ग्वालियर। मध्यप्रदेश में आगामी महीनों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इस विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां जातिगत वोटों को साधने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इसी कड़ी में बीजेपी ग्वालियर चंबल अंचल में अंबेडकर महाकुंभ का एक आयोजन कर रही है और इस महाकुंभ में बीजेपी एक लाख से अधिक दलित वर्ग शामिल हो रहा है. साथ ही इस कार्यक्रम में खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित तमाम मध्य प्रदेश की मंत्रीगण शामिल होंगे. इस महाकुंभ के बहाने बीजेपी ग्वालियर चंबल अंचल के सभी दलित वोटों को साधने की कोशिश कर रही है.
2500 बसों से आएंगे दलित वर्ग के लोग: अंबेडकर महाकुंभ 16 अप्रैल को ग्वालियर में आयोजित हो रहा है और इस महाकुंभ में ग्वालियर चंबल अंचल के साथ-साथ अलग-अलग जिलों से एक लाख की अधिक संख्या में दलित वर्ग शामिल होगा और इसको लेकर प्रशासन की तरफ से 2500 बसें लगाई गई हैं, जो अलग-अलग जिले से लोगों को लाने का काम करेंगी. इस अंबेडकर महाकुंभ को लेकर प्रशासन से लेकर अंचल के मंत्री और केंद्रीय मंत्री पूरी ताकत झोंक रहे हैं और भीड़ जुटाने के लिए हर जिले के विधायक, मंत्री के साथ-साथ प्रशासन को भी जिम्मेदारी दी गई है.
महाकुंभ के जरिए दलित वोटरों को साधेगी भाजपा: दरअसल ग्वालियर चंबल अंचल में इस महाकुंभ के बहाने नाराज दलित वोटरों को बीजेपी लगाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि साल 2018 में दलित आंदोलन के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया था. दलित आंदोलन में आधा दर्जन दलित मारे गए थे और इसके बाद दलित वोटर्स एकजुट होकर शिवराज सरकार के खिलाफ लामबंद हो गये थे, यही कारण है कि साल 2018 में शिवराज सरकार को ग्वालियर चंबल अंचल से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था और इसी कारण सरकार गिर गई थी. इसके बाद से ही ग्वालियर चंबल अंचल में दलित वोटर बीजेपी के खिलाफ काम कर रहा है और इसी को साधने के लिए अब बीजेपी इस महाकुंभ का आयोजन कर रही है.
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दलित वोटरों की काफी अहम भूमिका: बता दें कि ग्वालियर चंबल अंचल में दलित वोटों की संख्या काफी अधिक है, संभाग में कुल 34 सीट है और इन सीटों पर 20 से 25% दलित वोट हैं, यही कारण के ग्वालियर चंबल अंचल की सभी सीटों पर दलित वोट की काफी अहम भूमिका है और इसी को लेकर अब बीजेपी ने साधने की कोशिश में जुट गई है. वहीं साल 2018 के चुनाव में ग्वालियर चम्बल अंचल से बीजेपी सिर्फ 7 सीटें जीतने में सफल रही थी, तो वहीं कांग्रेस ने 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही बसपा के खाते में एक सीट आई थी. अब बीजेपी ग्वालियर चंबल अंचल में हार की कमी को पूरा करने के लिए दलित वोटरों पर सबसे अधिक निगाह रखी हुई है.
दलितों को लुभाने में कितना कामयाब होगी बीजेपी: सबसे खास बात यह है कि दलित वोटरों पर ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस बसपा और आप पार्टी पर निगाहें बनाए हुए है, यही कारण है कि अभी तक किसी को नहीं पता कि यह दलित वोट कहां जाएगा. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि "ग्वालियर चंबल अंचल में इस बीजेपी के महाकुंभ के आयोजन से दलित वोटरों को ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि दलित वोट स्थानीय मुद्दों को लेकर वोट डालते हैं और इसके साथ ही दलित वोटर की युवा पीढ़ी इस समय भीम आर्मी के साथ है और भीम आर्मी की लगातार लोकप्रियता बढ़ने के कारण उनका पूरा सहयोग कर रही है. ऐसे में शहर के अलावा जो ग्रामीण दलित वोटर्स है, उसे बीजेपी अपना बनाने में कितना कामयाब हो सकती है, यह एक आंखें बंद कर कर तीर मारने जैसी कहानी है."
क्या दलितों को गुमराह कर रही सरकार: बीजेपी के इस अंबेडकर महाकुंभ को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर है. कांग्रेस के प्रदेश मीडिया उपाध्यक्ष आर पी सिंह का कहना है कि "बीजेपी सिर्फ इवेंट वाली पार्टी बन गई है और इस अंबेडकर महाकुंभ के नाम पर वह करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, ऐसे में अगर एक करोड़ रुपए दलित भाइयों के ऊपर खर्च होता तो शायद उन्हें काफी राहत मिलती. सरकार सिर्फ दलितों को लुभाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन उनके विकास और उनके लिए कोई योजना नहीं बना रही है." वहीं इस पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि अगर शिवराज सरकार और मोदी सरकार में सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाला वर्ग है तो वह दलित भाइयों का वर्ग है, क्योंकि सबसे ज्यादा योजनाएं दलित भाइयों के लिए चल रही है. सरकार द्वारा दलित भाइयों को लाभ मिल रहा है, लेकिन इस पर्व को गुमराह कर तोड़ने का जो काम दूसरी पार्टियां कर रही है, इसलिए उन्हें अवेयरनेस करने के लिए यह महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है.