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सिंधिया समर्थक विधायक जज्जी को लगा बड़ा झटका, हाईकोर्ट में स्टे लेने का आवेदन किया निरस्त

सिंधिया समर्थक विधायक जजपाल सिंह जज्जी को बड़ा झटका लगा है. दरअसल हाईकोर्ट में उनके स्टे लेने के आवेदन को निरस्त कर दिया है. अब देखना होगा मामले की अगली सुनवाई यानि 4 मई को कोर्ट क्या फैसला सुनाती है.

Jajji high court refuses to grant stay
सिंधिया समर्थक विधायक जज्जी को लगा बड़ा झटका
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Published : Apr 12, 2023, 1:02 PM IST

ग्वालियर। कट्टर सिंधिया समर्थक और अशोक नगर विधानसभा से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी को ग्वालियर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र पर लगाई गई याचिका को लेकर विधायक ने स्टे की मांग के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था, लेकिन कोर्ट ने इस आवेदन को निरस्त कर दिया. अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 4 मई को होगी. बता दें कि विधायक के जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए भाजपा नेता लड्डू राम कोरी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

क्या कहा था जजपाल सिंह जज्जी ने: जाति प्रमाण पत्र को लेकर की गई याचिका को चुनौती देने के लिए विधायक जजपाल जज्जी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था और याचिका की सुनवाई पर स्टे का आग्रह किया. विधायक ने अपने आवेदन में कहा कि "जाति प्रमाण पत्र की वैधता के मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में प्रकरण विचाराधीन है और इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है, तो सिंगल बेंच चुनाव याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती." हाईकोर्ट ने विधायक के इस आवेदन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.

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क्या है जजपाल सिंह जज्जी की कहानी: बता दें कि कट्टर सिंधिया समर्थकों और अशोक नगर विधानसभा से विधायक जजपाल सिंह जज्जी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़े थे, उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार को गिरा कर बीजेपी में शामिल हो गए और जजपाल सिंह जज्जी भी सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए. उसके बाद उस साल 2020 में जजपाल सिंह जज्जी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

इस मामले में घिरे हैं जजपाल सिंह जज्जी: बीजेपी नेता लड्डू राम कोरी ने अपनी याचिका में कहा कि "बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी पंजाब के रहने वाले हैं और उन पर कीर जाति का प्रमाण पत्र मौजूद है, जो पंजाब में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है. लेकिन मध्यप्रदेश में यह जाति सामान्य वर्ग में आती है, इसलिए जजपाल सिंह को मध्यप्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता. वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं और इनका प्रमाणपत्र भी वहीं बनेगा और मान्य होगा, इसको लेकर अभी हाईकोर्ट में यह मामला लंबित है."

ग्वालियर। कट्टर सिंधिया समर्थक और अशोक नगर विधानसभा से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी को ग्वालियर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र पर लगाई गई याचिका को लेकर विधायक ने स्टे की मांग के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था, लेकिन कोर्ट ने इस आवेदन को निरस्त कर दिया. अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 4 मई को होगी. बता दें कि विधायक के जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए भाजपा नेता लड्डू राम कोरी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

क्या कहा था जजपाल सिंह जज्जी ने: जाति प्रमाण पत्र को लेकर की गई याचिका को चुनौती देने के लिए विधायक जजपाल जज्जी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था और याचिका की सुनवाई पर स्टे का आग्रह किया. विधायक ने अपने आवेदन में कहा कि "जाति प्रमाण पत्र की वैधता के मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में प्रकरण विचाराधीन है और इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है, तो सिंगल बेंच चुनाव याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती." हाईकोर्ट ने विधायक के इस आवेदन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.

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क्या है जजपाल सिंह जज्जी की कहानी: बता दें कि कट्टर सिंधिया समर्थकों और अशोक नगर विधानसभा से विधायक जजपाल सिंह जज्जी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़े थे, उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार को गिरा कर बीजेपी में शामिल हो गए और जजपाल सिंह जज्जी भी सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए. उसके बाद उस साल 2020 में जजपाल सिंह जज्जी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

इस मामले में घिरे हैं जजपाल सिंह जज्जी: बीजेपी नेता लड्डू राम कोरी ने अपनी याचिका में कहा कि "बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी पंजाब के रहने वाले हैं और उन पर कीर जाति का प्रमाण पत्र मौजूद है, जो पंजाब में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है. लेकिन मध्यप्रदेश में यह जाति सामान्य वर्ग में आती है, इसलिए जजपाल सिंह को मध्यप्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता. वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं और इनका प्रमाणपत्र भी वहीं बनेगा और मान्य होगा, इसको लेकर अभी हाईकोर्ट में यह मामला लंबित है."

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