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चुनावी अभियान से बेरोजगारी का मुद्दा गायब, बीजेपी-कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाया आरोप

मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. उपचुनाव में चुनावी अभियान से बेरोजगारी का मुद्दा गायब नजर आ रहा है, और बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है.

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बीजेपी-कांग्रेस
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Published : Sep 17, 2020, 10:30 PM IST

ग्वालियर। उपचुनाव के लिए आचार संहिता की घोषणा कभी भी हो सकती है. कांग्रेस और भाजपा चुनाव प्रचार एक तरह से शुरू कर चुके हैं, उनके मुद्दों में सिर्फ एक दूसरे को धोखा देने और विकास के नाम पर झूठे वादे करने को लेकर बहस चल रही है, लेकिन असल मुद्दे इस चुनाव अभियान से गायब हैं.

बेरोजगारी का मुद्दा
बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. कोरोना काल में छात्रों के सेमेस्टर वैसे ही काफी पिछड़ हो चुके हैं, जैसे तैसे फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराई जा रही हैं, लेकिन फाइनल ईयर निकालने के बाद छात्र करेंगे क्या, उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी इसको लेकर कोई सवाल नहीं कर रहा है. जिसको लेकर युवाओं में खासा आक्रोश है. उनका कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है. जिससे युवा बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.वहीं एमपी कांग्रेस ने कहा है कि वह 5 साल में बेरोजगारी भत्ता देने के साथ ही युवाओं को रोजगार देने संबंधित उसके पास कई तरह की योजना थी, लेकिन उन्हें अल्प समय में ही हटा दिया गया. इसलिए कांग्रेस की योजनाएं शुरू तक नहीं हो सकी है.

वहीं बीजेपी का कहना है कि जिस तरह से बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ रही है उसके अनुपात में रोजगार देना संभव नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिल सकता है.

ग्वालियर। उपचुनाव के लिए आचार संहिता की घोषणा कभी भी हो सकती है. कांग्रेस और भाजपा चुनाव प्रचार एक तरह से शुरू कर चुके हैं, उनके मुद्दों में सिर्फ एक दूसरे को धोखा देने और विकास के नाम पर झूठे वादे करने को लेकर बहस चल रही है, लेकिन असल मुद्दे इस चुनाव अभियान से गायब हैं.

बेरोजगारी का मुद्दा
बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. कोरोना काल में छात्रों के सेमेस्टर वैसे ही काफी पिछड़ हो चुके हैं, जैसे तैसे फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराई जा रही हैं, लेकिन फाइनल ईयर निकालने के बाद छात्र करेंगे क्या, उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी इसको लेकर कोई सवाल नहीं कर रहा है. जिसको लेकर युवाओं में खासा आक्रोश है. उनका कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है. जिससे युवा बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.वहीं एमपी कांग्रेस ने कहा है कि वह 5 साल में बेरोजगारी भत्ता देने के साथ ही युवाओं को रोजगार देने संबंधित उसके पास कई तरह की योजना थी, लेकिन उन्हें अल्प समय में ही हटा दिया गया. इसलिए कांग्रेस की योजनाएं शुरू तक नहीं हो सकी है.

वहीं बीजेपी का कहना है कि जिस तरह से बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ रही है उसके अनुपात में रोजगार देना संभव नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिल सकता है.

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