ETV Bharat / state

अब पेड़ बताएंगे अपना बायोडाटा! बारकोड स्कैन करते ही मिलेगी पूरी डिटेल, जीवाजी यूनिवर्सिटी की अनूठी पहल - ग्वालियर लेटेस्ट न्यूज

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय ने एक अनूठी और नई पहल की है. यहां कैंपस में लगे पेड़ों पर बारकोड लगाया जा रहा है. इस बारकोड को स्कैन कर आप पेड़ से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. प्रदेश में ऐसी पहल करने वाली जीवाजी यूनिवर्सिटी पहली है. (Jiwaji University of Gwalior)

Barcodes on trees of Jiwaji University
जीवाजी यूनिवर्सिटी के पेड़ों पर लगे बारकोड
author img

By

Published : Feb 6, 2022, 3:53 PM IST

Updated : Feb 6, 2022, 4:05 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश की जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग ने एक अनोखी पहल की है. विश्वविद्यालय के कैंपस में लगे हजारों पेड़ अब खुद अपना परिचय देंगे. इसके लिए यहां लगे 56 प्रजातियों के पेड़ों पर बारकोड लगाए गए हैं और इस बार कोर के जरिए छात्रों के साथ-साथ कैंपस में आने वाले लोग मोबाइल से स्कैन कर उस पेड़ के बारे में सारी जानकारी ले पाएंगे. जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश में इस अनूठी पहल की शुरुआत करने वाली यूनिवर्सिटी है. रविवार को इसका शुभारंभ जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी और पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर हरेंद्र शर्मा ने किया.

जीवाजी यूनिवर्सिटी के पेड़ों पर लगे बारकोड
बारकोड से मिलेगी पेड़ की जानकारीजीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग द्वारा इस अनूठे प्रयोग का मकसद यह है कि इससे छात्रों के साथ-साथ जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में आने वाले आम लोग पेड़ों के बारे में हर जानकारी ले सकें और उसके महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में उन्हें ज्ञान मिले. इसके साथ ही किस पेड़ का चिकित्सा के क्षेत्र में कितना फायदा है और यह पेड़ कितना ऑक्सीजन छोड़ता है, ये सारी जानकारी बारकोड स्कैन कर के ली जा सकती है. पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर हरेंद्र शर्मा ने बताया है कि अभी कुल 15 प्रजातियों के पेड़ो में यह बारकोड लगाया गया है और धीरे धीरे कैंपस में लगे 56 प्रजाति के पेड़ों में यह बारकोड लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

मध्य प्रदेश का हर वर्ग शिवराज सरकार से त्रस्त, 2023 में सत्ता में आएगी कांग्रेस: कमलनाथ

जीवाजी कैंपस में 56 प्रजातियों के 5000 से अधिक पेड़
जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में 5000 से अधिक बड़े पेड़ हैं. इसके साथ ही इससे दुगनी संख्या छोटे पेड़ों की है. इस कैंपस में 56 प्रजातियों के पेड़ लगे हुए हैं, जिसमें नीम के पेड़ों की संख्या 650 है. अशोक के पेड़ों की संख्या 390, टीक के 296 और आम के 120 पेड़ हैं. इसके साथ ही सफेद काला बबूल, एप्पल, कचनार, पलाश, शीशम,कदम,गुलमोहर यलो, गुलमोहर,आमला, बरगद, गूगल, पेपर के पेड़ यहां पर हैं. इस कैंपस में लगे हर पेड़ की अपनी उपयोगिता है, यह चिकित्सा के क्षेत्र में काफी लाभदायक भी हैं. साथ ही अधिक ऑक्सीजन देने के लिए भी भ्रम को पेड़ उपलब्ध है. इसे ग्रीन केंपस के नाम से भी जाना जाता है.

