे रसूख से जोड़ कर देखा जाता है. कमलनाथ सरकार के दौरान माधवराव सिंधिया अस्पताल नाम को लेकर महज चर्चा हुई थी. तब सरकार कांग्रेस की थी और ज्योतिरादित्य भी कांग्रेसी थे तो अब सरकार भले ही कांग्रेस की न हो लेकिन दिवंगत नेता के पुत्र केन्द्र सरकार के अहम मंत्री हैं.