ग्वालियर। मध्य प्रदेश की जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग ने एक अनोखी पहल की है. विश्वविद्यालय के कैंपस में लगे हजारों पेड़ अब खुद अपना परिचय देंगे. इसके लिए यहां लगे 56 प्रजातियों के पेड़ों पर बारकोड लगाए गए हैं और इस बार कोर के जरिए छात्रों के साथ-साथ कैंपस में आने वाले लोग मोबाइल से स्कैन कर उस पेड़ के बारे में सारी जानकारी ले पाएंगे. जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश में इस अनूठी पहल की शुरुआत करने वाली यूनिवर्सिटी है. रविवार को इसका शुभारंभ जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी और पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर हरेंद्र शर्मा ने किया.
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जीवाजी कैंपस में 56 प्रजातियों के 5000 से अधिक पेड़
जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में 5000 से अधिक बड़े पेड़ हैं. इसके साथ ही इससे दुगनी संख्या छोटे पेड़ों की है. इस कैंपस में 56 प्रजातियों के पेड़ लगे हुए हैं, जिसमें नीम के पेड़ों की संख्या 650 है. अशोक के पेड़ों की संख्या 390, टीक के 296 और आम के 120 पेड़ हैं. इसके साथ ही सफेद काला बबूल, एप्पल, कचनार, पलाश, शीशम,कदम,गुलमोहर यलो, गुलमोहर,आमला, बरगद, गूगल, पेपर के पेड़ यहां पर हैं. इस कैंपस में लगे हर पेड़ की अपनी उपयोगिता है, यह चिकित्सा के क्षेत्र में काफी लाभदायक भी हैं. साथ ही अधिक ऑक्सीजन देने के लिए भी भ्रम को पेड़ उपलब्ध है. इसे ग्रीन केंपस के नाम से भी जाना जाता है.
रोजाना कई लोग करते हैं मॉर्निंग वॉक
जीवाजी विश्वविद्यालय में लगे इस बार कोड से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होगा. छात्र मोबाइल से इस बार कोड को स्कैन करने के बाद उस पेड़ का नाम, महत्व और उसकी उपयोगिता को जान सकेंगे. इसके अलावा उन लोगों को फायदा होगा जो सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए जीवाजी कैंपस जाते हैं. ऑक्सीजन जोन होने के कारण रोज लगभग 3000 से अधिक लोग मॉर्निंग वॉक के लिए यहां पहुंचते हैं.
(Jiwaji University of Gwalior) (Barcodes on trees of Jiwaji University)