रोजाना कई लोग करते हैं मॉर्निंग वॉक
जीवाजी विश्वविद्यालय में लगे इस बार कोड से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होगा. छात्र मोबाइल से इस बार कोड को स्कैन करने के बाद उस पेड़ का नाम, महत्व और उसकी उपयोगिता को जान सकेंगे. इसके अलावा उन लोगों को फायदा होगा जो सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए जीवाजी कैंपस जाते हैं. ऑक्सीजन जोन होने के कारण रोज लगभग 3000 से अधिक लोग मॉर्निंग वॉक के लिए यहां पहुंचते हैं.

(Jiwaji University of Gwalior) (Barcodes on trees of Jiwaji University)

ग्वालियर। मध्य प्रदेश की जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग ने एक अनोखी पहल की है. विश्वविद्यालय के कैंपस में लगे हजारों पेड़ अब खुद अपना परिचय देंगे. इसके लिए यहां लगे 56 प्रजातियों के पेड़ों पर बारकोड लगाए गए हैं और इस बार कोर के जरिए छात्रों के साथ-साथ कैंपस में आने वाले लोग मोबाइल से स्कैन कर उस पेड़ के बारे में सारी जानकारी ले पाएंगे. जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश में इस अनूठी पहल की शुरुआत करने वाली यूनिवर्सिटी है. रविवार को इसका शुभारंभ जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी और पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर हरेंद्र शर्मा ने किया.

जीवाजी यूनिवर्सिटी के पेड़ों पर लगे बारकोड
बारकोड से मिलेगी पेड़ की जानकारीजीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग द्वारा इस अनूठे प्रयोग का मकसद यह है कि इससे छात्रों के साथ-साथ जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में आने वाले आम लोग पेड़ों के बारे में हर जानकारी ले सकें और उसके महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में उन्हें ज्ञान मिले. इसके साथ ही किस पेड़ का चिकित्सा के क्षेत्र में कितना फायदा है और यह पेड़ कितना ऑक्सीजन छोड़ता है, ये सारी जानकारी बारकोड स्कैन कर के ली जा सकती है. पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर हरेंद्र शर्मा ने बताया है कि अभी कुल 15 प्रजातियों के पेड़ो में यह बारकोड लगाया गया है और धीरे धीरे कैंपस में लगे 56 प्रजाति के पेड़ों में यह बारकोड लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

मध्य प्रदेश का हर वर्ग शिवराज सरकार से त्रस्त, 2023 में सत्ता में आएगी कांग्रेस: कमलनाथ

जीवाजी कैंपस में 56 प्रजातियों के 5000 से अधिक पेड़
जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में 5000 से अधिक बड़े पेड़ हैं. इसके साथ ही इससे दुगनी संख्या छोटे पेड़ों की है. इस कैंपस में 56 प्रजातियों के पेड़ लगे हुए हैं, जिसमें नीम के पेड़ों की संख्या 650 है. अशोक के पेड़ों की संख्या 390, टीक के 296 और आम के 120 पेड़ हैं. इसके साथ ही सफेद काला बबूल, एप्पल, कचनार, पलाश, शीशम,कदम,गुलमोहर यलो, गुलमोहर,आमला, बरगद, गूगल, पेपर के पेड़ यहां पर हैं. इस कैंपस में लगे हर पेड़ की अपनी उपयोगिता है, यह चिकित्सा के क्षेत्र में काफी लाभदायक भी हैं. साथ ही अधिक ऑक्सीजन देने के लिए भी भ्रम को पेड़ उपलब्ध है. इसे ग्रीन केंपस के नाम से भी जाना जाता है.

रोजाना कई लोग करते हैं मॉर्निंग वॉक
जीवाजी विश्वविद्यालय में लगे इस बार कोड से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होगा. छात्र मोबाइल से इस बार कोड को स्कैन करने के बाद उस पेड़ का नाम, महत्व और उसकी उपयोगिता को जान सकेंगे. इसके अलावा उन लोगों को फायदा होगा जो सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए जीवाजी कैंपस जाते हैं. ऑक्सीजन जोन होने के कारण रोज लगभग 3000 से अधिक लोग मॉर्निंग वॉक के लिए यहां पहुंचते हैं.

(Jiwaji University of Gwalior) (Barcodes on trees of Jiwaji University)

Last Updated : Feb 6, 2022, 4:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.